अध्यात्म

चाणक्य नीति: लाख कोशिश के बाद भी ये 4 बातें कभी किसी को सिखाई नहीं जा सकती, जानिये वो बातें

आचार्य चाणक्य पाटलिपुत्र (जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है) के महान विद्वान थे. चाणक्य को उनके न्यायप्रिय आचरण के लिए जाना जाता था. इतने बड़े साम्राज्य के मंत्री होने के बावजूद वह एक साधारण सी कुटिया में रहते थे. उनका जीवन बहुत सादा था. चाणक्य ने अपने जीवन से मिले अनुभवों को चाणक्य नीति में जगह दिया है.

चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं जिस पर यदि व्यक्ति अमल करे तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. सफलता निश्चय उसके कदम चूमने लगेगी. यदि व्यक्ति इन बातों का प्रयोग अपने निजी जीवन में करे तो उसे कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ेगा. इन नीतियों में सुखी जीवन का राज़ छुपा है. नीतियों में बताई गई बातें आपको कड़वी लग सकती है पर है बिलकुल सत्य. चाणक्य नीति में कुछ बातें ऐसी बताई गई हैं जिसके गुण हम सब में जन्मजात से ही होते हैं. ये गुण किसी द्वारा सिखाये नहीं जाते. आज हम उन्हीं गुणों की बात करेंगे.

नीचे बताये गुण कभी किसी को सिखाये नहीं जा सकते

  • चाणक्य नीति के अनुसार, किसी भी व्यक्ति में दानवीर होने का गुण जन्मजात से ही होता है. यह उसके स्वभाव में शामिल होता है. उस व्यक्ति के दानशक्ति को बढ़ाना या कम करना किसी के बस की बात नहीं है. उस व्यक्ति में जितना दान-पुण्य करने की क्षमता होगी वह उतना ही करेगा.

  • जीवन में परिस्थितियां हर वक़्त एक सामान नहीं रहती. हर पल एक नयी परिस्थिति पैदा होती है. ऐसे में व्यक्ति को सही और ग़लत का निर्णय खुद करना पड़ता है. चाणक्य नीति के अनुसार, जन्म से ही व्यक्ति में यह गुण होता है कि वह मुश्किल समय में सही निर्णय ले सके. कोई उसे यह गुण सिखा नहीं सकता.

  • अगर किसी व्यक्ति में धैर्य का गुण है तो वह जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों से बच सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जो व्यक्ति बिना सोच-विचार के निर्णय लेता है उसे आगे जाकर हानि का सामना करना ही पड़ता है. चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति में धैर्य का गुण भी जन्मजात होता है. कोई व्यक्ति किसी को धैर्य रखने का गुण नहीं सिखा सकता.

  • चाणक्य नीति के अनुसार, कड़वा बोलने वाला व्यक्ति हमेशा कड़वा ही बोलेगा. थोड़े समय मीठा बोलने के उपरांत वह वापस कड़वेपन पर आ जाएगा. ऐसे व्यक्ति किसी के समझाने पर भी अपना स्वभाव नहीं बदल सकते. यह गुण उनमें जन्मजात से ही होता है. जो व्यक्ति कड़वा बोलता है उसे मीठा बोलना सीखाना नामुमकिन है.

 

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