स्वास्थ्य

इन 6 गुणों वाली महिलाएं देती हैं जुड़वा बच्चों को जन्म, हर महिला के लिए जरूरी खबर

दुनिया में ना जाने कितने जुड़वा बच्चों का बसेरा है और हर दिन 10 में 3 कपल के जुड़वा बच्चे होते हैं. अब कभी-कभी ये आंकड़ा बढ़ भी जाता है लेकिन कम नहीं होता. बहुत से लोगों के मन में होता है कि जुड़वा बच्चे कैसे होते हैं, इसके पीछे की वजह क्या होती है लेकिन इसका सही रूप से जवाब शायद ही कोई जानता हो. जुड़वा बच्चों की सिर्फ सूरत ही एक जैसी नहीं होती बल्कि उनका रहन-सहन, बोलना-चालना और कई तरह की आदतें भी एक जैसी ही होती हैं जो अपने आप में एक अजूबा माना जाता है. मगर ये जुड़वा बच्चे किन महिलाओं को होते हैं इसका जवाब हम आपको आज के इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं. इन 6 गुणों वाली महिलाएं देती हैं जुड़वा बच्चों को जन्म, क्या आप भी नहीं जानते कि ऐसा क्यों होता है ?

इन 6 गुणों वाली महिलाएं देती हैं जुड़वा बच्चों को जन्म

मां बनना हर महिला का सपना होता है और जब वो अपने पहले बच्चे को जन्म देती है तो उसकी खुशी का ठिकाना एक मां ही लगा सकती है लेकिन अगर उस महिला ने एक नहीं बल्कि दो यानी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया फिर क्या होता है, लोग कहते हैं सोने पर सुहागा हो गया. मगर ये जुड़वा बच्चे होते कैसे हैं ये शायद ही कोई जानता है.

1. वैसे तो गर्भनिरोधक गोलियां प्रेगनेंसी को रोकने के लिए ली जाती है लेकिन इनसे सेवन से ऐसी संभावना बढ़ जाती है कि आप जुड़वा बच्चे को जन्म दें. दरअसल जब आप गोलियां खाना बंद कर देती हैं तो शुरुआत के किसी मंथली साइकल के दौरान शरीर में विभिन्न प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते है. इस वजह से इन गोलियों को खाते हुए भी आपको ट्विंस होने सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं. लेकिन अगर आपको जुड़वा बच्चे पहले ही हो चुके हैं तो इस प्रक्रिया से फिर से जुड़वा होना जरूरी नहीं है.

2. जिस भी परिवार में कुछ जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया है वहां रहने वाली महिलाओं के चांसेज बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं कि वे भी जुड़वा बच्चों को जन्म दे सकें. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि महिलाएं एग प्रोड्यूसर करने वाली होती हैं और जिसकी वजह से उनके परिवार की मां और बहनों के जींस एक-दूसरे में ट्रांसफर होते जाते हैं और उनके घर कई जुड़वा बच्चे जन्म लेते हैं.

3. अमेरिकन कॉलेज ऑफ अब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनॉकोलोजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी महिलाएं जिनका बीएमआई 30 या उससे ज्यादा होता है तो उनमें जुड़वा बच्चों को जन्म देने की सम्भावना ज्यादा होती है. हालांकि, ऐसी स्थिति में केवल फ्रैटर्नल एक से दिखने वाले जुड़वा बच्चे ही जन्म लेते हैं. ऐसी भी जानकारी मिलती रही है कि हाईट में लंबी महिलाओं में जुड़वा बच्चों के जन्म देने की संभावना ज्यादा होती है.

4. ऐसा माना जाता है कि महिलाओं की उम्र जैसे-जैसे बढने लगती है और अगर वो प्रेग्नेंट होना चाहे तो ऐसा होना संभव नहीं हो पाता लेकिन कई स्टडीज में पाया गया है कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ जुड़वा बच्चे होने की संभावना भी बढ़ने लगती है. दरअसल जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है वैसे ही फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन के निर्माण में भी कमी आने लगती है. जो एग ओवरीज़ को ओव्यलैशन के लिए रीलिज़ करने में एक अहम भूमिका निभाता है. फिर जैसे ही वो रीलिज़ होने वाला होता है तो एग की संख्या बढ़ने लगती है, और जुड़वा बच्चों के लिए गर्भधारण करने की सम्भावना बढ़ती है.

5. यूटा यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में ये पाया गया है कि एक दूसरे से अलग दिखने वाले या मैनोज़ाइगॉटिक या बिल्कुल एक से दिखने वाले बच्चों का निर्माण तब होता है जब एक एग से किसी स्पर्म द्वारा फर्टिलाइज़ किया जाता है, लेकिन इसमें दो एम्ब्रीओ निर्माण होता है. इस तरह से जन्म लेने वाले जुड़वा बच्चों की आनुवांशिक संरचना एक ही होती है. जबकि डायज़ाइगॉटिक जुड़वा बच्चे बनते हैं और वे एक जैसे दिखने लगते हैं.

6. आज के समय में आईवीएफ बहुत जोरो पर है. आप भले ही ऊपर लिखे कारणों से जुड़वा बच्चों की मां ना बन सकें लेकिन आईवीएफ यानी इन-विट्रो फर्टीलाइज़ेशन के माध्यम से ऐसा जरूर हो सकता है. जी हां, इस प्रक्रिया से एग शरीर के बाहर फर्टिलाइज होते हैं और फिर उसके बाद यूटरस (बच्चेदानी) में प्रवेश कराया जाता है. जैसे कि यह एक सहायक प्रक्रिया होती है इसीलिए हो सकता है कि आईवीएफ की वजह से आपके जुड़वा बच्चे हों जाएं.

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