अध्यात्म

आश्चर्यजनक: दुनियाँ का इकलौता ऐसा मंदिर जहाँ भक्तों को मिलता है प्रसाद के रूप में सोना!

मान लीजिये आप किसी मंदिर में पूजा करने के लिए गए हुए हैं और पूजा ख़त्म होने के बाद पुजारी आपके हाथ पर प्रसाद रखता है। आप आँख खोलकर देखते हैं तो प्रसाद की जगह सोना होता है। आप देखकर जरुर चौंक जायेंगे। लेकिन यकीन मानिये उससे भी ज्यादा इस खबर को सुनने के बाद चौकने वाले हैं! जी हाँ दुनियाँ में एक ऐसा मंदिर है जहाँ सच में प्रसाद के रूप में सोना दिया जाता है।

यह कोई मनगढ़ंत बात नहीं बल्कि हकीकत है। वो मंदिर कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही स्थित है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के रतलाम में स्थित महालक्ष्मी का मंदिर है। इस मंदिर में साल में कुछ दिनों के लिए कुबेर का खजाना बाँटा जाता है। आइये जानते हैं ऐसा किस लिए और क्यों किया जाता है।

कहाँ से आता है सोना- चाँदी:

प्रसाद के रूप में मिलता है सोना.

दरअसल यह भारत का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहाँ माँ लक्ष्मी के हजारों भक्त करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाते हैं। कुछ भक्त सोने चाँदी के गहने भी चढ़ावे के रूप में चढ़ाते हैं। इस मंदिर में सबसे ज्यादा भीड़ दीपावली के समय लगती है और उसी समय सबसे ज्यादा चढ़ावा भी चढ़ाया जाता है। धनतेरस और दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी के भक्त अपने स्वयं की इच्छा से इस मंदिर में पैसे और सोने चाँदी चढ़ाते हैं। उस समय यह मंदिर नोटों और सोने चाँदी से भरा रहता है।

आखिर क्यों बाँटा जाता है प्रसाद के रूप में सोना- चाँदी:

प्रसाद के रूप में मिलता है सोना.

दीपावली की पूजा के बाद जो भी भक्त इस मंदिर में जाता है, उन्हें प्रसाद के रूप में वही सोने चाँदी बाँटे जाते हैं। लोग यहाँ प्रसाद लेने के लिए बहुत दूर- दूर से आते हैं। यहाँ के पुजारियों का कहना है कि लोग इस प्रसाद को शगुन के रूप में मानते हैं और इसमें मिलने वाले सोने चाँदी और पैसे को खर्च नहीं करते हैं, बल्कि उसे संभालकर अपनी तिजोरी में रखते हैं। जिससे उनके जीवन में धन- धान्य की बढ़ोत्तरी होती है।

इस मंदिर में जो भी चढ़ावा चढ़ाया जाता है, उसका हिसाब रखा जाता है, ताकि चढ़ाने वाले भक्त को उसका हिसाब दिया जा सके। मंदिर की जाँच और सुरक्षा व्यवस्था बहुत ही चुस्त रहती है। हर साल यहाँ चढ़ावे की इस परंपरा को देखने के लिए देश के कोने- कोने से लोग आते हैं। अगर आप भी चढ़ावे की इस आश्चर्यजनक परंपरा को देखना चाहते हैं तो अगले साल पहुँच जाइये रतलाम और खुद अपनी आँखों से देख लीजिये।

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