अध्यात्म

देखें पहली बार कैमरे में कैद हुई भगवान शिव की अद्भुत छवि, नासा भी देख कर रह गया हैरान

धरती पर ईश्वर के अस्तित्व को लेकर हमेशा से बहस होती रही है.. ईश्वर में विश्वास रखने वालों का कहना है कि हर जगर हर स्थान में ईश्वर बसते हैं वहीं विज्ञान हमेशा से ईश्वर के अस्तित्व को नकारता रहा हैं .. लेकिन हाल ही में कुछ ऐसा देखने को मिला है जिसे देख नासा के वैज्ञानिको के भी होश उड़ गए .. जी हां, कैलाश पर्वत से कुछ ऐसी तस्वीरे सामने आई हैं जिसमें भगवान शिव की छवि साफ नजर आ रही है .. ऐसे में इन तस्वीरों को देख नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हो गए हैं।

माना जाता है कि मानसरोवर के कैलाश पर्वत पर भगवान शिव विराजमान होते हैं ऐसे में हर साल लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन करने मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं.. भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने के लिए लोग कठिन यात्रा तय कर मानसरोवर जाते हैं लेकिन अगर आप अभी तक इस यात्रा पर नहीं जा सके हैं तो कोई बात नहीं हैं क्योंकि आज हम आपको घर बैठे कैलाश मानसरोवर में ध्यान लगाए भगवान शिव के दर्शन करा रहे हैं। दरअसल हाल ही में कैलाश पर्वत पर कुछ ऐसी आकृति देखी गई जिसमें भगवान शिव की छवि नजर आ रही है .. मानो भगवान शिव खुद अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।

आपको बता दें कि ये तस्वीर गूगल अर्थ से ली गई हैं। कैमरे के विभिन्न एंगल से ली गई तस्वीरों को देख आज हर कोई हैरान है। ऐसे में इस तस्वीरों के सामने आते ही ये चर्चा का विषय बन गया है एक तरफ जहां लोग इसे भोले बाबा की कृपा मान रहे हैं वहीं नासा जैसा वैज्ञानिक संस्थान भी इसे देख हैरान रह गया है। कैलास पर्वत पर साक्षात दिख रही भगवान शिव के इस आकृति को आजकल सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है।

वैसे भगवान शिव में विश्वास रखने वाले तो हमेशा से ही कैलाश को शिव-शंभू का धाम मानते हैं ..  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर वो पावन स्थान है, जहाँ भगवान शिव देवी पार्वती के साथ विराजते हैं। ऐसे में सनातन धर्म में इस स्थान को 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वर्तमान समय में कैलास पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है जो कि समुद्र की सतह से 22,028 फीट ऊँचा एक पत्थर का पिरामिड जैसा है, जिसकी चोटी की आकृति एक विराट शिवलिंग की तरह है। ये पर्वत हमेशा बर्फ से अच्छादित रहता है  जिसके चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुखाकृतियां है, जिससे ब्रह्मपुत्र, सिंधु नदी, सतलज और करनाली नदी का उद्गम हुआ है, आकृतियों की बात करे तो पूर्व में अश्वमुख है तो पश्चिम में हाथी का मुख है वहीं उत्तर में सिंह का मुख है जबकि  दक्षिण में मोर का मुख है।

ऐसे में परम पावन कैलाश पर्वत हिन्दु धर्म में विशिष्ट स्थान रखता है .. हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने के लिए हज़ारों साधु-संत और श्रद्धालु एकत्रित होते हैं औरइस तरह इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफ़ी बढ़ जाती है। आपको बता दें कि इस स्थान की अध्यात्मिक महत्ता का व्यवहारिक प्रमाण भी मिलता है और इस अलौकिक जगह पर हमेशा प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों के समागम से ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है।

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