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पत्नी सावित्री ने दुल्हन के जोड़े में दी “पुलवामा” शहीद पति को विदाई, मंजर देख रो पड़ा गाँव

हमारा भारत देश वीरों और शहीदों की धरती है. हम साधारण लोग चैन से इसलिए सो पाते हैं क्यूंकि देश के जवान हमेशा हमारी सुरक्षा के लिए ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. इन जवानों की जिंदगी का एक ही मकसद होता है और वह है देश की सेवा करना और लोगों की रक्षा करना. हालाँकि यह अपनी ड्यूटी में इस तरह से डूब जाते हैं कि खुद का ख्याल रखना भी भूल जाते हैं. ऐसे में 14 फरवरी का दिन भारत के लिए कभी न भूलने वाला एक काला दिन बन कर रह गया. वैसे तो हर साल यह दिन लवर्स के लिए खास होता है. लेकिन इस साल यह दिन भारतियों को झकझोर कर रोने पर मजबूर कर गया. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का मंजर देश भर में वायरल हो चुका है.

इसी दिन हमारी भारतीय सुरक्षा बल सेना अर्थात सीआरपीएफ ने अपने 40 से अधिक जांबाज़ जवान खो दिए. ख़बरों के अनुसार 50 से अधिक जवान अभी भी जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहे हैं. वहीँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आश्वासन दिया है कि शहीदों की कुर्बानी यूँही बेकार नहीं जाएगी और पाकिस्तान को इन शहीदों की मौत का बदला चुकाना पड़ेगा. शायद यही वजह है जो हमले की अगली सुबह ही भारतीय सरकार ने पाकिस्तान से “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का खिताब छीन कर पाकिस्तान के व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया.

इस घटना के दौरान माहौल उस समय और भी ग़मगीन हो गया जब दुल्हन के जोड़े ने सावित्री ने अपने शहीद पति तिलक राज को अंतिम विदाई दे कर विदा किया. अपने पति को सामने पड़ा देख कर सावित्री अपने होश खो बैठी और बेसुद्द हो कर गिर पड़ी. सावित्री को देख कर अंतिम संस्कार में मौजूद पूरा गाँव खुद पर काबू खो बैठा और देखते ही देखते सबकी आँखें नम हो गई. बता दें कि पुलवामा के शहीद तिलक राज की इस अंतिम यात्रा में एक हज़ार से भी अधिक गाँव वासी शामिल हुए थे.

तिलक राज की शव यात्रा में मौजूद हर व्यक्ति पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी लगा रहा था. हर तरफ पाकिस्तान मुर्दाबाद और शहीद तिलक राज अमर रहे की आवाजें गूँज रही थी. पत्नी सावित्री ने अपने पति को अंतिम बार देखने से पहले खुद को दुल्हन के लिबास में सजाया. यह वही दुल्हन का जोड़ा था, जिसे सावित्री ने तिलक राज से शादी करते समय पहली बार पहना था. अपनी शादी का जोड़ा पहन कर सावित्री ने देश पर कुर्बान हुए वीर पति के अंतिम दर्शन किए.

इस अंतिम विदाई के दौरान तिलक राज के बड़े भाई ने अपने शहीद छोटे भाई तिलक राज को मुखाग्नि दी. इस रस्म से पहले सीआरपीएफ के जवानों ने गोर्ड ऑफ़ ओनर से सलामी दे कर हवा में गोलियां चला कर तिलक को अलविदा कहा. इस शहीद की अंतिम यात्रा पर इतनी तादाद में लोग पहुंचे कि मुख्य द्वार से निकलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. घर के आंगन से सड़क तक भीड़ को देखते हुए पार्थिव शरीर को घर के पीछे से खेतों के रास्ते ले जाया गया। इससे पूर्व सुबह शहीद का पार्थिव शरीर जंद्रो गांव स्थित उनके घर करीब 9:30 बजे जैसे ही पहुंचा, तो मां और पत्नी बेसुध हो गईं. तिल्राज के इलावा अन्य शहीदों का अंतिम सफ़र भी सबकी आँखें नम कर गया.

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