अध्यात्म

जब महादेव के क्रो ध से भस्म हो गए थे कामदेव, रति को दिया था वचन

महादेव को भोले भंडारी भी कहते हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि वह बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। कहते हैं कि भोले बाबा तो इतने भोले हैं कि प्रेम से कोई एक लोटा जल भी चढ़ा दे तो खुश हो जाते हैं। हालांकि महादेव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं उतने ही जल्दी नाराज भी हो जाते हैं। उनकी एक तीसरी नेत्र भी है और कहते हैं  जब उनकी तीसरी आंख खुलती हैं तो सारा ब्रह्मांड पृथ्वी सब कुछ बिखर जाता है। ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा हुआ है महादेव का कामदेव से जिन्हें उनके भंयकर गुस्से का सामना करना पड़ा था।

सती ने कर लिया था आत्मदाह

यह कहानी शुरु होती है जह महादेव के साथ पार्वती नहीं बल्कि उनका पहले का रुप यानी सती रहती थीं। सती ने अपने पिता के विरुद्ध जाकर महादेश से शादी की थी। एक बार राजा दक्ष ने अपने यहां यज्ञ रखा तो अपनी बेटी और दामाद को ही नहीं बुलाया। देवी सती अपने मायके में होने वाले कार्यक्रम के बारे में सुनती हैं तो बहुत खुश होती हैं। वह बिना किसी निमंत्रण के अपने मायके पहुंच जाती हैं। राजा दक्ष वहां अपनी बेटी के देखकर प्रसन्न होने के बजाय उनका अपमान करते हैं। साथ ही भगवान शिव का भी अपमान करते हैं। सती अपने पति का अपमान नहीं सह पाती हैं औऱ यज्ञ कुंड में कुदकर खुद को भस्म कर लेती हैं।

बैरागी हो जाते हैं शिव

महादेव को जब यह बात पता चलती है तो वह अपना आपा खोने लगते हैं।मां सती के मृत्यु होने के बाद भगवान शिव संसार का त्याग कर देते हैं। ऐसा लगता है कि उनका खुद पर ही वश नही हैं। वह बैरागी हो जाते हैं और गंगा तमसा के संगम पर आकर समाधि में लीन हो जाते हैं। शिव के इस रुप से समस्त लोक संसार में हाहाकार मच जाता है। सब उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन महादेश को कुछ नहीं करते हैं।

कामदेव चलाते हैं बाण

वहीं दूसरी तरफ सती पार्वती के रुप में जन्म ले लेती हैं। उनके मन में महादेव से विवाह की इच्छा उत्पन्न होती है। शिव बैरागी हो चुके होते हैं। उनके मन से प्रेम काम की सारी भावनाएं गायब रहतीं हैं। किसी को समझ नहीं आता कि महादेव को दोबारा पार्वती से कैसे मिलाया जाए। इसके लिए लोग कामदेव के पास जाते हैं। कामदेव किसी के भी मन में वासना उत्पन्न करने का काम करते हैं। सब उनसे निवेदन करते हैं कि वह महादेव के मन में कामना को जगाएं ताकी वह दोबारा पार्वती माता से विवाह कर सकें।

कामदेव की पत्नी हैं रति। वह उनसे साथ मिलकर महादेव के अंदर के कां भाव के जगाने का प्रयास करते हैं। महादेव के ऊपर कामदेव के किसी भी प्रयास का कोई फल नहीं निकलता है। कामेव को एक युक्ति सूझती है। वह एक पेड़ के पीछे छिपे छिपकर शिव जी पर पुष्प वान चलाते हैं। वान सीधे उनके हृदय में लगता है। महादेव समाधि टूटने से प्रचंड क्रोध में आ जाते हैं औऱ तीसरी आंख से काम को भस्म कर देते हैं।

रति के देते हैं वचन

रति अपने पति के भस्म को लेकर अपने शरीर में मलकर  रोने लगती हैं। भगवान शिव के मन में प्रेम भावना जागृत हो चुकी रहती है। जब उन्हें पता चलता है कि यह योजना था ताकी वह और पार्वती एक हो सके तो वह रति को वचन देते हैं। वह रति से कहते हैं कि तुम्हारा पति यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रुप में जन्मेगा और उसके बाद तुम्हारा उससे मिलन होगा। उसके बाद पार्वती और शिव का विवाह हो जाता है औऱ अगले जन्म में कामदेव अपनी पत्नी से फिर मिल जाते हैं।

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