Trending

जानें क्यों मनाई जाती है छठ पूजा, क्या है इसका विशेष महत्व, विधि और इतिहास

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: भारत में त्यौहार कभी खत्म नहीं होते, कभी छोटे तो कभी बड़े हर तरह के त्यौहार पूरे साल भारत में मनाए जाते हैं। भारत में अलग-अलग संस्कृति के लोग रहते हैं और उन सभी संस्कृतियों को भारत में पूरा आदर-सत्कार मिलता है। दीपावली के त्यौहार के बाद आता है छठ, छठ एक बड़ा पर्व है जिसे भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला यह छठ पर्व(Chhat parv) चार दिनों तक चलता है, इसमें सूर्य की उपासना की जाती है। सूर्योपासना का यह पर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र में और दूसरा कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने पर इसे चैती छठ कहते हैं व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने पर इसे कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवा की सुख-समृद्धी और मनोवांछित फल पाने के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इसे स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। इस पर्व पर प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देकर नमन किया जाता है । गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे पानी में खड़े होकर छठ पूजा संपन्न कि जाती है ।

छठ पर्व

किस प्रकार मनाते हैं छठ पर्व

भैयादूज के तीसरे दिन से आरम्भ होने वाला यह त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है। दूसरे दिन से उपवास प्रारंभ होता है, इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति दिनभर अन्न-जल ग्रहण नहीं करता और शाम को सूर्य पूजा के बाद खीर बनाकर उसी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं इसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन सूर्यास्त के समय यानि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया जाता हैं। बता दें छठ पर्व में साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इन चार दिनों में घरों पर प्याज-लहसुन वर्जित होता है।

छठ उत्सव का स्वरूप

छठ पर्व

छठ पूजा चार तक मनाया जाने वाला पर्व है, इसमें प्रत्येक दिन की अपनी एक अलग खासियत और अलग मान्यता होती है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू हुआ यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। जिस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते।

छठ पर्व का पहला दिन (नहाय खाय)

पहला दिन यानी कार्तिक शुक्ल चतुर्थी इस दिन को‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। पहले दिन घर की साफ-सफाई कर घर को पूर्णत: पवित्र किया जाता है, इसके बाद व्रत रखने वाली स्त्री स्नान कर पवित्र तरीके से बने भोजन को ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती है। बता दें जब व्रत रखने वाली स्त्री खाना खाती है उसके बाद ही घर के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में कद्दू-चने की दाल और चावल खाने की परंपरा है।

छठ पर्व का दूसरा दिन (लोहंडा और खरना)

दूसरा दिन यानि कार्तिक शुक्ल पंचमी इस दिन व्रतधारी दिनभर का उपवास रखता है और शाम को सूर्य पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करता है। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। बता दें कि खरना के प्रसाद के लिए आस-पास के लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है। खरना वाले दिन प्रसाद के रूप में घरों पर गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है।

छठ पर्व का तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य)

छठ पर्व

तीसरा दिन यानि कार्तिक शुकल षष्ठी वाले दिन प्रासद के रूप में घरों में ठेकुआ बनाया जाता है। इसके साथ ही  अलावा चावल के लड्डू भी बनते हैं। इसके साथ फल भी प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाते हैं।

शाम को सूर्यास्त होने के बॉस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और सारा सामान रखकर अपने परिवार वालों और आस पड़ोस के लोगों के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जाते हैं। सभी छठव्रति एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करती हैं। बता दें कि सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है और छठी मैया की प्रसाद से भरे सूप से पूजा की जाती है।

छठ पर्व का चौथा दिन (उषा अर्घ्य)

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह यानी सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जिस तरह से शाम को सूर्य को अर्घ दिया गया था उसी तरह पूरी प्रक्रिया का सुबह दोहराया जाता है। पूजा के पश्चात् व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं जिसे पारण या परना कहते हैं।

छठ पर्व का महत्व

छठ पर्व

छठ का व्रत एक कठिन तपस्या की तरह होता है, इसमें व्रत रखने वाली महिला या पुरूष को चार दिनों के लिए सभी तरह की सुख सुविधाओं का त्याग करना होता है, इन दिनों में व्रतधारी को एक कमरे में जिसमें व्रत का सारा सामान रखा हो वहां पर जमीन पर सोना होता है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नये कपड़े पहनते हैं।

बता दें कि इस ‘छठ पर्व को शुरू करने के बाद तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की कोई विवाहित महिला इसके लिए तैयार न हो जाए।

ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएँ यह व्रत रखती हैं।

छठ पर्व को लेकर पौराणिक कथाएं

छठ पर्व को लेकर बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं लेकिन एक कथा जो पुराणों में है उसके अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनायी गयी खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति तो हुई परन्तु वह मृत पैदा हुआ। इससे दुखी होकर प्रियवद पुत्र को लेकर शमशान गए और वहां पर पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे तब वहां पर ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूँ। हे! राजन् आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

छठ के त्यौहार में कई लोकगीत बहुत प्रचलित हैं जो इस पूजा के दौरान गाए जाते हैं।

छठ पर्व लोकगीत

“केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय

उ जे खबरी जनइबो अदिक से सुगा देले जुठियाए

उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से सुगा गिरे मुरछाये

उ जे सुगनी जे रोये ले वियोग से आदित होइ ना सहाय देव होइ ना सहाय

काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाए… बहँगी लचकति जाए… बात जे पुछेले बटोहिया बहँगी केकरा के जाए? बहँगी केकरा के जाए? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाए… बहँगी छठी माई के जाए… काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाए… बहँगी लचकति जाए…

केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंड़राय… ओह पर सुगा मेंड़राय… खबरी जनइबो अदित से सुगा देले जूठियाय सुगा देले जूठियाय… ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरछाय… सुगा गिरे मुरछाय… केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंड़राय… ओह पर सुगा मेंड़राय…

पटना के घाट पर नारियर नारियर किनबे जरूर… नारियर किनबो जरूर… हाजीपुर से केरवा मँगाई के अरघ देबे जरूर… अरघ देबे जरुर… आदित मनायेब छठ परबिया वर मँगबे जरूर… वर मँगबे जरूर… पटना के घाट पर नारियर नारियर किनबे जरूर… नारियर किनबो जरूर… पाँच पुतर, अन, धन, लछमी, लछमी मँगबे जरूर… लछमी मँगबे जरूर… पान, सुपारी, कचवनिया छठ पूजबे जरूर… छठ पूजबे जरूर… हियरा के करबो रे कंचन वर मँगबे जरूर… वर मँगबे जरूर… पाँच पुतर, अन, धन, लछमी, लछमी मँगबे जरूर… लछमी मँगबे जरूर… पुआ पकवान कचवनिया सूपवा भरबे जरूर… सूपवा भरबे जरूर… फल-फूल भरबे दउरिया सेनूरा टिकबे जरूर… सेनूरा टिकबे जरुर… उहवें जे बाड़ी छठी मईया आदित रिझबे जरूर… आदित रिझबे जरूर… काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाए… बहँगी लचकति जाए… बात जे पुछेले बटोहिया बहँगी केकरा के जाए? बहँगी केकरा के जाए? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाए… बहँगी छठी माई के जाए..”

यह था छठ पर्व का लोकगीत .

यह भी पढ़ें

  • तेज़ी से फैल रहा है डेंगू का बुखार, जानिए क्या है इसका लक्षण और बचाव
  • क्यों लोग वेनिस कार्निवल में घूमते हैं चेहरे पर मास्क लगाकर? क्या है इसकी ख़ासियत? जानें
  • जानिए क्यों मनाया जाता है ‘मूर्ख दिवस यानि अप्रैल फूल’ और क्या है इसका इतिहास

Back to top button
Slot Online https://kemenpppa.com/ situs toto toto slot slot toto toto togel data macau situs toto slot gacor pengeluaran macau slot pulsa 5000 slot gacor slot gopay slot777 amavi5d sesetoto mixparlay onictoto situs toto toto slot sontogel slot gacor malam ini toto slot toto slot toto slot toto slot Situs Toto togel macau pengeluaran sdy situs toto situs toto Situs Toto Situs Toto situs toto Situs toto titi4d Situs Slot Toto Slot https://www.dgsmartmom.com/ slot mahjong Situs Toto toto slot titi4d Situs Slot titi4d Situs Toto toto slot slot toto titi4d kientoto https://wonderfulgraffiti.com/ toto slot Toto Slot Slot Togel situs toto toto togel situs toto toto togel slot online toto togel sesetoto toto slot toto slot toto togel toto slot toto togel toto slot situs toto toto togel licin4d karatetoto karatetoto mma128 Winsortoto toto togel ilmutoto https://pleasureamsterdamescort.com/ slot gacor terbaru slot gacor situs toto slot gacor situs toto toto slot situs toto toto situs toto toto slot PITUNGTOTO slot thailand slot gacor toto slot slot toto togel situs toto situs toto toto slot toto slot toto slot situs togel slot 4d toto slot toto togel toto togel situs toto situs toto situs toto ayamtoto kientoto toto 4d https://www.sierradesanfrancisco.inah.gob.mx/btoto/ dvtoto pucuk4d slot gacor japan168 batakslot slot gacor toto macau slot gacor toto slot batak5d batak5d batak5d slot gacor kari4d mekar99 sulebet mekar99 togel900 https://iwcc-ciwc.org/ slot gacor togel900 togel900 sulebet toto 4d Slot demo toto togel toto slot licin4d agen bola terpercaya vegas969 4d situs toto toto slot pascol4d slot gacor slot gacor slot88 slot gacor toto togel slot thailand toto togel situs toto situs toto RP888 slot gacor ayamtoto situs toto terpercaya toto togel slot toto togel venom55 angker4d mayorqq kiostoto taruhanbola taruhanbola https://old.ccmcc.edu naruto88 leon188 login mpomax situs togel terpercaya bandar togel kientoto venom55 paten188 slot gacor dentoto situs togel toto slot https://extrastaruk.com/ Wikatogel toto pascol4d slot scatter hitam kapakbet sulebet https://www.customsclearance.net/ toto slot pascol4d toto slot babeh188 naruto88 https://extrastaruk.com/ 4d babeh188 slot deposit dana Slot pulsa indosat hoki69 toto slot toto slot toto macau situs toto toto togel toto slot slot gacor