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बेटी की शादी के दिन ही हो गई माँ की मौत, फिर छोटी बहन ने जो किया जानकर सब कर रहे हैं सलाम

भारत देश में लड़कों को हर चीज में महत्वता दी जाती है, फिर वो लड़की की शादी हो, माता-पिता की अर्थी को कंधा देना हो या फिर उनके बुढ़ापे की लाठी बनना हो ये सबकुछ लड़के ही करते हैं. मगर जब एक लड़के का फर्ज एक लड़की निभाती है तो पूरी दुनिया उसके जज्बे को सलाम करती है. हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जो अपनी बड़ी बेटी आंचल को दुल्हन बनकर देखने का सपना आंखों में ही लेकर चली गई और उनकी दूसरी बेटी अपनी मां का ये सपना पूरा कर रही हैं साथ ही वे एक भाई का भी फर्ज निभा रही हैं. बेटी की शादी के दिन ही हो गई माँ की मौत, इसके बाद जो हुआ उसे पढ़कर आपकी भी आंखें नम हो जाएंगी.

बेटी की शादी के दिन ही हो गई माँ की मौत

राजस्थान के श्रीगंगानगर के रामसिंहपुर निवासी वेद प्रकाश बाघला की दो बेटियां हैं और बड़ी बेटी आंचल की शादी 9 फरवरी यानी शनिवार की रात को थी. इसी दौरान आंचल की मां सुनीता की अचानक तबियत बिगड़ी और उन्हें पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. बीपी कम होने की वजह से उनकी हालत नाजुक हो गई और उनका देहांत हो गया. उसी समय बेची मंडप में फेरे लेते हुए अपने जीवन की नई शुरुआत करने जा रही थी.

ऐसे हालाकों में वेदप्रकाश ने घर पर किसी को नहीं बताया और इस घटना को केवल चार या पांच लोग ही जानते थे. आंचल अपनी मां के निधन से अनजान थी और अपने सुखी जीवन की कल्पना कर रही थी. माता पिता की गैरमौजूदगी में छोटी बेटी अंजली ने अपनी बहन की शादी की पूरी जिम्मेदारी उठाई और अपने दुख को अंदर समेटते हुए आंसुओं के साथ अपनी बहन के ससुराल वालों के सामने शादी की हर रस्मों को निभा रही थी.

बेटियां समझती हैं जिम्मेदारियां

स्टेज पर जयमाला का आयोजन हुआ और फेरों के बाद अंजली ने ही कन्यादान किया. सिर्फ इतना ही नहीं रातभर बहन की खुशियों में शामिल हुई और सुबह बहन की डोली को कंधा भी दी. बिदाई के कुछ देर बाद ही उनकी मां का शव एंबुलेंस में घर पहुंचा और घर के सभी लोगों के सिर पर पहाड़ सा टूट गया. शाम को इसी बेटी ने अपनी मां की अर्थी को कंधा भी दिया.

जिस तरह से अंजली ने अपनी मां की मौत की खबर को दिल में दबाकर अपनी बहन की शादी करवायी, कन्यादान किया, बिदाई की और फिर उसी शाम अपनी मां की अर्थी को भी कंधा दिया. एक रिसर्च में भी ये पाया गया है कि जितनी जिम्मेदारियां लड़कियां समझती और निभाती हैं उतना एक लड़का शायद ही निभा पाए. हर किसी को ये बात समझनी चाहिए अगर आप अपने बच्चों को संस्कार देते हैं तो वो आपको हमेशा प्राउड फील कराएंगे.

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