अध्यात्म

….जब एक मेंढक के प्रश्न उत्तर न तो प्रभु श्री राम दे सके न उनका यह विद्वान भक्त!

वैसे तो भगवान श्री राम का पूरा जीवन ही अनेक आश्चर्यजनक घटनाओं से भरा हुआ है। उनकी महिमा के ढेरों प्रसंग पढ़ने और सुनने को मिलते हैं। प्रभु श्री राम के जीवन के कुछ प्रसंग ऐसे भी हैं जो बहुत रोचक हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा ही एक प्रसंग आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जो बहुत ही कम लोगों को पता है। एक ऐसा ही प्रसंग है जिससे प्रभु श्री राम की उदारता और महिमा प्रकट होती है। Frog shocked lord sri ram.

मेंढक की बात सुन प्रभु राम हो गए हैरान –

Frog shocked lord sri ram

एक बार प्रभु श्री राम और उनके भ्राता लक्ष्मण सीता जी को खोजते हुए जा रहे थे तो मार्ग में पड़ने वाले शिवरी के आश्रम में गये। वहीं से वे सरोवर में स्नान के लिए गये और अपने-अपने धनुष बाहर तट पर रख दिया। जब वे स्नान करके बाहर निकले तो लक्ष्मण ने देखा कि उनके धनुष की नोक पर रक्त लगा हुआ था। दरअसल, उनके धनुष से एक मेंढक घायल हो गया था और लहूलुहान पड़ा हुआ था। राम जी को यह देखकर दु:ख भी हुआ और आश्चर्य भी। लक्ष्मण ने भगवान राम से कहा -“भ्राता! ऐसा लगता है कि हमसे अनजाने में कोई गलती हो गई।”

प्रभु श्री राम ने मेंढक से कहा, “जब तुम्हारे चोट लगी, तो तुम चिल्लाए क्यों नहीं?”

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मेंढक ने अपनी वेदना भरी आंखों से प्रभु श्री राम की ओर देखा और फिर आंखें नीचे कर के बोला, प्रभु ! जब मुझे सांप पकड़ता हूं तब मैं ‘राम- राम’ बोलता हूं। मुझे आशा और विश्वास रहता है कि प्रभु मेरी पुकार अवश्य सुनेंगे और मेरी मदद करेंगे। लेकिन, जब आज मैंने देखा की साक्षात प्रभु श्री राम स्वयं धनुष लगा रहे हैं तो मैं किसे पुकारता? मुझे आपके अलावा, किसी और का नाम याद नहीं है। बस इसे ही अपना सौभाग्य समझकर चुपचाप सहता रहा।

प्रभु अपने इस सच्चे भक्त का तर्क सुनकर मौन हो गए। प्रभु के पास मेंढक के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था। उन्होंने अपना आशीर्वाद देकर मेंढक को मुक्ति दे दी।

भगवान राम का नाम सिर्फ जपते रहिये
वही करेंगे बेड़ापार
सुनिये ये भजन

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