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ईद के मौक पर फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान बेगारी, ‘भूखमरी से चाहिए आजादी’

देश भर में आज ईद का त्यौहार मनाया गया । इसी बीच श्रीनगर के हजरतबल से बड़ी खबर आ रही है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अबदुल्ला पर नमाज के दौरान जूते फेंक कर हमला किया गया है। और परेशान करने की कोशिश की गई। ये घटना तब हुई जब फारूक अबदुल्ला ईद उल जुहा के नमाज के लिए पुराने हजरतबल दरगाह पहुँचे थे। ज्ञात हो कि दो दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रार्थना सभा में गए । और वहाँ सभा के दौरान भारत माता की जय के नारे लगाए थे। और इसके बाद फारूक अबदुल्ला को श्रीनगर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है।

इस विरोध के बावजूद फारूक अबदुल्ला ने अपनी नमाज जारी रखी। और बाद में उन्होने कहा कि ये कुछ गुमराह लोग हैं। इसके बाद ही वहां दरगाह में मौजूद लोगों के समूह ने “फारूक अबदुल्ला वापस जाओ” “और हम क्या चाहते, आजादी के नारे लगाए”

क्या कहा फारूक अबदुल्ला ने- समाचार न्यूज एजेंसी को एनआई को इंटरव्यू देते हुए कहा कि “मैं डरने वाला नहीं हूँ, अगर ये समझते हैं कि ऐसी आजादी आएगी तो मैं इनको कहना चाहता हूँ कि पहले बेगारी, बीमारी और भूखमरी से आजादी पाओ। इसी के आगे उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो कश्मीर में अमन और तरक्की नहीं चाहते। ये लोग यहां गरीबी और और बीमारी ही देखना चाहते हैं। ये लोग बेशक हमारा विरोध करेंगे क्योंकि हम कश्मीर में तरक्की चाहते हैं। नेकां प्रमुख ने कहा कि हमें इस देश को मजबूत बनाना है और ये तभी होगा जब हम सब साथ रहेंगे।

अबदुल्ला ने कहा कि मुझे घेरकर परेशान करने वाले अपने ही लोग हैं। उन्होंने कहा कि मुझे परेशान करने वाले अपने लोग हैं, और एक नेता होने के नाते मैं उनकी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता। कुछ लोग मुझसे नाराज थे, लेकिन मेरा काम है कि मैं सभी को साथ लेकर चलूँ।

 

जानें फारूक अबदुल्ला को- फारूक अबदुल्ला नेशनल काफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम हैं। और वर्तमान में श्रीनगर से लोकसभा सांसद हैं। वे कश्मीर के एक जाने माने खानदान के वंशज हैं। इनके पुत्र उमर अबदुल्ला भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। फारूक अबदुल्ला पहली जम्मू कश्मीर के तीन बार सीएम रह चुके हैं। पहली बार मुख्यमंत्री वे अपने पिता के निधन के बाद बने। दूसरी बार 1986 से 1990 तक और तीसरी बार मुख्यमंत्री का पद 1996 से 2002 तक संभाला।

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