अध्यात्म

हरण के बाद माँ सीता ने रावण से कही थी ये बातें, एक-एक शब्द आज भी है पूरी तरह से सच

माँ सीता के बिना रामायण की शुरुआत और अंत नामुमकिन है। राम और सीता के जीवन पर करीब 125 अलग-अलग रामायण लिखी जा चुकी हैं और सभी में कुछ ऐसी बातें हैं जो हमें मालूम नहीं है। विद्वानों ने रामायण को अपने अपने ढंग से लिखा और उसमें शोध के माध्यम से कुछ ऐसी बातें प्रकाशित हुई जो आज भी कई लोगों के लिए रहस्य है। इनमें से कई ग्रंथों को विद्वान प्रामाणिक भी मानते हैं। सीता और रावण के संबंध में कई कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसी ही एक बात रावण और सीता को लेकर भी प्रचलित है।

हिन्दुओं का पवित्र ग्रंथ है रामायण

रामायण को हिंदुओं को एक पवित्र ग्रंथ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र ग्रंथ में लिखी गई हर एक बात सच्ची है और इतने सदियों बाद भी ये बात आज के मनुष्यों के जीवन पर भी सच प्रतीत होती हैं। रामायण ग्रंथ में सिर्फ राम और सीता की जीवन यात्रा की ही वर्णन नहीं है बल्कि इसमें मानव जीवन के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बातें भी बताई गई है जो हम मनुष्य के लिए उपयोगी हैं। हिन्दुओं के इस ग्रंथ का हर एक पात्र हमें कोई न कोई शिक्षा देता है।

रावण की कहानी

जैसे राम हमें मर्यादा, लक्ष्मण भाई के प्रति प्रेम, माता सीता पति के प्रति वफादारी और रावण विद्दवता का पाठ सिखाता है। वैसे तो संपूर्ण रामायण ही माँ सीता के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन, रामायण में रावण का भी उतना ही महत्व है जितना राम का। रामायण में एक ऐसा वक्त आता है जब हरण के बाद मां सीता और उनका हरण करने वाला रावण आमने सामने होते हैं।

मां सीता और रावण में हुई थीं ये बातें

पहली बात

मां सीता ने रावण से कहा था कि ऐसा व्यक्ति जो किसी पराई स्त्री पर नजर रखता हो या उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध हाथ लगाये वह पापी और दुराचारी है। मां सीता ने कहा था कि ऐसा व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता और उसे अपने पाप की सजा अवश्य मिलती है।

दूसरी बात

मां सीता ने आगे ये कहा था कि किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन कोई और नहीं बल्कि उसका अहंकार होता है। ऐसा व्यक्ति जो अहंकारी हो उसे बर्बाद होने से भगवान भी नहीं बचा सकते हैं। अहंकारी व्यक्ति हमेशा खुद को सर्वश्रेष्ठ मानता है। लेकिन, उसकी यही गलती उसे बर्बाद कर देती है।

तीसरी बात

सीता माँ ने अपनी तीसरी बात में कहा था कि किसी व्यक्ति के बलशाली होने से ही कुछ नहीं होता उसे अपने बल का सही उपयोग भी करना चाहिए। ऐसा व्यक्ति जो बलशाली होने के बावजूद किसी की मदद नहीं करता उसका सारा बल बेकार है।

चौथी बात

सीता मां ने अपनी चौथी बात में ये कहा था कि धन के साथ साथ बल का भी सही उपयोग होना चाहिए इसके बिना व्यक्ति का पूरा धन बेकार है। अगर कोई व्यक्ति अपने धन का सही इस्तेमाल नहीं करता तो उसका धन न सिर्फ उसके लिए बल्कि उसके परिवार के लिए भी किसी काम का नहीं है। भले ही मां सीता ने ये बात त्रेता युग में कही हो लेकिन ये सभी बातें आज भी बिल्कुल सही साबित होती हैं।

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