अध्यात्म

इस एक चीज़ को त्याग कर बन सकते हैं आप जीवन में सबसे सफल इंसान, जानिए आखिर क्या है ये चीज़..

हर इंसान अपने जीवन मे आगे बढ़ना चाहता है पर वह ये नहीं जानता कि उसकी क्षमता कया है और वह आखिर किस तरह की मेहनत से आगे बढ़ सकता है? आप भी सफलता के शिखर पर पहुंचना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी मेहनत लाज़मी है. हर इंसान वह सब कुछ पाने की इच्छा रखता है, जो इस जीवन को जीने के लिए जरूरी है. मगर वो ये नहीं जनता कि आखिर उसको ये कामयाबी और सुख सुविधाएं आखिर कैसे मिल सकेंगी. तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको जीवन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अगर आप एक बार त्यागने की ठान लें, तो आपको सबसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. तो देर किस बात की दोस्तों? चलिए जानते हैं वो कौन सी चीज़ें है जिन्हें त्याग कर हम ख़ुशी भरपूर ज़िन्दगी जी सकते हैं…

अगर आपको आपके जीवन का उद्देश्य जानना है तो आपको मई एक कहानी सुनती हु. ये कहानी पढ़ कर आप समझ जायेंगे कि मनुष्य को किन चीज़ों का त्याग करना चाहिए और किन चीज़ों को हमेशा साथ रखना चाहिए. तो चलिए शुरू करते हैं इस कहानी को…

ये कहानी बदलेगी आपकी सोच

एक दार्शनिक अपने शिष्य के साथ एक गांव में पंहुचा उसे एक बड़े से खेत मे एक मकान नजर आया खेत की मिट्टी बहुत उपजाऊ नजर आई मगर उसमें बिजाई नही की गई थी. वह अपने शिष्य को लेकर खेत वाले के घर चला गया. उससे बातचीत की और रात वहां पर गुजरने’ की अनुमति मांगी. वह किसान दिखने में बहुत गरीब लग रहा था. उसके फटे हुए कपड़े उसकी दशा दरसा रहे थे. पर उसने वहां रात गुजारने की अनुमति दे दी. उसके दो बच्चे और बीवी थी वह भी मंद हाली में दिख रहे थे. दार्शनिक ने हैरानी जताते हुए किसान से पूछा आपके पास इतनी बड़ी जमीन है फिर भी आप इतने गरीब क्यों हो?

किसान ने कहा खेत मे बिजाई के लिए उसे बहुत सारे धन की आवश्यकता है जो उसके पास नही है. दार्शनिक ने पूछा उसका गुजारा कैसे चलता है? किसान ने बताया उनके पास एक भैंस है जिसका दूध बेच कर वह गुजारा करते हैं. दार्शनिक कुछ ना बोला ओर सो गया. आधी रात को उसने अपने शिष्य को उठाया और कहा कि उन्हें अभी निकलना है और जाने से पहले उन्हें उस किसान की भैंस को मार कर जाना है.

शिष्य अपने गुरु की बात सुन कर हैरान हुआ और वह जाते हुए किसान की भैंस को मार कर चले गए. दस साल बीत गए. दार्शनिक का शिष्य अब एक बड़ा आदमी बन चुका था पर उसके मन मे उस किसान के प्रति दया थी. वह एक दिन किसान की मदद के लिए उसके घर पहुंचा और उस किसान का जहां खाली खेत था वहां पर अब फलों का बगीचा था. वह ये सब देख हैरान हो गया तभी सामने से वो किसान आता दिखाई दिया. उसने भी शिष्य को पहचान लिया और उसकी खूब आवभगत की शिष्य ने पुछा,  “यह बाग किसका है?” किसान ने कहा की “ये मेरा ही है. जिस दिन आप लोग मुझे बिना बताए चले गए थे, उसी दिन मेरी भैंस भी मर गई थी. कुछ दिन हमने  जैसे तैसे गुजारे.” उसके बाद उस किसान ने बताया कि इसके बाद उन्होंने जंगल से लकड़ी काट कर बेचनी शुरू करदी. गुजारा करने के बाद जो पैसे बचते वह जमा करते रहते और उससे उन्होंने फलों के बीज खरीद कर बिजाई करनी शुरू कर दी. अब धीरे धीरे उसका फलों का बगीचा तैयार हो गया है और वह सुखी ज़िन्दगी जी रहा है.

कहानी नहीं सीख है ये…

दोस्तों ये सिर्फ एक कहानी नहीं थी बल्कि, आप सब के लिए एक बहुत बड़ी सीख थी. अगर वह किसान भैंस मरने के बाद मेहनत करने की ना सोचता तो कभी कामयाब नहीं हो पाता . बिलकुल उसी तरह हम सबके जीवन में कोई न कोई भैंस रुकावट बन जाती है, जो हमको मेहनत करने से रोकती रहती है. अगर हम उस रुकावट को ज़िन्दगी से दूर निकाल क्र फेंक दे तो हमे कामयाब होने से कोई भी नहीं रोक सकेगा. अभी आप उधारन के तौर पर धीरुभाई अम्बानी को ही ले लीजिये, जिन्होंने पेट्रोल पंप की नौकरी छोड़ी और आज पुरे भारत में सबसे अमीरी के मालिक बन चुके हैं. बिलकुल वैसे ही और भी बहुत सारी हस्तियाँ हैं, जिन्होंने कामयाबी पाने को अपनी सबसे अज़ीज़ चीज़ खो दी.

तो दोस्तों अगर आप भी आलस, आराम आदि जैसी मोह माया वाली चीज़ों का त्याग कर देंगे तो आपकी मेहनत जरुर रंग लाएगी.

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