स्वास्थ्य

बॉडी फैट से इंसुलिन का स्तर सबकुछ कंट्रोल रखता है करेले का जूस, डायबिटीज के लिए है रामबाण इलाज

ऐसी बहुत सी सब्जियां होती हैं जिनका सेवन करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता लेकिन उसमें इतने फायदे होते हैं कि लोग उसे ना चाहते हुए भी खाते हैं. हर सब्जी में सबसे ज्यादा कड़वा करेला होता है और सबसे ज्यादा फायदे इसी में होते हैं जिसे लोग खाना पसंद तो नहीं करते लेकिन इसमें छिपे गुण की वजह से अक्सर लोग इसे खा लेते हैं. करेले का रस पेन्क्रियाज यानी अग्नाशयी बीटा कोशिकाओं की भी रक्षा करता है जो इंसुलिन रिलीज करने काम बॉडी में करती है. करेले के पानी की मात्रा ज्यादा और कैलोरी कम होता है, इस जूस को खाली पेट ही पीना चाहिए और करीब एक घंटे तक इसे पीने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए. बॉडी फैट से इंसुलिन का स्तर सबकुछ कंट्रोल रखता है करेले का जूस, इसके बारे में और भी फायदेमंद बातें आपको जाननी चाहिए.

बॉडी फैट से इंसुलिन का स्तर सबकुछ कंट्रोल रखता है करेले का जूस

करेले में पोषक तत्व भरा होता है जो कार्ब्स और कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है. अगर आप फिट रहने के लिए तरह-तरह की चीजें ढूंढ रहे हैं तो आपको सुबह-सुबह करेले का जूस पीना चाहिए और करीब एक घंटे तक कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए. अकेला आपकी एक्सट्रा फैट को जलाने का काम करता है और आपको अंदर या बाहर हर तरफ से फिट रखता है. हम आपको करेले के कुछ अचूक फायदे बताएंगे जिसे अपनाने के बाद आपके अंदर की सभी बीमारी चुटकियों में भाग जाएगी.

बॉडी फैट होता है कम

शरीर में वसा या वसा ऊतक रासायनिक रूप से फैटी एसिड की जुड़ी श्रंखलाओं से बना हुआ होता है. करेले के रस में एंजाइम पाए जाते हैं जो फैट को फ्री फैटी एसिज में तोड़ते हैं. ऐसा करने से शरीर में चाहे जितना भी फैट होता है वो धीरे-धीरे कम होने लगता है. यह फैटी एसिड संश्लेषण के लिए जरूरी एंजाइम्स के स्तर को कम कर देता है, जिसका रिजल्ट ये होता है कि फैट का प्रोडक्शन कम होने लगता है.

इंसुलिन का स्तर रहता है स्थिर

करेला अग्नाशयी बीटा कोशिकाओं की रक्षा करता है जो इंसुलिन को स्टोर करता है और रिलीज भी करता है. इंसुलिन ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को रेग्युलेट करने के लिए जरूरी होता है. करेले में तीन सक्रिय एंटी-डायबिटीक पदार्थ पाए जाते हैं जो चारेंटिन, विसीन और पॉलीपेप्टाइड-पी कहा जाता है. ये शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध और ग्लूकोज के स्तर को कम करता है. बहुत कम इंसुलिन ग्लूकोज के खराब स्तर बहुत ज्यादा भूख लगने यै वेट बढ़ने की वजह से बनता है.

फैट मेटाबॉलिज्म में मददगार

करेले का रस पित्त के स्राव के लिए लिवर को प्रोत्साहित करता है जो फैट मेटाबॉलिज्म में सहायता करता है. ऐसी प्रक्रिया आमतौर पर उन लोगों में होती है जो मोटे होते हैं. यह AMPK नाम के प्रोटीन को भी सक्रिय रखता है और इससे इंसुलिन की सेक्रिशन को संतुलित रखता है. मांसपेशियों सहित सभी कोशिकाओं तक ग्लूकोड को भी ये मदद पहुंचाते हैं. कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स के संश्लेषण को भी रोकता है. वसा को जलाने में मदद करता है और मोटापे के मूल कारणों को भी खत्म करता है.

विषैले पदार्थ को बाहर निकालना

करेले में लगभग 90 प्रतिशत पानी है जो भूख को दबाता है. इसके साथ ही शरीर से टॉक्सिन को भी बाहर निकालने का काम करता है. टॉक्सिन वेट बढ़ाने के जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा शरीर में जितने भी विषैले पदार्थ उत्पन्न होते हैं करेला खाने या इसके जूस पीने से सब मर जाते हैं.

कम है कैलोरी

यूएसजीए की एक रिपोर्ट के मुताबिक 100 ग्राम करेले के रस में सिर्फ 34 कैलोरी पाई जाती है. करेले में मौजूद लैक्टिन भूख को भी दबाता है. बस आपको करेले का जूस हर दिन नियम से पीना होगा.

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