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इस महारानी के लिए उसकी खूबसूरती ही बन गयी उसकी दुश्मन, इसी किले से कूदकर देनी पड़ी अपनी जान

झाँसी: हमारे देश में कई ऐसी वीरांगनाएँ रह चुकी हैं, जिनके बारे में जानने के बाद एक अलग ही जोश अन्दर भर जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज पुरे देश में संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को रिलीज किया जा रहा है। पद्मावत में रानी पद्मिनी के जीवन के बारे में दिखाया गया है। इसी को लेकर इस समय देश में काफी बवाल भी मचा हुआ है। करणी सेना और बीजेपी के कई नेताओं का यह आरोप है कि निर्देशक ने इतिहास को इस फिल्म में तोड़-मरोड़कर पेश किया है।

फिल्म में भंसाली ने भारतीय महिला की इज्जत को गलत रूप से पेश किया है। इसी बात से नाराज राजपूत और करणी सेना के लोगों ने फिल्म का खूब विरोध किया। हालाँकि यह फिल्म रिलीज होने वाली है। केवल यही एक रानी पद्मिनी ही नहीं बल्कि पूरा भारतीय इतिहास ऐसी ही कई विरंगानों से भरा हुआ है, जिन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए अपनी जान दे दी। आज हम आपको 1300 इसवी की एक सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। यकीन इस घटना के बारे में जानकर आपका रोम-रोम जोश से भर जायेगा।

बुंदेलखंड के राजा मानसिंह की खुबसूरत बेटी राजकुमारी केसर के साथ 100 महिलाओं के जौहर की गाथा आज भी लोकगीतों में गाई जाती है। झांसी के गढ़ कुंडार किले का इतिहास भी अपने आप में एक अनसुलझी पहेली की तरह है। यहाँ पर चंदेलों का एक किला था। इस किले को जिनागढ़ के नाम से जाना जाता था। खंगार वंशीय खेत सिंह बनारस से सन 1180 के आस-पास बुंदेलखंड आये और जिनागढ़ किले पर अपना कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद उन्होंने एक नए राज्य की स्थापना की। उनके पोते ने किले का फिर से निर्माण करवाया और इसका नाम बदलकर गढ़ कुंडार रखा।

खंगार वंश के ही अंतिम राजा मानसिंह थे। जिनकी एक खुबसूरत बेटी थी नाम था केसर। वह इतनी खुबसूरत थी कि उसकी सुन्दरता के चर्चे दिल्ली तक होते थे। उसकी खूबसूरती की वजह से दिल्ली के राजा मोहम्मद बिन तुगलक ने उससे शादी का प्रस्ताव भेजा। उसके प्रस्ताव को राजा मानसिंह ने ठुकरा दिया। राजा के इनकार करने के बाद तुगलक बैलगाड़ी पर बैठकर वहां पहुंचा। उसने राजकुमारी का चेहरा देखने की इच्छा ज़ाहिर की, लेकिन मानसिंह ने मना कर दिया। इसके बाद तुगलक नाराज हो गया और उसने गढ़ कुंडार पर आक्रमण कर दिया। बहुत लोग मारे गए।

अपनी सेना को हारते हुए देखकर राजकुमारी केसर ने किले के जौहर कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी। उनको ऐसा करता देखकर किले में मौजूद 100 नौकरानियों और बच्चों ने भी जौहर कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी। आज के समय में पुरे बुंदेलखंड में राजकुमारी केसर के जौहर की गाथा गाई जाती है। तुगलक ने जिले हुए किले और यहाँ के भूभाग को बुंदेलों को सौंप दिया। 1531 में यहाँ के राजा रूद्र प्रताप ने बुंदेलों की राजधानी गढ़ कुंडार से ओरछा कर दी।

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