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PHOTOS: एमकॉम के बाद साध्वी बनी ये लड़की, फिर सामने आया ये रूप

इंदौर: इस दुनिया में दो प्रकार के लोग रहते हैं. एक आस्तिक, जो भगवान को मानते हैं और दुसरे नास्तिक जिनका भगवान पर कोई विश्वास नहीं होता. भले हम सब भगवान को कभी देख नहीं सकते लेकिन, भगवान ने हमे इस धरती पर जन्म इसी लिए दिया है ताकि हम उसके नाम का जाप करें, उसकी भक्ति में लीन रहें. मगर आज की इस कलयुगी दुनिया में इंसान अपने काम काज में इतना व्यस्त हो चुका है कि उसको भगवान याद ही नहीं रहता. जिस भगवान को हमे सबसे ज्यादा वक़्त देना चाहिए, उसी को दो मिनट देने में हमे झिजक महसूस होती है.

ऐसे में हमारे समाज में आज भी कुछ अच्छे लोग हैं, जो भगवान की भक्ति पर अटूट विश्वास रखते हैं और सादगी को अपना जीवन बना लेते हैं. जो लोग सनयास धारण करते हैं, उनके अगले कईं जन्म तक वह भगवान के चहेते बने रहते हैं. आज की पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी को सन्यासी बातों में कोई रुचि नही है, वह ऐशो आराम में अपना सारा समय व्यतीत कर देते हैं. लेकिन, हाल ही में छत्तीसगढ़ की रहने वाली छाया श्रीश्रीमाल ने सन्यासी जीवन बिताने की ठान ली है.

आपको हम बता दें कि अब छाया श्रीश्रीमाल, छवि प्रज्ञाश्रीजी के नाम से जानी जाएंगी. छाया आज की यूथ के लिए एक उदाहरण सिद्ध हो रही है. 29 साल की छाया ने एमकॉम की है साथ ही उन्हें कंप्यूटर में भी ख़ास रुचि रही है. धार्मिक प्रवृत्ति रखने वाली छाया ने इस गुरूवार को गांधी हाल में जैन धर्म की दीक्षा ली. इस मौके पर जैन धर्म के हजारों लोग वहां मौजूद थे.

छाया के खुद को साध्वी बनाने के फैसले के बाद श्री साधुमार्गी जैन समता संघ ने सुबह से दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया था. इस मौके पर छाया श्रीश्रीमल को आचार्य रामलाल की मौजूदगी में दीक्षा दी गई. इस दीक्षा के दौरान वहां उन्हें करमि भंते का  पाठ करने की सलाह दी गई और उसके बाद उन्हें भगवती दीक्षा प्रदान की गई. छाया के दीक्षा लेने के बाद वहां के आचार्य ने उन्हें आशीर्वाद दिया.

दीक्षा के बाद आचार्य ने वहां मौजूद सभी लोगों को आजीवन खुश और सुखी रहने का आशीर्वाद दिया साथ ही सबको सादा और साफ़ जीवन व्यतीत करने की सलाह दी. उनके कथन के बाद पूरे हाल में जयकारे गूँज उठे. जानकारी के अनुसार हाल ही में बनी साध्वी छाया के  पिता गुलाबचंद और माता लीला श्रीश्रीमाल छत्तीसगढ़ के कवर्धा के रहने वाले हैं. अपनी बच्ची के इस फैसले से दोनों माता पिता काफी खुश हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं.

दीक्षा लेने के अवसर से कुछ समय पूर्व छाया का वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया. इसी दौरान वहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल थे. दीक्षा महोत्सव की ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए लोगों ने वहां महावीर का पाठ किया और कईं झांकियां निकाल कर नई साध्वी का स्वागत किया. इस शोभायात्रा ने सभी लोगों का मन मोह लिया.

वहीँ छाया के अनुसार बचपन से ही उन्हें भगवान से काफी लगाव था और अब वह साध्वी बन कर तमाम उम्र के लिए भगवान की भक्ति करना चाहती है. छाया की दीक्षा लेने के बाद उनकी तसवीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं.

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