अध्यात्म

यहाँ होती है भगवान श्रीराम के बहन की पूजा, कम ही लोग जानते हैं उनकी बहन का रहस्य, आप भी जानें

रामायण के बारे में सभी लोगों को पता है। रामायण में विस्तार से वर्णित किया गया है कि किस तरह से भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास होता है। इस वनवास में उनके साथ माता सीता और लक्ष्मण भी जाते हैं। वनवास के दौरान ही रावण माता सीता का अपहरण कर लेता है। माता सीता को बचाने के लिए भगवान राम लंका पर चढ़ाई कर देते हैं और रावण का वध करके माता सीता को बचा लेते हैं। इसके बाद माता सीता को लेकर अयोध्या आते हैं।

भगवान श्रीराम और उनके भाइयों की कहानी सभी लोगों को पता है, लेकिन कोई नहीं जनता कि उनकी बहन का क्या हुआ? लेकिन हमारे देश में एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ श्रीराम की बड़ी बहन शांता की पूजा की जाती है। यह मंदिर कहीं और नहीं बल्कि हिमांचल प्रदेश के मशहूर शहर कुल्लू में स्थित है। यहाँ पर यह मान्यता प्रचलित है कि इस मंदिर में जिसकी पूजा की जाती है, वह कोई और नहीं बल्कि भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता हैं।

यह मंदिर कुल्लू शहर से लगभग 50 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर में शांता देवी की प्रतिमा के साथ उनके पति श्रृंग ऋषि की प्रतिमा भी विराजमान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रृंग ऋषि श्रृष्यश्रृंग भिन्ड़क के पुत्र थे। यही वह ऋषि थे जिन्होंने राजा दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिस जगह पर उन्होंने यज्ञ करवाया था, वह जगह अयोध्या से लगभग 39 किमी पूर्व में स्थित था। आज भी वहीँ पर श्रृष्यश्रृंग ऋषि का आश्रम है।

देवी शांता के बारे में एक प्राचीन मान्यता प्रचलित है कि राजा दशरथ ने अंगदेश के राजा रोमपद को अपनी बेटी शांता को गोद दे दिया था। एक बार जब अंगदेश के राजा रोमपद राजा दशरथ से मिलने अयोध्या अपनी पत्नी के साथ आये तो राजा दशरथ को मालूम चला की उनकी कोई संतान नहीं है। संतान ना होने का क्या दुःख होता है यह समझते हुए राजा दशरथ ने अपनी बेटी शांता को उन्हें दे दिया। उसके बाद राजा रोमपद शांता को लेकर वापस अंगदेश लौट आये।

शांता देवी के मंदिर की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहाँ भगवान श्रीराम से जुड़े हुए सभी उत्सवों को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर में राम जन्मोत्सव और दशहरा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के बारे में एक और मान्यता प्रचलित है कि जो भी भक्त सच्चे मन से देवी शांता और उनके पति की पूजा करता है, उन्हें भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी इस मंदिर के बारे में अबतक अंजान थे तो कुल्लू जाइये और माता शांता देवी के दर्शन कीजिये।

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