अध्यात्म

जानिए नारद मुनि को किसने श्राप दिया था, कई बार प्रेम में पड़ने के बाद भी वे अविवाहित रह गए!

नारद मुनि को कौन नहीं जनता होगा, वह अत्यंत ही चंचल और हँसमुख स्वाभाव के देवता थे। उनका काम लोगों को जानकारी देना था। वह पृथ्वी लोक से जानकारी लेकर स्वर्ग लोक में देते थे और स्वर्ग लोक की जानकारी को पृथ्वी लोक में पहुँचाते थे। वह हर समय नारायण- नारायण का जाप करते थे। वह पुराने जमाने के पत्रकार थे, वे पुरे ब्रम्हाण्ड की खबर को एक जगह से दुसरे जगह पर पहुँचाने का काम करते थे।

बहुत सी पौराणिक कहानियों में नारद मुनि का जिक्र मिलता है। नारद मुनि को अपने जीवन में कई अप्सराओं से प्रेम हुआ था, लेकिन वो किसी से शादी नहीं कर पाए थे। जब भी नारद मुनि किसी रूपवती या अप्सरा को देखते थे, तो उन्हें प्रेम हो जाता था। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वे किसी से शादी नहीं कर पाए। जानिए इसका कारण क्या था?

ब्रह्मा जी ने दिया था अववाहित रहने का अभिशाप:

नारद मुनि को किसने श्राप दिया था

ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्मखण्ड में एक कहानी है, जिसके अनुसार शादी ना होने का श्राप नारद मुनि को उनके पिता ब्रह्मा से मिला हुआ था। ब्रह्मा ने ही नारद मुनि को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दिया था। उन्होंने ऐसा क्यों किया था? आइये जानते हैं।

कहानी के अनुसार जब ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण कर रहे थे, उस दौरान उन्हें चार पुत्र हुए। उन्ही में से एक नारद मुनि भी थे। तीनों पुत्र तपस्या के लिए कहीं दूर निकल गए और अकेले नारद मुनि बच गए। ब्रह्मा जी ने नारद मुनि से कहा तुम यहीं रहो और सृष्टि की रचना में मेरी मदद करो और शादी कर लो। जैसा कि आप सभी जानते हैं नारद मुनि स्वाभाव से बहुत चंचल थे। इसलिए उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा को शादी करने से मना कर दिया।

इसी वजह से नारद मुनि पुरे ब्रह्माण्ड में घूमते रहते थे:

नारद मुनि को किसने श्राप दिया था

ब्रह्मा जी यह सुनकर बहुत ही क्रोधित हो गए, और उन्होंने नारद मुनि को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे दिया। उन्होंने नारद मुनि से कहा कि तुम्हें जीवन में कई बार प्रेम होगा लेकिन तुम चाहकर भी किसी से शादी के बंधन में नहीं बंध पाओगे। तुम अपनी जिम्मेदारियों से भागते हो इसलिए तुम सारा जीवन भागते हुए ही बिताओगे, और पूरी दुनियाँ में सिर्फ दौड़ते- भागते ही रहोगे। इसी तरह नारद मुनि को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप मिल गया और वह सारा जीवन यहाँ से वहाँ भागते ही रहे।

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