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दीपावली पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा धमाका, अब पटाखे जलाने के लिए….

न्यूजट्रैंड वेबडेस्कः दीपावली का त्यौहार नजदीक है औऱ लोगों मे सबसे ज्यादा उत्साह पटाखे जलाने को लेकर है। हालांकि कोर्ट की तरफ से एक बार फिर दीवाली से पहले निर्देश आया है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन नहीं लगाई है, लेकिन इसके लिए कुछ जरुरी निर्देश जारी किए हैं।

अदालत ने फिल्पकार्ट और अमेजॉन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर मिलने वाले ज्यादा डेसीबल वाले पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की ही बाजार में बिक्री हो रही है और त्यौहार के दिन रात के 8ः10 बजे के बीच ही आतिशबाजी की जाए।

सिर्फ दीवाली के लिए ही नहीं बल्कि शादी, न्यू ईयर जैसे खास मौके पर भी देर तक आतिशबाजी नहीं कर सकते हैं। दिल्ली और साथ ही दूसरे शहरों में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने मंगवारे को दिए फैसले में कहा है कि क्रिसमस, नए साल और शादी के मौके पर आप आतिशबाजी की जा सकती है, लेकिन इस दौरान भी कम प्रदूषण वाले पटाखें जलाएं। रात  में करीब 12 बजकर 35 मिनट के लिए आतिशबाजी कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के यह हैं निर्देश

  • लड़ी की बिक्री पर रोक रहेगी क्योंकि इसस सबसे ज्यादा ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलता है और बहुत सारा कचरा इक्ट्ठा होता है।

  • कोर्ट ने फ्लिपकॉर्ट और अमेजॉन पर  अगर तय लिमिट से बड़े पटाखों की ऑनलाइन बिक्री होती है तो संबंधित कंपनियों पर कार्यवाही की जाएगी।

  • प्रशासन द्वारा तय के गए लाइसेंसी बाजारों या दुकानों पर प्रदुषण वाले पटाखों की बिक्री हो सकेगी। जिन विक्रेताओं के पास लाइसेंस है केवल वही पटाखें चला सकते हैं।
  • दिवाली से पहले पटाखे बनाने वाली फैक्ट्री की जांच की जाएगी
  • दिवाली पर पटाखे चलाने से रोक नहीं, लेकिन इन शर्तों को मानना जरुरी है।

कोर्ट के दिशा निर्देश को लागू करवाने की जिम्मेदारी इलाके के SHO की होगी। आदेश पर अमल नहीं होने पर SHO की जवाबदेही होगी।कोर्ट के फैसले पर पर्यावरणविद विमलेंदू झा ने निराशा जाहिर की है। उनकी कहना ही कि दिल्ली में हवा बहुत पहले से प्रदुषित है ऐसे में पटाखे जलाने की अनुमति देना सही नही है। इससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ेगी और स्वास्थय पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

कोर्ट का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21 सभी वर्ग पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबध पर विचार करते समय संतुलत बरकरार रखने की जरुरत है।जहां कोर्ट ने पटाखे चलाने पर तो पाबंदी नहीं लगाई है, लेकिन कई दुकानों पर बैन लगाने से पाटाखा निर्माताओं के लिए परेशानी बढ़ गई है।

क्या कहते हैं पटाखा निर्माता

पटाखा निर्माता का कहना है कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने से वायु प्रदूषण पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए।बता दें कि कोर्ट से लगभग हर साल कम पटाखे जलाने की बात कही जाती है। बता दें कि कई लोगों के सांस में दिक्कत होने की वजह से कोर्ट में बहुत पहले यह याचिका दाखिल की गई थी।

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