अध्यात्म

महाशिवरात्रि: 13 और 14 तारीख में है दुविधा, तो यहां मिलेगा सही जवाब

भगवान शिव के भक्तो के लिए शिवरात्रि का दिन विशेष महत्व रखता है माना जाता है इस दिन पूजा-अर्चना करने से भोले बाबा भक्तो की सभी मनोकामना पूरी करते हैं ऐसे में शिव भक्तो को इस दिन का विशेष तौर इंतजार रहता है लेकिन इस साल शिवरात्रि की तिथि को लेकर संशय की स्थिति बन गई है क्योंकि इस बार 13 फरवरी और 14 फरवरी दोनों ही तारीखों में चतुर्दशी का संयोग बन रहा है। ऐसे में अगर आप भी इसे लेकर परेशान है कि आखिर किस दिन भगवान शिव की पूजा की जाए तो हम आपको इसके लिए वो तथ्य बताने जा रहे हैं जिससे ये भ्रम का निवारण हो जाएगा।

महाशिवरात्रि का दिन सुनिश्चित् करने से पहले कुछ बातों का स्पष्ट होना आवश्यक है.. जैसे कि संक्रान्ति की ही तरह शिवरात्रि भी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है जिसे मास शिवरात्रि कहते हैं और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं ..  वहीं ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा सूर्य के अत्याधिक समीप होता है.. ऐसे में इसी समय जीवन रूपी चंद्रमा और शिवरूपी सूर्य का योग मिलन होता है.. इसीलिए ये मान्यता चली आ रही है कि इस दिन शिवपूजा करने से मनुष्य को अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

वहीं शास्त्रों की बात करें तो स्कंदपुराण के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपवास करना चाहिए, वही तिथि सर्वोत्तम है और शिव से सायुज्य उत्पन्न करती है.. और उसी दिन व्रत करना चाहिए, जब कि चतुर्दशी अर्धरात्रि के पूर्व और उपरांत भी रहें।चूंकि इस वर्ष  चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी, 2018 को रात्रि 11:34 को प्रारंभ हो रही है जो कि त्रयोदशी तिथि से युक्त है और 14 फरवरी को रात्रि 12:46 तक है.. ऐसे में 14 फरवरी के दिन ही व्रत करना श्रेयस्कर माना जा रहा है। क्योंकि 14 फरवरी को चतुर्दशी उदया तिथि से प्रारंभ हो कर रात्रि कालीन 12:46 तक का योग है, ऐसे में इस दिन प्रदोष बेला में चतुर्दशी तिथि प्राप्त हो रही, जिस समय से निशा पूजन का विधान प्रारंभ होता है… इसीलिए इस दिन महाशिवरात्रि का व्रत एवं पूजन करना हितकर है।

ज्योतिष और शास्त्रो के जानकारों की माने तो इसी दिन दाम्पत्य जीवन जीने वाले लोगों के लिए भी व्रत करना चाहिए साथ ही अगर किसी बालक बालिकाओं के विवाह में भी विलंब हो रहा हो तो उनके लिए इसी दिन व्रत रखना लाभदायी होगा ।

जबकि इस बार 13 फरवरी के दिन व्रत पूजा विद्वानों, साधु-मुनियों और पढ़ने वाले लड़के-लड़कियों के लिए फलदायी रहेगा , क्योंकि ये दिन त्रयोदशी तिथि और प्रदोष व्रत से युक्त है.. ऐसे यह व्रत प्रदोष व्रत में मान्य होगा न कि शिवरात्रि में मान्य होगा, क्योंकि इस दिन निशा काल तक त्रयोदशी तिथि है और शास्त्रों की माने तो महाशिवरात्रि के दिन ऋषि मुनियों और विद्वानों के लिए निशा काल में पूजन का विधान बताया गया है, जो कि चार प्रहर तक का करना चाहिए.. ऐसे चार प्रहर का पूजन प्रदोष काल से प्रारंभ कर के प्रातः काल ब्रह्म मूहुर्त्त तक होता है।

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