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भारतबंद के बीच दलित अधिकारी ने उठाया आत्मघाती कदम, कभी अखिलेश यादव को सिखाया था सबक

बसपा सरकार के दौरान वर्तमान में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर जबरन कार में ठूसने वाले एएसपी डॉ. बीपी अशोक ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीपी अशोक ने ये कदम दलित उत्पीड़न और एससीएसटी मुद्दे पर हुए भारत बंद के बाद ये कदम उठाया है। बीपी अशोक मायावती सरकार के दौरान लखनऊ में सीओ के पद पर रहते समय टीवी चैनल के पत्रकार को भी पीटने के मामले में चर्चा में आए थे। यही नहीं उन्होंने अपना इस्तीफा सीधे राष्ट्रपति को भेज कर एससी-एसटी मुद्दे पर चल रही दलित सियासत और भी गरम कर दिया है। इसलिए जानकार इसे पैंतरेबाजी मान रहे हैं।

सोमवार को जहां दलित समुदाय ने भारत बंद का आवाहन किया था। वहीं प्रदर्शन के दौरान देश भर में जमकर हिंसा हुई। वहीं शाम को दलित समुदाय से आने वाले चर्चित अधिकारी बीपी अशोक ने इस मामले को और हवा दे दी। बीपी अशोक ने देश में हालात खराब होने का हवाला देकर सीधे राष्ट्रपति और प्रदेश के डीजीपी को अपना इस्तीफा भेजा है। साथ ही एक वीडियो भी जारी किया है।

मायावती के हैं खासमखास

बीपी अशोक मायावती के करीबी मानें जाते हैं, बसपा सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, और वर्तमान में पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात थे। एएसपी बीपी अशोक को बसपा सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती मिलती रही है। पुलिस महकमे में उन्हें बहुजन समाज पार्टी का करीबी माना जाता है।

क्या लिखा है इस्तीफा में

इस पत्र में कहा गया है कि भारत में वर्तमान में ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं, जिनके कारण मुझे हृदय से भारी आघात पहुंचा है। कुछ बिन्दुओं को आपके संज्ञान में लाकर मैं अपने जीवन का बहुत कठोर निर्णय ले रहा हूं। उन्होंने पूरे देश के आक्रोशित युवाओं से शांति की अपील के साथ अपना पत्र राष्ट्रपति को भेजा है।

दलित समुदाय के बीपी अशोक ने अपने इस्तीफे में देश में जारी कई मसलों पर नाराजगी जताते हुए लिखा है कि एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है। साथ ही कहा कि देश में संसदीय लोकतंत्र को बचाया जाए, रूल ऑफ जज, रूल ऑफ पुलिस के स्थान पर रूल ऑफ लॉ का सम्मान किया जाए।

साथ उन्होंने महिलाओं को जनप्रतिनिधित्व अभी तक नहीं दिए जाने पर निराशा जताई और महिलाओं को एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हाईकोर्ट में अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने पर भी निराशा जताई। बीपी अशोक ने पत्र में प्रोन्नतियों में भेदभाव का भी आरोप लगाया है।

माया सरकार के दौरान कई प्राइम पोस्टिंग में रहने वाले बीपी अशोक बीते कई सालों से साइड लाइन थे। अखिलेश यादव ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए अशोक को पीटीसी चुनार भेज दिया था। जहां पांच साल काटने के बाद बीजेपी ने लखनऊ स्थित पीटीसी में तबादला कर दिया था। तब से लगातार साइड पोस्टिंग में रहे।

एएसपी बीपी अशोक के पिता देवी सिंह अशोक भी आईपीएस थे। रिटायर होने के बाद उन्होने दलित मूवमेंट से जुड़ने का निर्णय लिया था। जिसके कारण कांशीराम और मायावती के खासे करीबी अधिकारियों में माने जाते थे। बीपी अशोक का इस्तीफा भी राजनीतिक कदम माना जा रहा है।

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