राजनीति

जानिये पीएम मोदी को ज्ञान बांटने वाले मनमोहन सिंह के राज में कैसी थी अर्थव्यवस्था

डॉ मनमोहन सिंह को हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री के अलावा देश के बेहतरीन अर्थशास्त्री के रूप में भी जानते हैं. हाल ही में उन्होंने मोदी सरकार को गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर खरी खोटी सुनाई थी. उनके अनुसार देश कि ये लो इकॉनमी  मिसमैनेजमेंट के चलते आई हैं. हालाँकि मनमोहन सिंह ये बात भूल रहे हैं कि उनके कार्यकाल में भी देश का जीडीपी ग्रोथ रेट 4.8 प्रतिशत तक गिरा था. ऐसे में अपनी पुरानी गलतियों को नज़रअंदाज़ कर वर्तमान सरकार पर आरोप मड़ते हुए उनकी इमेज धुंधली करना कहाँ तक सही हैं?

नरेंद्र मोदी Vs मनमोहन सिंह GDP रेट

जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब 2009-10 और 2013-2014 के पीरियड में इंडियन इकॉनमी 6.7% प्रति वर्ष की दर से बढ़ी थी. इसके बाद 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. ऐसे में 2014-15 और 2018-19 के बीच इंडियन इकॉनमी की प्रति वर्ष 7.3% थी. अर्थात मनमोहन सिंह के कार्यकाल की तुलना में मोदी के राज में एवरेज जीडीपी .06% की दर से बड़ी हैं. अब आप ही बताइए ऐसे में मनमोहन सिंह का अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी गवर्नमेंट को ज्ञान बाँटन कहाँ तक सही हैं?

वैसे आपको एक और दिलचस्प बात बताते हैं. जब देश में कांग्रेस सरकार का राजपाठ था तो उन्होंने कई ऐसी बकवास नीतियाँ बनाई थी जिसका भारत और उसके युवा को कोई फायदा नहीं हुआ. मसलन देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत की दिशा में कांग्रेस ने कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाए. आप चीन का ही उदाहरण लीजिये. वे अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए बहुत पैसा निवेश कर रहे हैं. इसका इन्हें फल भी मिल रहा हैं. वहीं मनमोहन सिंह मनरेगा जैसी फ़ैल स्कीम का आईडिया लेकर आए थे. इस स्कीम में उन्होंने बहुत पैसा बहाया लेकिन फिर भी गरीब लोगो पर इसका कोई पॉजिटिव इफ़ेक्ट देखने को नहीं मिला. इसी तरह कांग्रस सरकार की नाकामियाबियों से देश की हाल खस्ता हुई थी. उस स्थिति में मोदी को सबकुछ मिला था. ऐसे में उन्होंने अपनी तरफ से इसमें सुधार लाने की पूर्ण कोशिश भी की.

इसे एक और उदाहरण से समझिए. कांग्रेस ने ज्यादातर उन नीतियों पर ही जोर दिया जिसमे सभी बेंको का पैसा जल्दी खाली होता. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और उसके बैंकिंग सेक्टर का गहरा ताल्लुक होता हैं. ऐसे में यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गांधी पर इन सरकारी बैंको को लूटने के आरोप लगते रहे. पहले कांग्रेस सरकारी बैंको से भारी लोन लेती थी और उसे बड़े बड़े कारोबारियों को दे देती थी. फिर जब पैसे चुकाने की बारी आती थी तो ये कारोबारी नाटक करते थे. नतीजा ये रहा कि देश के बैंकों में एनपीए 10 लाख करोड़ तक बढ़ गया. फिर मोदी सरकार के आने पर उन्हें ख़राब अर्थयवस्था मिली थी. बेंकिंग सेक्टर का हाल तो बहुत बुरा था.

उधर मनमोहन सिंह सोनिया गांधी द्वारा निर्मित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के आदेशों का ही पालन करते थे. ये राष्ट्रीय सलाहकार परिषद कितनी भी घटिया निति बनाए हमारे मनमोहन सिंह विद्वान अर्थशास्त्री होने के बावजूद चुपचाप देखते रहते थे. मनमोहन सिंह ने जीएसटी पर भी सवाल उठाए थे जो को बेसलेस हैं. इंडिया जैसे बड़े देश में जीएसटी की सख्त आवश्यकता थी. इससे कर प्रणाली में बहुत सुधार आए हैं. हाँ इसे लागू करने के दौरान थोड़ी मुश्किलें जरूर आई लेकिन मोदी सरकार ने उसका भी डट कर सामना किया.

कुल मिलाकर बात ये हैं कि मोदी सरकार से भले थोड़ी बहुत गलतियाँ हुई हो लेकिन कांग्रेस के मनमोहन सिंह को ये कोई अधिकार नहीं कि देश की मंदी के लिए वे 100% दोषी मोदी को ही माने. वो कांग्रेस और उसकी बकवास नीतियाँ थी जिसका प्रभाव आज तक देश को भुगतना पड़ रहा हैं. ऐसे में वो कहावत याद आ गई ‘उल्टा चोर कोतवाल ओ डांटे’.

Back to top button