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खास ख़बर: लाश को जलाते समय खुली बच्चे की आंखें, सभी लोगो के उड़ गये होश

अशोकनगर(भोपाल): अक्सर अपने सुना होगा “मरना सच है और जीना एक झूठ है“. भले कोई कितना भी संत महापुरुष भी क्यों ना हो, हर एक इंसान का एक ना एक दिन अंत जरुर होता है. जब इतने बड़े विद्वान और भगवान धरती पर नहीं रहे तो हम इंसानों की क्या औकात है? जो इंसान जन्म लेता है, उसका मरना उसके जन्म से पहले ही तह हो चुका होता है. लेकिन, ऐसे बहुत कम लोग हैं जो मौत को मात दे पाते हैं. हाल ही में भोपाल से एक ऐसा मामला सामने आये है, जिसको पढ़ कर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे और आपके पांव के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी. दरअसल, भोपाल के एक स्कूल में खेल रहा बच्चा अचानक बेहोश हो गया. उसके माँ बाप उस बच्चे को लेकर आठ घंटे तक इधर उधर भागते रहे लेकिन, अंत में बच्चे ने दम तोड़ दिया. जब अंतिम संस्कार के लिए बच्चे को जलाने लगे तो अचानक बच्चे ने अपनी आंखें खोल दी. इसके बाद वहां मौजूद सभी लोगों के होश उड़ गये. चलिए जानते हैं आखिर पूरी ख़बर क्या है..

चक्कर खा कर बेहोश हुआ था बच्चा

जानकारी के अनुसार ईसागढ़ के भारत माता पब्लिक स्कूल में स्पोर्ट्स डे मनाया जा रहा था. इसके चलते ग्यारहवी क्लास के लड़के 200 मीटर की रेस में भाग रहे थे. सुबह 10:15 बजे हुई इस दौड़ में आशुतोष सेन तीसरे स्थान पर आया. दौड़ ख़तम होते ही आशुतोष अचानक चक्कर खा कर बेहोश हो गया और नीचे गिर गया. जिसके बाद स्कूल में बुलवाई गयी हेल्थ टीम ने उसको हस्पताल लिजाने की सलाह दी. जब पास के हस्पताल में आशुतोष को लेजाया गया तो वहां के डॉक्टर्स ने आशुतोष को मरा हुआ कह दिया. आशुतोष को जब अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट लिजाया गया तो वहां अचानक उसने अपनी आंखें खोल दी. जिसको देख वहां मौजूद लोगों में उम्मीद की एक किरण जाग गयी. उसके बाद उसके माँ बाप करीबन आठ घटने तक हस्पतालों में फिरते रहे लेकिन, सभी ने उसको मृत घोषित कर दिया. आठ घंटे के बाद जाकर आशुतोष का अंतिम संस्कार किया गया.

पोस्टमार्टम करवाने से किया इंकार

जानकारी के अनुसार आशुतोष अपने माँ बाप की इकलोती संतान था. आशुतोष को खोने के बाद उन्होंने उसका पोस्टमार्टम करवाने से साफ़ मना कर दिया था. जिसके बाद उसके अंतिम संस्कार की रस्में शुरू कर दी गयी. लेकिन, तब अचानक आशुतोष ने अपनी आधी आँख खोल दी. ज्सिके बाद उसके माँ बाप को लगा कि शायद वह अभी भी जिंदा है. वह उसको लेकर कईं डॉक्टरों के पास गये परन्तु सबने उसको मरा हुआ घोषित कर दिया. परिवार के लोगों ने जब आशुतोष को गंगा जल पिलाने की कोशिश की तो वह गंगाजल सच में उसके अंदर चला गया. जिसके बाद उन्हें उसके जिंदा रहने की इक आस बन गयी थी. लेकिन, सभी डॉक्टरों ने उसको मरा करार दे दिया. तब जा कर आशुतोष का आठ घंटे बाद जाकर अंतिम संस्कार हो पाया.

धमनी सिकुड़ने से खुली थी आँख

डॉक्टरों ने बताया कि जब आशुतोष को उनके पास लाया गया था तो वह पहले से मर चुका था. उन्होंने बताया कि बहुत से बच्चे नाज़ुक होते हैं, उन्हें भागने की इतनी आदत नहीं होती. ऐसे में तेज़ी से भागने के कारण उनकी धमनी सिकुड़ जाती है और उसी वक्त उनको कार्डियक अटैक हो जाता है. डॉक्टरों के अनुसार आर्मी के जवानों की भी ऐसे ही कईं बार मौत हो जाती है.

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