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तो इसीलिए नहीं खाते ब्राह्मण लहसुन-प्याज, वजह जानेंगे तो आप भी खाना छोड़ देंगे

ब्राह्मण क्यों नहीं खाते लहसून और प्याज : अक्सर आपने देखा या सुना होगा कि ब्राह्मण लहसुन और प्याज का परहेज करते हैं, लेकिन क्यों करते हैं, इसके पीछे सब आपको अलग अलग वजह बताएंगे, पर हम आपको एक स्टोरी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिससे आपके मन के सारे सवाल दूर हो जाएंगे। जी हां, ये सभी जानते हैं कि ब्राह्मण इसका सेवन नहीं करते हैं, तो कोई इसके पीछे ये भी वजह बताता है कि उनके शान के खिलाफ होता है, लेकिन इसकी असली वजह क्या है, इसके लिए आपको हमारे इस रिपोर्ट को आखिरी तक पढ़ना पढ़ेगा।

शास्त्रों में इस बात की असली वजह बताई गई है कि किस वजह से ब्राह्मण इन चीजों का सेवन नहीं करते हैं? इसके पीछे की कहानी बहुत ही लंबी है, लेकिन आजकल शार्टकट का जमाना है, तो हम भी आपको गोल गोल न घूमाते हुए बल्कि कम शब्दों में ही कहानी को पूरी कर देंगे।

बता दें कि समुद्र मंथन के दौरान जब समुद्र से अमृत का कलश निकला था, तब विष्णु भगवान सभी देवताओं को अमर होने के लिए अमृत बांट रहे थे तो उसी दौरान राहुल केतु के नामक दो राक्षस भी उनके बीच आकर बैठ गये थे, ऐसे में गलती से भगवान ने उन्हें भी अमृत पिला दिया था, लेकिन जैसे ही देवताओं को ये पता चला तो विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके धड़ से राक्षसों के सर को अलग कर दिया था।

प्याज और लहसुन की उत्पत्ति:

ब्राह्मण क्यों नहीं खाते लहसून और प्याज

सिर धर से अलग होने तक उनके मुंह के अंदर अमृत की कुछ बूंदे चली गई, ऐसे में राक्षसों का सिर तो अमर हो गया, लेकिन बाकि सब नष्ट हो गया। लेकिन जब विष्णु जी ने उन पर प्रहार किया तो कुछ खून की कुछ बूंदे नीचे गिर गई थी, ऐसे में उन्ही खून से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई, जिसकी वजह से इन्हे खाने से मुंह से गंध आती है।

गौरतलब है कि राक्षसों के खून से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई जिसकी वजह से ब्राह्मण इसका सेवन नहीं करते हैं। क्योंकि उनका मानना होता है कि प्याज औऱ लहसुन में राक्षसों का वास है।

इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं। हम आपको उन वजहों की भी जानकारी दे रहे हैं जिनके चलते ब्राह्मण प्याज और लहसुन से दूरी बनाते हैं…

फूड कैटगराइजेशन:
आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक। मानसिक स्थितियों के आधार पर इन्हें हम ऐसे बांट सकते हैं…

सात्विक: शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण
राजसिक: जुनून और खुशी जैसे गुण
तामसिक: क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण

ये हैं वजह: क्यों नहीं खाते लहसून और प्याज

अहिंसा: प्याज़ और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस (लशुनी) पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिसका मतलब है कि ये जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते हैं। अहिंसा – हिंदू धर्म में, हत्या (रोगाणुओं की भी) निषिद्ध है। जबकि जमीन के नीचे उगने वाले भोजन में समुचित सफाई की जरूरत होती है, जो सूक्ष्मजीवों की मौत का कारण बनता है। अतः ये मान्यता भी प्याज़ और लहसुन को ब्राह्मणों के लिये निषेध बनाती है, लेकिन तब सवाल आलू, मोल्ली और गाजर पर उठता है।

अशुद्ध खाद्य: कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है। शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं, क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं। ब्राह्मणों को पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है, क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जोकि प्रकृति में सात्विक (शुद्ध) होते हैं।

सनातन धर्म के अनुसार: क्यों नहीं खाते लहसून और प्याज

सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं, जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कराण इनका सेवन नहीं करना चाहिेए।

मान्यताएं: इन बातों का अब कम महत्व है, क्योंकि शहरी जीवन में तो जाति व्यवस्था विलुप्त होने के कगार पर है और बेहद कम लोग ही इन नियमों का पालन करते हैं। आज के दौर के अधिकांश लोग, खासतौर पर युवा पीढ़ी इसे अंधविश्वास से जोड़ कर देखती है या यह वर्तमान जीवन शैली के कारण इनका पालन नहीं कर सकती है।

तो दोस्तों अभी आप को पता चल गया है की ब्राह्मण क्यों नहीं खाते लहसून और प्याज, आप को ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो ज़रूर शेयर करें

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