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ये है देश की 10 मजबूत इरादों वाली महिला IAS, जिनके लिए कुछ भी नहीं ‌है नामुमकिन जानिए इनके बारे में

आज देश में महिला किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है। आज हम आपके सामने 10 ऐसी महिला आईएएस अधिकारियों की सूची लाए हैं, जिन्होनें हमारे देश में समाज की धारणा को बदल दिया है। आईएएस अधिकारी के पद की जिम्मेदारी बहुत ही चुनौतीपूर्ण होती है, इसके लिए काम की दिशा में योगदान और क्षमता की आवश्यकता होती है। अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से इन महिला अधिकारियों ने समाज को बदलने का बीड़ा उठाया, आइए जानते हैं इनके बारे में

1. किंजल सिंह (2008 बैच की आईएएस, डीएम लखीमपुर) :

किंजल सिंह 2008 में आईएएस में चयनित हुईं थीं। आज उनकी पहचान एक तेज-तर्रार अफसर के रूप में होती है। उनके काम करने के तरीके से जिले में अपराध करने वालों के पसीने छूटते हैं। वह थारु जनजाति की लड़कियों को मेन स्ट्रीम में लाने के लिए विशेष प्रोजेक्ट चला रही हैं। इसमें लड़कियों को लो कॉस्ट बिल्डिंग मटीरियल बनाना, पेपर बनाने के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना सिखाया जा रहा है। किंजल महज 6 महीने की थीं जब उनके पिता की एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने अपनी मेहनत से यह मुकाम पाया है।

2. बी. चंद्रकला (2008 बैच की आईएएस, डीएम बुलंदशहर) :

चंद्रकला का जन्म 27 सितंबर 1979 को आंध्र प्रदेश में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश कैडर की 2008 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। इन्होंने सिविल सेवा परीक्षा मे 409वीं रैंक हासिल की थी। वह वर्तमान में बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर सेवारत है। चंद्रकला एक जनजाति परिवार से संबंध रखती है। इनको सोशल मीडिया पर नगरपालिका में करप्शन उजागर करने के बाद एक वायरल हुए वीडियो से जबरदस्त पहचान मिली। सोशल मीडिया पर लाइक्स में इन्होंने सीएम को भी पीछे छोड़ा। बी. चन्द्रकला को उनकी ईमानदारी, मेहनत और लगन के लिए जाना जाता है। डीएम चन्द्रकला अपनी सुलभ छवि के कारण आम जनता में काफी लोकप्रिय हैं।

3. सौम्या अग्रवाल (2008 बैच की आईएएस, डीएम उन्नाव) :

महिला आईएएस अधिकारी सौम्या अग्रवाल देश के कोने कोने तक मशहूर हैं। सौम्या अग्रवाल ने ‘ई-अनुश्रवण’ नामक प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसके तहत सरकार द्वारा अलग-अलग विभाग में चलाई जा रही योजनाओं की मॉनिटरिंग हो सकेगी। ऐसे में जो काम धीमी गति से चलता था, उसे रफ्तार दी जा सकेगी। अभी ई-अनुश्रवण प्रोजेक्ट उन्नाव में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रहा है।

4. रौशन जैकब (2004 बैच की आईएएस) :

रोशन जैकब का जन्म 25 दिसंबर, 1978 को हुआ था। रोशन केरल से संबंध रखती है, रोशन ने 2004 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। इन्होने अपने कार्यकाल में गोंडा का नाम रोशन कर दिया। रोशन जैकब ने कानपुर में महिला सशक्तिकरण के लिए ‘शक्ति दिवस” की शुरुआत की। इसमें दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और भूमि विवाद जैसी घटनाओं को सुनवाई में रखा। योजना की सफलता को देख कर सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया।

5. शुभ्रा सक्सेना (2009 बैच की आईएएस, डीएम शाहजहांपुर) :

शुभ्रा सक्सेना अपने आप में एक मिसाल हैं। उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए जमकर पढ़ाई की और 2008 में शुभ्रा ने कमाल कर दिया। जब परीक्षा परिणाम आया तो शुभ्रा ने पूरे देश में टॉप किया। उन्होंने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सरकारी योजना का लाभ देने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसमें मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करा कर और उनके मोबाइल नंबर लेकर उन्हें योजनाओं से संबंधित एसएमएस भेजा जाएगा। शुभ्रा सक्सेना उन आईआईएस में शुमार हैं, जो कि हमेशा अपने तैनाती वाले जिलों में इनोवेशन के लिए चर्चा में रहते हैं।

6. कामिनी रतन चौहान, (उम्र- 43 साल) :

कामिनी रतन चौहान 1997 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। इन्होंने डीएम बुलंदशहर रहते हुए मतदाताओं की जागरूकता के लिए सबसे बडी रंगोली बनवा कर कीर्तिमान स्थापित किया। इस कार्य के लिए पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ‘निर्वाचन आयोग बेस्ट इलेक्ट्रल प्रेक्टिसेज अवार्ड’ से सम्मानित भी किया था। उनके गरीब और अनाथ बच्चों की अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिलाने के उनके प्रयासों की भी बहुत तारीफ हुई।

7. नीलम अहिलावत (2000 बैच की आईएएस, डीएम चित्रकूट) :

नीलम अहिलावत 2000 बैच की आईएएस‌ ऑफिसर है। उन्होंने ‘कुपोषण पुनर्वास केंद्र’ के माध्यम से कुपोषण को दूर करने में सफलता हासिल की और कस्तूरबा गांधी विद्यालय में बालिकाओं के लिए सोलर लैंप की व्यवस्था कराई है इस काम से इन्हें एक अलग ही पहचान मिली। डीएम नीलम अहलावत गरीबों को कंबल बांटकर समाजसेवा का फर्ज भी निभाती रही है।

8. दुर्गा शक्ति नागपाल (2009 बैच की आईएएस) :

दुर्गा शक्ति नागपाल 2009 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं जो अपनी ईमानदारी के लिये जानी जाती हैं। इनका जन्म 25 जून 1985 को हुआ था। इन्होंने नोएडा में उप-जिलाधिकारी रहते हुए बालू खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाया। अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा में 1.36 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली की और एफआईआर दर्ज की। बालू खनन को लेकर प्रदेश में चर्चा में रहीं, निलंबन भी हुआ।

9. डॉ. काजल (2008 बैच की आईएएस) :

डॉ. काजल 2008 बैच की आईएएस अॉफिसर हैं। ये काफी तेज तर्रार अधिकारी मानी जाती हैं। इन्होंने ‘मीनोपॉज हाइजीन मैनेजमेंट’ को लेकर रिसर्च की। रिसर्च के बाद निकले परिणाम के आधार पर हाइजीन को लेकर जिला पंचायतीराज विभाग महोबा के तहत कुटीर उद्योग के जरिए कम दर पर सैनेटरी नैपकीन उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की।

10. कंचन वर्मा (2005 बैच की आईएएस) :

कंचन वर्मा 2005 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। इन को 20 अगस्त 2016 को कॉमनवेल्थ असोसिएशन ऐंड मैनेजमेंट इंटरनैशनल इनोवेशंस अवॉर्ड से पुरस्कृत किया जा चुका है। इन्होंने 2012 में डीएम फतेहपुर रहते हुए सूख चुकी ठीठौरा झील और ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित करने का काम किया। यह नदी 46 किलोमीटर लंबी थी। इन्होंने डीएम रहते हुए 38 किलोमीटर तक की खुदाई करवा दी थी इससे झील अपने पुराने स्वरुप में आ गई और नदी 12 से लेकर 45 मीटर की चौड़ाई में बहनी शुरू हो गई। आईएएस अधिकारी कंचन प्रशासनिक क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से सम्मानित भी हो चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी की नजर में आईएएस कंचन वर्मा ईमानदार अफसरों की लिस्ट में शामिल हैं।

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