राशिफल

भूलकर भी 6 अक्टूबर तक न करें ये काम.. आज से शुरु है पंचक (Panchak)

भारतीय ज्योतिष में हर कार्य को करने के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं साथ ही इनके लिए शुभ अशुभ समय काल भी निर्धारण किया गया है। ज्योतिष में कई ऐसे समय काल हैं जिनमें कई कार्य पूरी तरह से वर्जित बताए गए हैं हैं..ऐसा ही समय काल है पंचक। । इस बार 2 अक्टूबर, सोमवार की सुबह 07.14 से पंचक शुरू होगा, जो 6 अक्टूबर, शुक्रवार की रात 08.50 तक रहेगा। तो आइए जानते हैं, पंचक (Panchak) कितने प्रकार का होता है और इसमें कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए।

क्यों होता है पंचक (Panchak)

भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। पंचक के दौरान कुछ विशेष काम करने की मनाही है। इसके अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्य करने की मनाही है।

धनिष्ठा पंचक में न करें ये काम

धनिष्ठा पंचक में घर बार में आस से नुकसान की आशंका रहती है। माना जाता है कि जब अग्नि पंचक में जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घर या कही पर लकड़ी, घास या फिर जलाने वाली वस्तुएं नही एकत्र करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आग लगने का भय रहता है।

राज पंचक से हो रही है शुरुआत

इस बार सोमवार से शुरु होने के कारण इसे राज पंचक कहा गया है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है। इसलिए इन पंचकों के दौरान कोई ऐसा काम न करें। जिससे आपको परेशानियों का सामना करना पड़े।

रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना

पंचक (Panchak) के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।

पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र

पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। साथ ही कोई गंभीर बीमारी भी घर में आ सकती है। जिससे बचने के लिए तुलसी की पूजा करने का विधान बताया गया है।

शतभिषा नक्षत्र में कलह होने का योग

पंचक (Panchak) में शव का अंतिम संस्कार नही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है। यदि परिस्थितीवश किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।

यात्रा में भी हो सकता है नुकसान

राजमार्त्तण्ड ग्रंथ में माना गया है कि जब पंचक शुरू हो जब तक यह रहे तब तक किसी यात्रा में नही जाना चाहिए। अगर आप कही जा भी रहे है तो दक्षिण दिशा की ओर तो बिल्कुल भी न जाएं, क्योंकि दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है। जिसके कारण आपका यात्रा करना दुर्घटना या कोई विपत्ति ला सकता है।

किसके लिए शुभ होते हैं पंचक

पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। पंचक (Panchak) में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है।

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