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जानें किस तरह से एक राजा ने गेहूं की बोरी की मदद से किया अपने सही उत्तराधिकारी का चुनाव

जूनागढ़ नाम का एक राज्य हुआ करता था और इस राज्य के लोग अपने राजा से काफी खुश थे। क्योंकि इस राज्य का राजा लोगों का खासा ध्यान रखता था और अपने राज्य के लोगों को किसी भी चीज की कमी नहीं होने देता था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया राजा बूढ़ा होने लगा राजा को बूढ़ा होता देख राज्य की प्रजा काफी चिंता में पड़ गई और हर कोई यही सोचने लगा की राजा के बाद इस राज्य को कौन चलाएगा? राजा अपने तीनों बेटों में से किसको अपना उत्तरअधिकारी बनाएंगा? एक दिन रानी ने राजा से पूछा की महाराज हमारे तीनों बेटों में से आप किसे अपना उत्तराधिकारी  बनाएंगे। रानी का सवाल सुनने के बाद राजा ने कहा कि इस बात का फैसला मैने अभी नहीं किया है, लेकिन हमारा जो भी पुत्र सबसे ज्यादा समझदार होगा वो ही इस राज्य का राजा बनेगा।

कुछ दिनों बाद राजा ने अपने तीनों पुत्रों को बुलाया और तीनों पुत्रों को एक-एक बोरी गेहूं की दी और उनसे कहा कि मैं तुम्हारी मां के साथ एक साल के लिए बाहर जा रहा हूं और जब में वापस आओ तो तुम मुझे ये गेहूं की बोरी वापस कर देना। राजा के बड़े बेटे ने सोचा की गेहूं की बोरी को किसी तिजोरी मेें रख देता हूं ताकि इसको कोई चुरा ना सके। राजा के दूसरे और तीसरे बेटे ने सोचा की गेहूं को खेतों में बीजना ज्यादा फायदेमंद होगा। जब तक पिता वापस आएंगे उनको एक बोरी की जगह कई सारी बोरी अनाज की मिल जाएंगी। राजा के इन दोनों बेटों ने बिना देरी किए एक-एक खेत को चुन लिया और उन खेतों में गेहूं के बीजों को डाल दिया।

एक साल बाद राजा अपने राज्य वापस आ जाता है और अपने तीनों बेटों से गेहूं की बोरी को मांगता है। बड़ा बेटा तिजोरी को खोलकर उसमें रखी गेहूं की बोरी राजा को दे देता है। राजा जब उस बोरी को खोलता है तो उसमें रखे गेहूं के दानों को खराब पाता है। फिर राजा अपने दूसरे बेटे से गेहूं की बोरी को मांगता है। राजा का दूसरा बेटा राजा को एक की जगह 10 गेहूं की बोरी लाकर देता है। राजा 10 गेहूं की बोरियों को देखकर खुश हो जाता है।

फिर राजा अपने सबसे छोटे बेटे से गेहूं की बोरी मांगता है और छोटा बेटा राजा के सामने 30 गेहूं की बोरियों को लाकर रख देता है। इतनी सारी गेहूं को देख राजा हैरान हो जाता हैं। राजा अपने छोटे बेटे से पूछता है कि तुम इतनी सारी गेहूं कहां से लेकर आए। तब राजा का छोटा बेटे राजा को बताता है कि उसने एक खेत में गेहूं के दानों को बीजा था और उस खेते की अच्छे से देखभाल की थी। जिसकी वजह से ही एक बोरी की 30 बोरी बन सकी।

राजा ने अपने दूसरे बेटे से पूछा की तुम ये 10 बोरी गेहूं कहां से लाए? राजा के दूसरे बेटे ने कहा कि मैंने भी गेहूं के दानों को खेत में बीजा था। लेकिन मैंने इनको बीजने के बाद खेत की देखभाल नहीं की और इसी वजह से केवल 10 गेहूं की बोरी ही मेरे खेत से निकल पाई। अपने तीनों बेटों में से राजा को अपना छोटा बेटा सबसे ज्यादा समझदार लगा और राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया।

कहानी से मिली शिक्षा

हम लोगों का जीवन भी गेहूं की तरह है। ईश्वर ने हमें ये जीवन संसार के विकास के लिए दिया है। अगर आप अपने जीवन का सही से इस्तेमाल करेंगे तो आपको इसका फायदा मिलेगा। वहीं अगर आप अपने जीवन को बर्बाद करोंगे तो आपका हाल भी सड़ी हुई गेहूं की तरह ही होगा।

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