अध्यात्म

इन मंदिरो में पुरूषों के आने पर है मनाही, वजह जानकर आप हो जाएंगे हैरान

न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: कई मंदिरों के बारे में आपने सुना होगा कि वहां पर महिलाओं का जाना मना होता है, इन्हीं मान्यताओं को मानने वाला एक मंदिर है सबरीमाला, इस मंदिर में महिलाओं के आने पर रोक को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि इस मंदिर को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई, सबरीमला में महिलाओं को जाने से रोकने को लैंगिक समानता के विपरीत माना जाने लगा।

बता दें कि ऐसी कई धार्मिक जगहें हैं जहां पर महिलाओं की एंट्री को लेकर विवाद होते रहते हैं और उन विरोधों का सामना करते हुए महिलाओं ने उन धार्मिक जगहों पर जाने की जिद भी ठानी है। हाजी अली दरगाह पर भी महिलाओं का जाना मना था लेकिन साल 2016 से महिलाओं को यहां पर एंट्री मिल गई। इसके बाद साल 2017 में तृप्ती देसाई ने शनि शिगनापुर के मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की थी लेकिन उनको रोक दिया गया था। ऐसे कई मंदिर हैं जहां पर महिलाओं के जाने पर  रोक है ऐसा माना जाता है कि वहां पर महिलाओं का जाना अशुभ होता है और यह परंपरा वहां सदियों से चलती आ रही है। ऐसे मुद्दे मीडिया के माध्यम से काफी उछाले जाते हैं, लेकिन इस बात का विरोध  करने वाले ये नहीं जानते कि भारत में कई मंदिर ऐसे भी हैं जहां पर किसी विशेष दिनों या बाकी दिनों में पुरुषों का जाना वर्जित होता है या पहले कभी वर्जित था। भारत में ऐसे एक दो नहीं बल्कि पूरे सात मंदिर हैं जहां पर पुरुषों को सिर्फ मंदिर के आंगन तक ही जाने की अनुमति होती है, उनको मूर्ति के पास जाना मना होता है।

अट्टुकल मंदिर (तिरुवनंतपुरम, केरल)

केरल के तिरूवंतपुरम में स्थित अट्टुकल मंदिर में भद्रकाली की पूजा होती है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां पोंगल त्यौहार पर सिर्फ महिलाएं ही देवी को भोग चढ़ा सकती हैं। यह वो मंदिर है जिसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हैं क्योंकि यहां पोंगल त्यौहार के समय एक साथ 35 लाख महिलाएं आ गई थीं। ये महिलाओं का सबसे बड़ा ऐसा जुलूस था जो किसी धार्मिक काम के लिए इकट्ठा हुए थे।

इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा है, कन्नागी जिसे भद्रकाली का रूप माना जाता है उनकी शादी एक धनवान परिवार के बेटे कोवलन से हुई थी, लेकिन कोवलन ने अपनी अय्याश आदतों के चलते एक नाचने वाली पर अपना सारा धन लुटा देता है और जब तक उसे इस बात का एहसास होता तब तक वो अपनी सब कुछ लुटा चुका था। जीवनयापन करने क लिए उसके पास सिर्फ उसकी पत्नी कन्नागी की एक बेशकीमती पायल ही बची थी जिसे बेचने के लिए वो मदुरई के राजा के दरबार कोवलन गया , अक्समात उसी समय रानी की वैसी ही पायल चोरी हुई थी जिसका दोषी कोवलन को मानकर उसका सर कलम कर दिया गया था। जिसके बाद कन्नागी ने अपनी दूसरी पायल ले जाकर राजा के दरबार में दिखाई थी और मदुरई को जलने का श्राप दे दिया था। ऐसा माना जाता है कि भद्रकाली अट्टुकल मंदिर में पोंगल के दौरान 10 दिन रहती हैं।

चक्कुलाथुकावु मंदिर (नीरात्तुपुरम, केरल)

ये मंदिर भी केरल में ही स्थित है. यहां हर साल पोंगल के अवसर पर नारी पूजा होती है। इस पूजा में पुरुष पुजारी महिलाओं के पैर धोते हैं और उस दिन को धानु कहा जाता है। इस पूजा के दिन पुरुष पुजारी भी मंदिर के अंदर नहीं जा सकते हैं। पोंगल के समय इस मंदिर में 15 दिन पहले से ही महिलाओं का हुजूम देखने को मिलता है। महिलाएं अपने साथ पोंगल बनाने की सामग्री चावल, गुड़ और नारियल लेकर आती हैं और मंदिर में ही पोंगल नाकर प्रसाद के रूप में वितरित करती हैं। ये मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है।

बता दें इस मंदिर को महिलाओं का सबरीमला भी कहा जाता है। हिंदू पुराण देवी महात्मयम में इस मंदिर के बारे में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि दो राक्षसों शुभ और निशुंभ का वध करने के लिए देवताओं ने देवी को याद किया था क्योंकि ये दोनों राक्षस किसी पुरुष के हाथों नहीं मर सकते थे।

 संतोषी माता मंदिर (जोधपुर, राजस्थान)

राजस्थान के जोधपुर में संतोषी माता के एक मंदिर है जहां पर शुक्रवार के दिन पुरूषों को जाने की इजाजात नहीं होती है। शुक्रवार के दिन संतोषी माता के मंदिर में महिलाओं को खास पूजा करने की इजाजत होती है, जिसको करने के लिए वो मंदिर पहुंचती हैं।  सेतोषी माता के व्रत की कथाओं में उनकी परम भक्त सत्यवती की कहानी कही जाती है। बता दें पुरूषों को इस मंदिर में जाने की मनाही सिर्फ एक दिन की ही होती है।

ब्रह्म देव का मंदिर (पुष्कर, राजस्थान)

पूरे हिंदुस्तान में ब्रह्मा जी का केवल एक ही मंदिर है और वो पुष्कर में स्थित हैं, ये मंदिर अपने आप में एक ऐतिहासिक मान्यता रखता है। और इस मंदिर में किसी भी शादीशुदा पुरूष को आने की मनाही होती है। ऐसी मान्यता है कि वैवाहिक जीवन की शुरूआत कर चुके पुरुष अगर इस मंदिर में जाएंगे तो उनके जीवन में दुख आ जाएगा। बता दें इस मंदिर में पुरुष केवल मंदिर के आंगन तक जाते हैं और अंदर जाकर पूजा सिर्फ महिलाएं ही करती हैं।

इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार ब्रह्मा जी को पुष्कर में एक यज्ञ करना था जहां पर माता सरस्वती को उस यज्ञ में पहुंचने में देरी हो गई, जिस कारण ब्रह्मा ने देवी गायत्री से शादी कर यज्ञ पूरा कर लिया। यह देखकर सरस्वती माता क्रोधित हो गई और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि कोई भी शादीशुदा पुरुष उनके मंदिर में नहीं जाएगा।

 कोट्टनकुलंगरा/ भगवती देवी मंदिर (कन्याकुमारी, तमिलनाडु)

तमिलनाडु के कन्याकुमारी में मां भगवती का ये मंदिर स्थापित है, इस मंदिर में मां भगवती की पूजा होती है, जो दुर्गा मां  का ही एक रूप मानी गई हैं। इस मंदिर में जानें के लिए पुरूषों को महिलाओं की तरह सोलह श्रंगार करना होता है तभी वो मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। इस मंदिर में महिलाओं के अलावा किन्नरों को भी पूजा करने की आजादी होती है।

इस मंदिर की स्थापना के पीछे भी एक पौराणिक कथा  है जिसके अनुसार मां देवी यहां तपस्या करने आईं थीं ताकि वो भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर सकें। इसी के साथ एक और मान्यता यह कहती है कि सती माता की रीढ़ की हड्डी इस स्थान पर गिरी थी और उसके बाद ही यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर में सन्यासी पुरुष मंदिर के गेट तक तो जा सकते हैं, लेकिन उसके आगे जाना उनको भी मना है।

मुजफ्फरपुर का माता मंदिर (मुजफ्फरपुर, बिहार)

बिहार के मुजफ्फरपुर में देवी का एक ऐसा मंदिर है जहां पुरुषों का आना एक निश्चित समय के लिए हंद कर दिया जाता है। इस दैरान पुरूष में पुजारी भी नहीं रह सकते हैं और वहां सिर्फ महिलाएं ही पूजा करती हैं।

कामरूप कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम)

असम में स्थित कामख्या मां के मंदिर में माता की माहवारी का उत्सव मनाया जाता है। उत्सव के दौरान मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित हो जाता है। इस दौरान केवल महिला संत और संन्यासिन ही मंदिर में पूजा करती हैं। बता दें कि इस मंदिर में माता सती के माहवारी का कपड़ा बहुत शुभ माना जाता है। ये मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है।

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि सती माता ने शिव जी का अपमान होने पर हवन कुंड में खुद को सती  कर दिया था जिससे शिव जी क्रोधित हो गए थे और वो सति का शरीर लेकर तांडव करने लगे,  शिव जी के इस विकराल रूप को देखकर भगवान विष्णु ने सृष्टि को बचाने के लिए सति के शरीर को सुदर्शन चक्र से काट दिया था, जिससे सति के 108 टुकड़े हुए थे और जो पृथ्वी पर जा गिरे थे, सती के शरीर के ये टुकड़े जहां भी गिरे वहां एक शक्ति पीठ बन गई।  कामाख्या में माता सती की योनि‍ गिरी थी।

त्र्यंबकेश्वर मंदिर (नासिक, महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र के नासिक में बने इस मंदिर का गर्भगृह भगवान शिव को समर्पित है। गर्भगृह में पहले महिलाओं के जाने पर रोक थी, जिसके बाद 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अगर महिलाओं का मंदिर में जाना वर्जित है तो पुरुष भी इसमें नहीं जा सकते। कोर्ट के इस फैसले के बाद से गर्भगृह में पुरुषों का जाना भी मना हो गया है।

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