राजनीति

क्या शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था ताजमहल?ताजमहल का वो दरवाजा जिसे खोलने से सरकार भी डरती है

नई दिल्ली: क्या सच में शिव मंदिर को तोड़कर ताजमहल को बनाया गया था? यह सवाल इस समय इस देश का सबसे महत्वपूर्ण सवाल बना हुआ है। हर कोई इसका सच जानना चाहता है। एक तरफ कुछ लोग इसे शिव मंदिर होने के तर्क दे रहे हैं वहीँ कुछ इसे मकबरा होने का भी तर्क दे रहे हैं। आखिर सच्चाई क्या है? आज हम आपको बताएँगे।

ताजमहल को शिव मंदिर बताने के पीछे दिया जाने वाला तर्क:

*- ताजमहल शिव मंदिर को इंगित करने वाले शब्द तेजोमहालय शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मंदिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे।

*- यह भी कहा जा रहा है कि किसी मुस्लिम इमारत में महल शब्द का प्रयोग नहीं होता है। ताज और महल दोनों ही संस्कृत के शब्द हैं।

*- ताजमहल के शिखर पर जो चित्र बने हुए हैं उसे दिखाकर यह दावा किया जा रहा है कि यह हिन्दू पूजा विधि में इस्तेमाल किया जानें वाला नारियल और आम्रपल्लव का प्रतिक है।

*- ताजमहल के पिछले हिस्से में लाल पत्थरों से बनी निचली दो मंजिलों में मौजूद 22 कमरों के बंद होने पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि अगर इन बंद कमरों को तोडा जाये तो ताजमहल के शिव मंदिर होने का प्रमाण मिल जायेगा।

*- ताजमहल की दीवारों पर जो नक्काशी की गयी है उसमें धतुरा और ॐ देखे जाने का भी दावा किया जा रहा है।

*- ताजमहल में एक कुआँ मौजूद है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि मकबरे में नहीं बल्कि मंदिरों में कुएँ होते हैं।

*- ताजमहल की सीढियों पर चढ़ने से पहले जूते-चप्पल उतारने की परम्परा चली आ रही है, जैसा मंदिरों में होता है। सामान्यतौर पर किसी मकबरे में जाने से पहले जूते-चप्पल उतारने की जरुरत नहीं पड़ती है।

*- संगमरमर की जाली में 108 कलश बने हुए हैं और उसके ऊपर 108 कलश आरुढ़ हैं। हिन्दू धर्म में भी 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।

6 वकीलों ने किया था हिन्दू मंदिर घोषित करने का मुकदमा दायर:



पीएन ओक ने ताजमहल पर लिखी एक किताब “द ट्रू हिस्ट्री” में यह साबित करने की कोशिश की कि शाहजहाँ ने तेजोमय महल नाम के एक मंदिर पर कब्ज़ा किया था औरउसे ताजमहल नाम दे दिया था। 2015 में हिंदूवादी संगठनों की तरफ से 6 वकीलों ने ताजमहल को हिन्दू मंदिर घोषित करने के लिए मुकदमा भी दायर किया था। जिसके बाद अदालत ने पुरातत्व विभाग और सरकार को नोटिस भेजकर जवाब माँगा था। आगरा कॉलेज की इतिहासकार अपर्णा पोद्दार ने ताजमहल के मंदिर होने के सभी दावो को ख़ारिज कर दिया है।

2000 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कर दी थी ओक की याचिका ख़ारिज:

पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक के अनुसार ऐसे कभी कोई प्रमाण या अवशेष मिले ही नहीं जो यह साबित करते हो कि ताजमहल एक शिव मंदिर था। जानकारी के लिए बता दें कि जिस पीएन ओक की किताब को आधार बनाकर ताजमहल को शिव मंदिर होने की बात की जा रही है, उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने 2000 में ही ख़ारिज कर दी थी। इस याचिका में ओक ने दावा किया था कि ताजमहल को किसी हिन्दू राजा ने बनवाया था। अगस्त 2017 में पुरातत्व विभाग कोर्ट को भी बता चुका है कि यह ऐतिहासिक स्मारक कोई शिव मंदिर नहीं बल्कि एक मकबरा ही है।

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