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भारत की इस खूबसूरत रानी ने पति से तलाक लेने के लिए बदल लिया था धर्म, दुनियाभर में थी प्रसिद्ध

महारानी सीता देवी अपने रुतबे के लिए दुनिया भर में जानी जाती थी। ये बेहद ही खूबसूरत हुआ करती थी और विदेशों में होने वाली हाईसोसायटी पार्टी में अक्सर नजर आया करती थी। महारानी सीता देवी की लव स्टोरी भी काफी दिलचस्प है। दरअसल शादी करने के बाद महारानी सीता देवी का दिल एक राजा पर आ गया था। जिसके बाद इन्होंने अपने पति से अलग होने की इच्छा जाहिर की। लेकिन महारानी सीता देवी के पति ने इन्हें तलाक देने से साफ मना कर दिया। ऐसे में अपने प्यार को पाने के लिए इन्होंने अनोखा तरीका अपनाया।

महारानी सीता देवी के पिता का नाम राव वेंकट कुमार महीपति सूर्या राउ था। जो कि छोटी तेलुगु रियासत पीतमपुर के राजा थे। सीता देवी का जन्म मद्रास में हुआ था। वहीं इनकी शादी वाययुर के जमींदार एमआर अप्पाराव बहादुर से हुई थी। इस शादी से इन्हें तीन बच्चे भी थे। ये आजाद ख्यालों की थी और शादी के बाद ये दुनियाभर में घूमा करती थी। ये रजवाड़ों की पार्टियों में भी जाया करती थी। वहीं साल 1943 में महारानी सीता देवी के जीवन में राजा प्रताप सिंह गायकवाड़ आए। राजा प्रताप सिंह गायकवाड़ को देखते ही इन्हें उनसे प्यार हो गया। इन दोनों की मुलाकात मद्रास हार्स रेस कोर्स में हुई थी। प्रताप सिंह काफी रईसी और प्रसिद्ध राजा थे। प्रताप भी जब सीता देवी से मिले तो उन्हें दिल दे बैठे।

ये दोनों एक दूसरे से प्यार किया करते थे। लेकिन दोनों की शादीशुदा थे। प्रताप सिंह गायकवाड़ चार बच्चों के पिता थे और ये सीता देवी को अपनी दूसरी रानी बनाना चाहते थे। सीता देवी भी इनसे प्यार करती थी और शादी करना चाहती थी। ऐसे में इन्होंने बिना कोई देरी किए अपने पति से तलाक मांग लिया। लेकिन इनके पति ने इन्हें तलाक देने से मना कर दिया।

धर्म बदलकर लिया तलाक

सीता देवी ने अपने पति को काफी समझाया। लेकिन वो नहीं मानें। सीता देवी के पति अप्पाराव ने प्रताव गायकवाड़ को अपनी बीवी से दूर रहने की चेतावनी भी दी। वहीं अपने पति से अलग होने के लिए तब सीता देवी ने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर इनसे तलाक लेने का रास्ता निकाला। महाराजा प्रताप गायकवाड़ की कानूनी टीम ने सीता देवी को मुस्लिम धर्म अपनाने को कहा। सीता देवी ने वैसा ही किया। इसके बाद सीता देवी ने एक तलाकनामा तैयार कराया। चूंकि वो मुस्लिम हो गई थी, इसलिए वो गैर मुस्लिम पति के साथ नहीं रह सकतीं। इस्लाम के अनुसार उन्हें अलग होने की अनुमति दी जाती थी। ऐसे में अदालत ने इन्हें पति से अलग होने की अनुमति दे दी।

दूसरी ओर प्रताप गायकवाड़ भी अपने पत्नी से अलग होना चाहते थे। लेकिन सरकार के कानूनी के कारण ऐसा कर पाना मुश्किल था। बड़ौदा में कानून था कि पहली पत्नी के जिंदा रहते या बगैर तलाक कोई दूसरी शादी नहीं कर सकता है। लेकिन सरकार ने महाराजा होने के नाते उन्हें इस कानून से छूट दे दी। साथ में ये शर्त भी रखी कि महाराजा प्रताप गायकवाड़ के बाद बड़ौदा राजघराने का उत्तराधिकारी पहली पत्नी का बेटा होगा।

सीता देवी और प्रताप गायकवाड़ की शादी में आने वाली सभी रुकावटें दूर हो गई थी। सीता देवी ने अपना धर्म फिर बदल लिया और हिंदू बन गई। तीनों बच्चों को पूर्व पति के पास छोड़कर महाराज बड़ौदा से शादी रचा ली। शादी के दौरान दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे में जब साल 1946 में वर्ल्ड वार खत्म हुआ तो महाराजा बड़ौदा सीता देवी के साथ यूरोप टूर पर चले गए। यूरोप के कई देश घूमने के बाद महारानी सीता देवी को मोनाको पसंद आया। प्रताप गायकवाड़ ने वहां रानी के लिए आलीशान किलेनुमा बंगला खरीदा। मोनाको में महारानी सीता देवी का स्वागत मोनाको के महाराजा और महारानी ने किया। इस शादी से इन्हें एक बेटा भी हुआ।

वहीं साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो बड़ौदा का विलय भारतीय संघ में हो गया। इस दौरान भारत सरकार ने पाया कि बड़ौदा का खजाना मोनाको भेजा जा चुका है। महारानी सीता देवी ने उसे लौटाने से मना कर दिया। सीता देवी की उस समय की संपत्ति करीब 300 मिलियन डॉलर यानी करीब 2200 करोड़ रुपए की थी। महाराजा प्रताप गायकवाड़ साल में कई बार वहां आते-जाते रहते थे। जबकि सीता देवी दुनिया घूमा करती थी।

राजा से हो गई अलग

कहा जाता है कि एक बार ये अमेरिका में थी और यहां से फोन पर महाराजा प्रताप गायकवाड़ से बात नहीं हो पा रही थी। ऐसे में सीता देवी ने लंदन आकर इनसे फोन पर बात की और वापस अमेरिका लौट गई। इन दोनों के बीच 13 साल तक सब अच्छा चलता रहा। लेकिन साल 1956 में इन्होंने तलाक ले लिया। तलाक के बाद सीता देवी को कुछ पैसे राजा ने दिए। लेकिन धीरे-धीरे ये कर्जे में डूबने लगी। ये अपने बेटे के विदेश में रहती थी और खर्च उठाने के लिए इन्होंने जेवरात बेचने शुरू कर दिए। वहीं साल 1985 में ड्रग और ज्यादा शराब के कारण इनके बेटे की मौत हो गई। इसके एक साल बाद पेरिस में इनका भी निधन हो गया। उस समय इनकी आयु 69 साल की उम्र थी।

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