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टीनएज में बच्चे होने लगते हैं परिवार से दूर, इन 5 टिप्स को अपनाने से मजबूत होगी आपकी बॉन्डिंग

छोटे बच्चों का पालन पोषण आसान होता है क्योंकि उनका मन एक कोरा कागज होता है जिस पर आप जो लिखते जाएं वहीं उनके मन पर छप जाता है। हालांकि वहीं बच्चे जब टीनएज में पहुंचते है तो उनके मन और शरीर में तरह तरह के बदलाव आते हैं। बच्चे कई बार भावनाएं ही नहीं समझ पाते और इसलिए वो परिवार से दूरी बनाने लगते हैं। इसके अलावा उन्हें और भी तरह समस्या होने लगती है।

दरअसल किशोरावस्था में बच्चों के मन में बहुत तरह के सवाल आते हैं जिन्हे वो परिवार से शेयर नहीं कर पाते। इस वजह से वो अपने परिवार से दूर होने लगते हैं और अकेले में समय बीताना पसंद करते हैं। परिवार के लिए ऐसे में बच्चों को समझाना मुश्किल होता है और ऐसे में घर में लड़ाई झगड़े बढ़ने लगते हैं। हालांकि अगर आप अपने टीनएज बच्चे के साथ ऐसा करते हैं तो इससे आपकी समस्या दूर नहीं होगी बल्कि बढ़ जाएगी। आपको बताते हैं कि कैसे टीन एज बच्चों के साथ डील करें ताकी आप उनकी परेशानी को दूर कर सकें।

स्पेस है जरुरी

लोगों का लगता है कि स्पेस सिर्फ बड़ों को चाहिए होता है जबकि ये सच नहीं है। टीनएज बच्चों को भी स्पेस की जरुरत होती है। किशोरावस्था में बच्चो में कई तरह के हॉर्मोन में बदलाव होते हैं। बच्चे अपने बारे में कई बाते सोचने लगते हैं। उनमें सोचने और विचार करने की समझ भी विकसित होने लगती। कई बार खुद वो समझ नहीं पाते कि उन्हें गुस्सा क्यों आ रहा है और वो खुश क्यों हो रहे हैं। ऐसे में उनसे बार बार सवाल ना पूछे और उन्हें थोड़ा स्पेस दें। जब आप उन्हें खुद से बात करने का मौका देंगे तो वो अपनी परेशानी को समझ पाएंगे।

बच्चों पर करें भरोसा

ज्यादातर पैरेंट्स अपने बच्चों पर भरोसा नहीं करते। उन्हें दूसरों के बच्चों के साथ बार-बार कंपेयर कर वो उन्हें खुद से दूर कर देते हैं। हर बच्चे की अपनी अलग खासियत होती है। ज्यादातर पैरेंट्स को लगता है कि बच्चे को सहारे की जरुरत है और वो अपना काम सही से नहीं कर पाएगा, इसलिए वो किसी भी काम को कैसे करें ये जरुर बताते हैं। हमेशा अपने बच्चे के साथ ऐसा करेंगे तो वो इरिटेट हो जाएगा। बच्चे को अपने हिसाब से काम करने दें और उसकी काबिलियत पर भरोसा रखेँ।

गलती करने पर समझाएं

बहुत से पैरेंट्स को लगता है कि बच्चे ने गलती की है तो उसे डांट मार ही पड़नी चाहिए। जब बच्चा किशोरावस्था में पहुंच जाए तो उसे मारे या डांटे नहीं। सबसे पहले ये जानने की कोशिश करें कि उसने वो गलती क्यों की। इसके बाद उसे प्यार से समझाएं। बच्चे जब टीनएज में पहुंचते हैं तो उनमें आत्मसम्मान की भावना विकसित होने लगती है। उनमे संवेदनशीलता बढ़ने लगती है। ऐसे में किसी भी तरह की गलती पर ना उन्हें डांटे और ना ही उनका मजाक उड़ाए। इस अवस्था में अगर किसी बच्चे के साथ बुरा बर्ताव किया जाए तो वो उनके विकास पर असर डालता है। ऐसे में इन बातों की सावधानी बरतें।

खर्च पर दे ध्यान

बढ़ते हुए बच्चों में अक्सर नई जरुरतें पैदा होने लगती हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि वो इसका ध्यान रखें और खर्च के हिसाब से जितना जरुरी हो उतना ही पैसा बच्चे को दें। शान दिखाने के लिए कभी भी बच्चो को पैसा ना दें। इस उमर में बच्चों को फोन लेने का ,कार और बाइक लेने का भी शौक चढ़ता है। अगर आप उनकी बेवजह की जरुरत पूरी करते रहेंगे तो उन्हें पैसे की अहमियत समझ नहीं आएगी।

दोस्तों पर दें ध्यान

किशोरावस्था में बच्चे बहुत ज्यादा दोस्त बनाते हैं। इस उमर में उन्हें हर तरह के लोग अट्रैक्ट करते हैं। स्कूल के अलावा कॉलोनी में भी दोस्ती बढ़ती है और कई बार बच्चे अपनी से दोगुनी उम्र के बच्चे के साथ दोस्ती कर लेते हैं। हालांकि इस उम्र में बच्चों पर बुरी संगत का असर जल्दी होता है। इस वजह से ये ध्यान रखें कि आपके बच्चे के दोस्त कैसे हैं। इसके लिए उन पर जोर आजमाइश ना करें और बच्चो से दोस्ताना व्यवहार रखें। अगर बच्चे अच्छी संगत में नहीं हैं तो उन्हें प्यार से समझाएं। बच्चों पर भरोसा करें और उन्हें सही गलत का फर्क करना सिखाएं।

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