राजनीति

भारत के विकास को असाधारण बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने की पीएम मोदी की तारीफ़

वियतनाम: यह बात किसी से नहीं छ्हुपी हुई है कि इस समय अमेरिका भी भारत का एक अच्छा मित्र बन गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मोदी के काम के फैन हो चुके हैं। हाल ही में एपेक के मंच से ट्रम्प ने मोदी की जमकर तारीफ की। ट्रम्प ने एपेक के सालाना सम्मलेन से अलग शुक्रवार को सीईओ के सम्मलेन को संबोधित करते हुए भारत की असाधारण आर्थिक प्रगति की जमकर सराहना की। इसके साथ ही ट्रम्प ने एशिया-पैसिफिक की बजाय ‘इंडो-पैसिफिक’ की पैरोकारी कर दुनिया और क्षेत्रीय ताकतों को संदेश दिया है।

भारत ने किया है आसाधारण विकास:

आपको बता दें एशियाई दौरे के दौरान ट्रम्प पहली बात वियतनाम गए हैं। ट्रम्प ने मोदी की तारीफ़ करते हुए कहा कि भारत जैसे विशाल देश के नागरिकों को मोदी एक साथ लाने की दिशा में सफलता पूर्वक ट्रम्प ने अपने संबोधन के दौरान आगे कहा कि, “अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया के लिए खोलने के बाद से भारत ने असाधारण विकास किया है। इससे देश में लगातार बढ़ रहे मध्य वर्ग के लिए मौकों की नई दुनिया सृजित हुई है। भारत स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो यह दर्शाता है कि 1.3 अरब की जनसंख्या वाला देश सफल संप्रभु लोकतांत्रिक राष्ट्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी है।

डोनाल्ड ट्रंप ने की ‘इंडो-पैसिफिक’ की पैरोकारी:

जानकारी के लिए आपको बता दें पीएम मोदी भारत-आसियान और पूर्वी एशिया के शिखर सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए रविवार को फिलिपींस रवाना होंगे। ट्रम्प भी इस शिखर सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए आयेंगे। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एचआर मैकमास्टर के बाद अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ‘इंडो-पैसिफिक’ की पैरोकारी की है। आपको बता दें यहां इंडो का तात्पर्य हिंद महासागर और पैसिफिक का प्रशांत महासागर से है। ट्रंप ने संबोधन में कहा, “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में काफी समय से अमेरिका के कई साझीदार और मित्र देश रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में क्षेत्र के विकास की कहानी उस बात को दिखाती है कि लोगों द्वारा अपने भविष्य की जिम्मेदारी खुद लेने पर क्या संभव हो सकता है।“

एपेक देशों का वैश्विक अर्थव्यस्था की जीडीपी में है 60% हिस्सेदारी:

ट्रंप द्वारा किये जाने वाले इंडो-पैसिफिक शब्द के इस्तेमाल ने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच उस चतुष्कोणीय रणनीतिक सहयोग की अटकलों को हवा दे दी है, जिसके तहत चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है। एपेक में दुनिया के कुल 21 प्रभावशाली देश शामिल हैं। इस संगठन का निर्माण वर्ष 1989 में किया गया था, इस संगठन में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आने वाले देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय सिंगापुर में है। आपको बता दें एपेक में शामिल देशों का वैश्विक अर्थव्यस्था के जीडीपी में 60 फीसद तक की हिस्सेदारी है।

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