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पत्नी डिंपल की सीट से ‘घर वापसी’ करना चाहते हैं पूर्व सीएम अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी तैयारियां करती हुई नजर आ रही है। जी हां, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है। बता दें कि अखिलेश यादव ने साफ किया है कि सपा का गढ़ यानि कन्नौज की सीट से वो ही चुनाव लड़ेंगे।

समाजवादी पार्टी का गढ़ यानि कन्नौज से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद है। लेकिन पिछले साल 24 सितंबर को परिवारवाद के एक सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर हम परिवारवाद करते हैं तो हमारी पत्नी अागे से कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी, ऐसे में अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव डिंपल की सीट से आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।

बता दें कि यूपी का कन्नौज लोकसभा क्षेत्र सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन सांसद डिंपल यादव 2019 में यहां से चुनाव नहीं लड़ेंगी। जी हां, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश ने खुद ही इस सीट से चुनाव लड़ने का संकेत देते हुए कहा कि कन्नौज लोहिया जी की सीट रही है, इसीलिए मैं चाहता हूं कि कन्नौज सीट से हमें चुनाव लड़ने का मौका मिले, यानि साफ है कि अखिलेश डिंपल की सीट से घर वापसी करना चाहतें है।

कन्नौज का सियासी गणित, सपा का जातीय समीकरण

कन्नौज में समाजवादी पार्टी जातीय समीकरण रहा है, लेकिन अब यह जातीय समीकरण फेल होता दिख रहा है। जी हां, जिस जातीय समीकरण से सपा कन्नौज की सीट को जीतती रही है, अब वो फीका पड़ गया है। इसका जीता जागता सबूत 2014 का लोकसभा चुनाव तो वहीं 2017 का विधानसभा चुनाव है। बता दें कि अखिलेश यादव के सत्ता में रहते हुए भी 2014 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव को चुनाव बड़ी मुश्किल से जीती थी। रही सही कसर 2017 के विधानसभा में पूरी हो गई, जब कन्नौज के 5 विधानसभा सीट में से बीजेपी ने 4 सीटों पर परचम लहराया था, बाकि बची एक सीट सपा बड़ी मुश्किल से जीत पाई थी।

बता देंं कि साल 2009 में डिंपल ने यहां किस्मत आजमाई थी, लेकिन राज बब्बर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद 2012 में अखिलेश ने सीएम बनने के बाद कन्नौज के सांसद पद से इस्तीफा दिया था, फिर यहां हुए उपचुनाव में डिंपल सांसद बनी थी, फिर साल 2014 में वो दोबारा कन्नौज में डिंपल ने अपना परचम लहराया।

अखिलेश की घर वापसी की राह आसान नहीं

अखिलेश यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ने के तरफ इशारा किया है, जिसके बाद यहां यह समझना होगा कि अखिलेश के लिए घर वापसी करना आसान नहीं है। बता दें कि केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद से ही सूबे में सियासी समीकरण बदल चुका है। जी हां, बदले सियासी समीकरण में अखिलेश के लिए भी कन्नौज से जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि 2014 के ही लोकसभा चुनाव में डिंपल बड़ी मुश्किल से जीत पाई थी, डिपंल  19 हजार 907 वोट से जीती थी, जिसके मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि अखिलेश की घर वापसी आसान नहीं होगी।

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