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तो अब अखिलेश देंगे मायावती को ये रिटर्न गिफ्ट, जरूर पढ़े

यूपी की दो लोकसभा सीट पर उपचुनाव  में सपा ने जबरदस्त जीत हासिल की  तो अखिलेश मायावती  को धन्यवाद कहना बिल्कुल नहीं भूले। जी हां, अखिलेश और मायावती के एक साथ आने के बाद यूपी में बड़ा राजनीतिक फेरबदल देखने को मिला, जिसके बाद इन दोनों पार्टियोे के भविष्य पर भी चर्चा तेज हो चुकी हैं। बता दें कि यहां बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि क्या अखिलेश और मायावती की जोड़ी आगामी लोकसभा में  एक साथ उतरेगी? ये तो खैर वक्त ही बताएगा, लेकिन जानकारों की माने तो दोनों ही पार्टियां एक साथ आने के लिए मन ही मन रणनीति बना चुकी हैं। आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास हैंं?

गोरखपुर औऱ फूलपुर में जिस तरह से मायावती ने अखिलेश की पार्टी को समर्थन किया, ठीक उसी तरह से अब अखिलेश की बारी है कि वो बुआ को रिटर्न गिफ्ट दें। यूं तो अखिलेश राज्यसभा में मायावती को रिटर्न गिफ्ट दे सकते हैं, जिसकी उन्होंने ओपचारिक घोषणा भी कर दी है, लेकिन अभी एक लड़ाई और बाकी है, जहां अखिलेश को अपनी दोस्ती का रिटर्न गिफ्ट देना है। तो चलिए जानते हैं कि अखिलेश मायावती को क्या रिटर्न गिफ्ट देने की तैयारी में है?

बताते चलें कि गोरखपुर और फूलपुर के बाद अब सपा और बसपा की नजरें कैराना लोकसभा सीट पर है, जोकि बाजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन की वजह से खाली हुई है, ऐसे में अब सपा प्रमुख अखिलेश मायावती को रिटर्न गिफ्ट दे सकते हैं, जिसकी वजह से उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो जाएगी। बता दें कि कैराना में बसपा अपना उम्मीदवार उतार सकती है, जिसे समाजवादी पार्टी समर्थन देगी। और यही अखिलेश की तरफ से माया को रिटर्न गिफ्ट होगा।

याद दिला दें कि सपा-बसपा के बीजेपी नेताओं को जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा था  कि अब इनकी घंमडी भाषा बदल जाएगी, क्योंकि गोरखपुर में घंमड हार गया तो फूलपुर में फूल मुरझा गया है, इससे इन्हें सबक लेना चाहिए, क्योंकि जनता ने इन्हें नाकार दिया है। इसके बाद अखिलेश मायावती से मिलने  उनके घर भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने मायावती को फिर से धन्यवाद दिया था, दरअसल, अखिलेश इसके सहारे भविष्य की दोस्ती पक्की करने में लगे हुए हैं।

अब कैराना लोकसभा सीट पर बसपा अपना उम्मीदवार उतार सकती है, तो इस सीट पर अखिलेश अपना समर्थन पूरी तरह से बसपा उम्मीदवार को  देंगे, क्योंकि मायावती ने फूलपुर और गोरखपुर की सीट पर बसपा ने सपा को पूरा समर्थन दिया था, जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी बीजेपी के गढ़ में सेंध करने में कामयाब हुई थी।

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