राजनीति

जवाहर लाल नेहरु से ज्यादा प्रभावशाली थे सरदार बल्लभ भाई पटेल, बनते देश के पहले प्रधानमंत्री

नई दिल्ली: आज लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। आज भारत का वर्तमान भौगोलिक स्वरुप जो दिखता है वह सरदार पटेल की ही देन है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में हुआ था। सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ था। सरदार पटेल के कुछ योगदान हैं, जिनकी वजह से भारत उन्हें हमेशा याद रखेगा। आज हम आपको उन्ही योगदानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी वजह से वह लौहपुरुष कहलाये।

सरदार पटेल के जीवन की कुछ अनोखी बातें:

*- सरदार पटेल की पत्नी का निधन 1909 में हो गया। जिस समय उन्हें पत्नी के मौत की खबर मिली, उस समय वह कोर्ट में जिरह कर रहे थे। खबर सुनकर भी वह अपने काम में लगे रहे, बाद में दूसरों से भी इस खबर को साझा किया।

*- बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व करने वाले बल्लभ भाई को वहाँ की महिलाओं ने पटेल की उपाधि से नवाजा था।

*- सरदार पटेल ने भारत की 500 रियासतों को एक कर दिया था। उन्होंने ही गुजराती किसानों को कैरा डिस्ट्रक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन बनाने की सलाह दी थी जिसे बाद में अमूल के नाम से जाना जाने लगा।

*- देश के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल को आईएएस, आईपीएस और केन्द्रीय सेवाओं का जनम माना जाता है।

*- पटेल शुरुआत में एक वकील थे। वह महात्मा गाँधी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए थे। 1927 में गाँधी जी से प्रभावित होने के बाद वह स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े।

*- 1917 से लेकर 1924 तक सरदार पटेल अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में काम किया और 1924 से लेकर 1928 तक वह इसके निर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष भी रहे।

*- 1946 से पहले ही यह तय हो चुका था कि जो कांग्रेस का अध्यक्ष होगा वही देश का प्रधानमंत्री बनेगा। उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना आजाद थे। लेकिन महात्मा गाँधी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने से इनकार कर दिया और नेहरु का समर्थन किया।

*- गाँधी जी के समर्थन के बाद भी नेहरु को पुरे देश का समर्थन नहीं मिला था, जबकि सरदार पटेल को 15 में से 12 राज्यों का समर्थन मिल रहा था। तब गाँधी को लगा कि अगर ऐसा ही रहा तो कांग्रेस में फूट पड़ जाएगी। अंग्रेजों को एक और बहाना मिल जायेगा। गाँधी जी के कहने पर सरदार पटेल ने अपना नामांकन वापस ले लिए।

*- सरदार पटेल ने 1050 में नेहरु को एक पत्र लिखकर चीन से सावधान रहने की सलाह दी थी। लेकिन नेहरु चीन के बढ़ते हुए खतरे को भांप नहीं पाए। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत को 1962 में चीन से युद्ध करना पड़ा।

*- श्यामा प्रसाद मुखर्जी से पटेल ने गाँधी जी की हत्या के बारे में बात की थी। पटेल ने उस समय यह बात की जब मुखर्जी ने उन्हें पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति की थी कि जबरदस्ती आरएसएस का नाग गाँधी की हत्या में उछाला जा रहा है।

 

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