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जहाँ IPL में खेल कर खिलाडी हो रहे हैं मालामाल, वहीँ वर्ल्ड कप का ये विजेता भैंस चराने को है मजबूर

जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि हर साल की तरह इस साल का आईपीएल मैच भी हमेशा की तरह यादगार साबित हुआ. मैच के फाइनल पर दोनों टीमों ने जी जान लगा दी मगर जीतना तो एक ही टीम को था. तो इस बार आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स ने जीत हासिल करके धमाल मचा दिया. आईपीएल के इन दो महीनों में हर कोई यह सोच कर पागल हो रहा था कि इस बार ट्राफी कौन सी टाम की होगी मगर अब जबकि आईपीएल ख़त्म हो चुका है तो सबकी चिंता भी ख़तम हो चुकी है. चेन्नई की जीत का श्रेय सब महेंद्र सिंह धोनी को दे रहे हैं.

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि इस बार आईपीएल की विजेता टीम को 20 करोड़ की रकम इनाम के रूप में दी गई है. देखा जाए तो यह रकम मामूली नहीं है. यही नहीं इस राशि का लगभग आधा हिस्सा टीम के खिलाड़ियों के बीच भी बांटा जाएगा, जिससे जाहिर है कि विजेता टीम के खिलाड़ी भी मालामाल होंगे. जहाँ एक तरफ आईपीएल  के आखिरी मैच के बाद विजेता टीम मालामाल हो रही है, वहीँ आज हम आपको क्रिकेट के ऐसे ही एक सितारे से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो इन दिनों दयनीय जिंदगी जीने को मजबूर हो गया है.

कौन है ये प्लेयर?

दरअसल, आज हम जिस भारतीय क्रिकेट प्लेयर की बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं बल्कि साल 1998 विश्वकप के विजेता रह चुके हैं. गौरतलब है कि इस विश्व कप में स्टार खिलाड़ी रहे भालाजी डामोर के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे. साल 1998 में आयोजित हुए दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) विश्व कप में भालाजी डामोर ने  शानदार प्रदर्शन के चलते भारतीय क्रिकेट टीम को सेमी फाइनल तक पहुंचाया था.  उस समय में लोग भालाजी डामोर को एक सुपर हीरो की तरह ही मानते थे.

जिन खिलाड़ियों को जीत दिलवाने पर सरकार द्वारा सम्मानित किया जाता है, वही बात अगर भालाजी की करें तो इनकी स्तिथि इन दिनों काफी दयनीय है. भालाजी ने लगातार अपने शानदार प्रदर्शनों से भारतीय क्रिकेट टाम को जीत दिलवाई थी. लेकिन इन सब के बावजूद भी उनकी जिंदगी बाकी प्लेयर्स की तरह नहीं है और उन्हें क्रिकेट बोर्ड द्वारा ठुकरा दिया गया है. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि भालाजी एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इतना अच्छा खेलने के बावजूद भी आज इनकी अपनी कोई पहचान नहीं है और यह भैंस चरा कर अपना जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं.

किसी भी अच्छे खिलाड़ी के लिए भैंस चरा कर परिवार का पेट पालना किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है. भालाजी के परिवार को यकीन था कि सरकार उनकी मदद करेगी और उन्हें कोई न कोई नौकरी प्रदान करेगी लेकिन इन सब के बावजूद भी अब तक उनका सपोर्ट कोटा अर्थात विकलांग कोटा भी उनके काम नहीं आ पाया है. कुछ साल पहले गुजरात सरकार ने भालाजी के सम्मान में अच्छे शब्द कहे थे लेकिन अभी तक उनकी मदद करने कोई नहीं पहुंचा है.

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