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युद्ध के बाद का ख़ौफ़नाक मंजर बयां करती है यह कविता,’जंग ख़ुद एक मसला है, न कि मसलों का हल’

देश भर में पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर आक्रोश का माहौल साफ साफ देखने को मिल रहा है। हर कोई पाकिस्तान से बदला लेना चाह रहा है और इसके लिए बात युद्ध या जंग तक भी हो रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच का माहौल बहुत ही ज्यादा तनावपूर्ण बन चुका है और जानकारो की माने तो सरकार किसी भी पल कोई भी बड़ा फैसला ले सकती हैं। जी हां, भारत के लिए यह बहुत ही ज्यादा नाज़ुक पल है, ऐसे में एक एक कदम फूंक फूंक कर रखने की भी सलाह दी जा रही है, लेकिन लोगों का गुस्सा पूरी तरह से फूट चुका है।

पुलवामा हमले के बाद से हर कोई इस मसले पर अपनी राय रख रहा है। फिर चाहे नेता और जनता। हर कोई पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कर रहा है। और मसला अब युद्ध तक पहुंच गया है, क्योंकि हर कोई यही चाह रहा है कि इस बार मामला आर या पार होना चाहिए, ताकि किसी की हिम्मत दोबारा न हो भारत की तरफ आंख उठाकर देखने के लिए। इन सबके बीच मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की एक कविता काफी तेज़ी से वायरल हो रही है। यह कविता इस नाज़ुक समय पर बिल्कुल फिट बैठ रही है।

मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की कविता

खून अपना हो या पराया हो
नस्ल ए आदम का खून है आखिर
जंग मशरिक में हो या मगरिब में
अम्न ए आलम का खून है आख़िर

बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
रूहे-तामीर जख्म खाती है
खेत अपने जलें या औरों के
जीस्त फाकों से तिलमिलाती है

टैंक आगे बढ़ें या पीछे हटें
कोख धरती की बांझ होती है
फतेह का जश्न हो या हार का सोग
जिंदगी मय्यतों पे रोती है

जंग तो खुद ही एक मसला है
जंग क्या मसअलों का हल देगी
खून ओर आग आज बरसेगी
भूख ओर एहतियाज कल देगी
इसलिए ए शरीफ इंसानों
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आप ओर हम सभी के आंगन में
शम्मा जलती रहे तो बेहतर है।

शहीदों के परिवार का दर्द बयां करती हैं ये कविता

पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के परिजनों पर क्या बीत रही होगी, इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं, लेकिन मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की यह कविता को पढ़कर आप शहीदों के परिवार वालों का दर्द महसूस कर पाएंगे। मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की यह कविता जंग के खिलाफ है और जब भी कहीं भी आतंकी हमला होता है, तो यह कविता अपने आप ही प्रासंगिक हो जाती है, क्योंकि यह कविता युद्ध के बाद खौफनाक मंजर को उजागर कर देती है। इसे पढ़कर आप युद्ध के बाद के मंजर को अपनी आंखो से महसूस कर सकते हैं।

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