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अगर ये वफादार अंग्रेज न होता तो 2 नहीं बल्कि 565 टुकड़ों में बंटा होता हिन्दुस्तान

राजस्थान – भारत को अंग्रेजों से आजादी यूँ ही नही मिली। इसके लिए हज़ारों बेगुनाहों का खून बहा, सैकड़ों शहीदों ने अपने जान की बाजी देकर हमें आजादी दिलाई। देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। लेकिन, उसके बाद देश को बंटवारे से जुझना पड़ा। आज हम आपको वो किस्सा बताने जा रहे हैं जो अगर न होता तो भारत 2 नहीं बल्कि 565 टुकड़ों में बांटा गया होता।

आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों की नज़रे जोधपुर रियासत के ऊपर थी। उस वक्त यहां के राजा हनुमंत सिंह पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे। लेकिन, उसी वक्त कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से जोधपुर रियासत पाकिस्तान में शामिल न हो सकी। दरअसल, आज़ादी से एक हफ्ते पहले ही जोधपुर के राजा हनुमंत सिंह यह घोषणा कर चुके थे कि जोधपुर भारत में शामिल नहीं होगा। आपको बता दें कि जोधपुर के पाकिस्तान में शामिल होने से भारत का राजस्थान से संपर्क टूट जाता। इतना ही नही जोधुपर के पाकिस्तान में शामिल होने से हनुमंत सिंह के रिश्तेदारों की रियासते जैसलमेर और बीकानेर भी पाकिस्तान में शामिल हो जाती। सोचिए अगर ऐसा हो जाता तो आज भारत की स्थिती कैसी होती।

 

इस बात का पता चलते ही महात्मा गाँधी को गहरा सदमा लगा। वो जानते थे ऐसा होने से भारत की हालत कैसी हो जायेगी। इसलिए तुरंत सरदार पटेल को बुलाया। सरदार पटेल जब उनसे मिलने पहुंचे तो महात्मा गांधी ने उनसे सबसे पहला सवाल यही पूछा कि आप जोधपुर के राजा से बात क्यों नहीं करते। महात्मा गांधी को परेशान देख सरदार पटेल ने कहा था कि राजा हनुमंत सिंह ने उनसे भारत में शामिल होने के लिए कहा है। लेकिन, पाकिस्तान जोधपुर को बहुत कुछ दे रहा है। पाकिस्तान ने जोधपुर के राजा से कराची पोर्ट को जोधपुर को देने को कहा है, इसलिए शायद अब वो भारत में न शामिल हो।

पाकिस्तान में शामिल होने की बात करने जोधपुर के राजा उस समय के वायसराय माउन्ट बेन्टन से मिलने आये। माउन्ट बेन्टन ने राजा हनुमंत सिंह से मुलाकात की और समझाया कि जोधपुर का भविष्य पाकिस्तान के साथ नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के साथ ज्यादा बेहतर होगा। कहा जाता है कि वायसराय माउन्ट बेन्टन के समझाने का उनपर इतना असर हुआ कि उन्होंने पाकिस्तान में शामिल होने का अपना बदल लिया। वायसराय माउन्ट बेन्टन की वजह से ही आज जोधपुर भारत का हिस्सा है।

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