स्वास्थ्य

अगर आप सीधा या इस तरह सोते हैं तो जरुर पढ़े ये ख़बर, वर्ना पछताएंगे आप

मनुष्य के जीवन में नींद का महत्व हर किसी को मालूम है। यदि किसी को रात में नींद अच्छी नहीं आती, तो उसका पूरा दिन आलस से भरा हुआ रहता है और दिन भर का काम सही से नहीं होता है। समुद्रशास्त्र में इस विषय में काफी जानकारी दी गयी है। ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में भी यह बात सामने आ चुकी है कि सोने के तरीके पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह की नींद आती है। इसके अलावा, आपके सोने के तरीके का आपके शरीर पर भी बूरा असर पड़ता है। तो आइय़े आपको बताते हैं कि सोने के तरीके का शरीर पर असर कितना पड़ता है?

सोने के तरीके का शरीर पर असर

पीठ के बल सोना

हमारे सोने के तरीके का शरीर पर असर पड़ता है। अगर आप अच्छी नींद और सेहत चाहते हैं तो आपको पीठ के बल सोना चाहिए। इस अवस्था में सिर, हाथ-पैर और रीड़ की हड्डी अपनी प्राकृतिक स्थिति में रहते है जिससे चहरे और स्किन पर होने वाली झुर्रियां भी नहीं होती है। लेकिन, इस पोजीशन में सोने से खर्राटे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और तनाव होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

सोने का स्टारफिश तरीका

सोने का स्टारफिश तरीका भी अच्छा माना जाता है। इसमें आप पीठ के बल सोकर अपने दोनों पैरों को फैला लेते हैं और दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने सर के पास रखते हैं। यह तरीका भी सोने के लिए सबसे अच्छा माना गया है।

बांयी करवट सोने के फायदे

अगर आप बायीं करवट लेकर सोते हैं तो आपको इसके कई लाभ मिल सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक, इस स्थिति में सोने से दिल के रोग, पेट की खराबी, गैस, एसिडिटी और थकान जैसी परेशानियों से राहत मिलती है।

दायीं करवट लेकर सोने के नुकसान

लेकिन, दायीं करवट लेकर सोने वाले लोगों को अपनी ये आदत तुरंत बदल लेनी चाहिए। क्योंकि, इस अवस्था में सोने से शरीर में मौजूद टाक्सिन बाहर नहीं निकल पाते जिससे हार्ट रेट बढ़ने जैसी समस्या आ जाती है।

पेट के बल सोना होता है नुकसानदेह

पेट के बल सोने को सबसे ज्यादा खतरनाक माना गया है। इस अवस्था में सोने से पेट, गर्दन, रीढ़ की हड्डी आदि को नुकसान पहुँचता है। खासकर मिर्गी के मरीज को इस पोजीशन में नहीं सोना चाहिए।

कितने घंटे जरूरी है नींद

एक सामान्य व्यक्ति को कितने घंटे सोने चाहिए इस पर कई शोध हो चुके हैं। इसलिए, हम आपको बता दें कि हर किसी की जरुरत और काम अलग-अलग होते हैं इसलिए कम से कम 6 घंटे और ज्यादा से ज्यादा 9 घंटे तक की नींद लेना सही माना जाता है। अगर कोई इससे कम या ज्यादा नींद लेता है तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं। कम नींद लेने से व्यक्ति की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, अगर कोई 9 घंटे से ज्यादा की नींद लेता है तो उसे बेचैनी, सिरदर्द और आलस जैसी बिमारियां घेर लेती हैं। नींद को लेकर अगर आप किसी तरह की गलती कर रहे हैं तो इसका असर आपकी सेहत पर पड़ता है। इसके अलावा, इससे आपकी पर्सेनालिटी और कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।

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