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इस मामूली भिखारन द्वारा दीये गये मंदिर दान को जान कर आपके पांव तले से ज़मीन खिसक जाएगी

हिंदी न्यूज़ डेस्क: आज कल भारत में ऐसे ऐसे कारनामे हो रहे हैं कि किसी को भी हैरान कर दें. अभी पिछले दिनों एक ख़बर काफी वायरल हुई थी, जहाँ, दो अंग्रेजी भिखारनों ने पुलिस को अपनी रईसी की सच्चाई बता कर चौंका दिया था. जिसमे से एक का बेटा इंजिनियर था और दूसरी कई मिलियन डॉलर्स की मालकिन थी. हमारे देश के भिखारी तो मुकेश अम्बानी जैसे उद्योगपतियों को भी टक्कर देने की हिम्मत रखते हैं. दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग है, जिनके पास कुछ भी नहीं होता लेकिन, वह लोगों को अपनी झूठी शान-ओ-शौकत का ढोंग करके प्रभावित करने में जुटे रहते हैं. और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके पास हर ऐशो आराम की चीज़ और मिलियन रूपये भी होते हैं लेकिन वह अपना जीवन इतना साधा व्यक्त करते हैं कि सब उनको मामूली गरीब इंसान समझ कर इग्नोर कर देते हैं. कुछ ऐसा ही अज़ीबो गरीब मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहाँ एक भीख मांगने वाली औरत ने मंदिर को दान में ढाई लाख रूपये राशी चढ़ा दी. जिसके बाद से सभी हैरान हैं. चलिए जानते हैं इस महिला की पूरी कहानी आखिर क्या है…

अक्सर हमने राह चलते कईं भिखारियों को देखा होगा. जिनके हाथ पैर सही सलामत होते हैं लेकिन, फिर भी वह भीख मांगने से पीछे नहीं हटते. उनमे से बहुत लोग तो ऐसे भी हैं जो लोगों को अपाहिज बनकर लूटने के लिए भीख मांगते हैं. लेकिन आज हम आपको जो घटना बताने जा रहे हैं, उसको जानकर आपके पाँव तले से ज़मीन ही खिसक जाएगी. दरअसल, हम बात कर रहे हैं एक ऐसी भिखारन की, जिसकी मंदिर में दान की गयी राशि से पूरा देश हैरान है. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि इस महिला की उम्र फिलहाल 85 वर्ष है और ये पिछले एक दशक से भीख मांग कर ही जी रही है. आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस महिला ने मैसूर के वोंटिकोप्पल स्थित प्रसन्ना अंजनेय स्वामी मंदिर ट्रस्ट को करीबन ढाई लाख रूपये की रकम दान में दी है. जिसके बाद से सभी लोग दंग हैं.

आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस 85 वर्षीय महिला ने पिछले एक दशक से भीख मांग मांग कर ही अपने घर की रोज़ी रोटी चलाई है. इतने समय में उसने लाखों रूपये जमा कर लिए थे. लेकिन, फिर भी इस महिला को किसी प्रकार का कोई लालच नहीं था. शायद इसीलिए अपने जरूरत के पैसे निकाल कर ये बाकी बचे हुए पैसे अक्सर मंदिरों में दान कर देती है. यूँ कह लीजिये कि इंसानियत और जिंदादिली की मिसाल बन चुकी इस महिला को भगवान की सेवा में बाकी लालचों से अधिक रुचि है. पैसों से अपनी जरूरत का सामान लेकर वह बाकी बचे पैसों को मंदिर के ट्रस्ट को दान में देती है. ऐसा वह कई बार कर चुकी है.

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि इस महिला का नाम सीतालक्ष्मी है और ये अपने भाई औरबी के साथ यदावागिरी रहती है.लेकिन, शुरू से ही सीतालक्ष्मी को दूसरों पर निर्भर रहना पसंद नहीं था इसलिए वह पूरा दिन मंदिर के बाहर बैठी रहती है और सेवा करने के साथ साथ अपना पालन पोषण भीख मांग कर करती हैं. यहाँ तक कि मंदिर के कर्मचारी भी इस औरत का ख़ास ध्यान रखते हैं. अभी कुछ ही दिन बाद वासु मंदिर में उदारता के लिए इन्हें सम्मानित भी किया जायेगा.

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