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हार्दिक आज करेंगे कांग्रेस के साथ बैठक, समर्थन करेंगे या नहीं कल होगा इसका ऐलान

नई दिल्ली: गुजरात में चुनावी बयार तेज होती जा रही है। मैदान में एक तरफ बीजेपी है तो एक तरफ अकेले हार्दिक पटेल ललकारे हुए हैं। आज यह तय हो जायेगा कि हार्दिक पटेल का हाथ कांग्रेस के साथ होगा या नहीं। हालांकि समर्थन देने की बात का पता कल ही चल पायेगा। आज पाटीदार आरक्षण समिति के 11 सदस्य कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी के साथ बैठक करने वाले हैं। इससे पहले भी आरक्षण के मुद्दे पर हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है।

जनता को बताएँ कि क्यों बने हुए हैं कांग्रेस के पिछलग्गू:

इस बातचीत के दौरान कोई नतीजा सामने नहीं आया। आपको बता दें आज पाटीदार नेताओं और कांग्रेस के बीच बैठक दोपहर लगभग 2:30 बजे कांग्रेस कार्यालय में होगी। रविवार को ही मुख्यमंत्री रूपाणी ने हार्दिक से अपना स्टैंड क्लियर करने की बात की थी। रूपाणी ने हार्दिक से पूछा था कि वो जनता को बताये कि वो कांग्रेस के पिछलग्गू क्यों बने हुए हैं। राहुल गाँधी की नवसर्जन यात्रा से ठीक तीन दिन पहले पाटीदार नेताओं और कांग्रेस की बैठक तय की गयी है।

क़ानूनी दांव-पेच बिगाड़ सकता है कांग्रेस का खेल:

गुजरात में पाटीदारों को अपने साथ मिलाना कांग्रेस के लिए मजबूरी बन गया है। ऐसे में दबाव कांग्रेस आलाकमान के ऊपर भी है। अगर कांग्रेस को बीजेपी से टक्कर लेनी है तो उसे पाटीदारों को की भी कीमत पर अपने साथ मिलाना ही होगा। हालांकि पिछले दिनों आये ओपिनियन पोल के नतीजों से यह साफ़ हो जाता है कि इससे भी कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। आरक्षण को लेकर क़ानूनी दांव-पेच कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने लिमिट तय की है कि किसी भी कीमत पर 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता है।

बीजेपी द्वारा दिए आरक्षण को रद्द कर दिया उच्च न्यायालय ने:

गुजरात में पहले से ही 49 प्रतिशत आरक्षण है, जिसमें से 27 फीसदी ओबीसी कोटे का है। कांग्रेस में 20 प्रतिशत का एक अलग कोटा बनाने की माँग कर रही है आर्थिक रूप से पिछड़े (EBC) लोगों के लिए होगा, चाहे वो किसी भी जाती से ताल्लुक रखते हों। पाटीदारों को इसी 20 प्रतिशत में से हिस्सा देने का भी वादा किया जा रहा है, जिसे हार्दिक ने नामंजूर कर दिया है। बीजेपी ने पिछले साल EBC को नौकरियों और एडमिशन में 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया था जिसे गुजरात उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था।

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