अध्यात्म

रुद्राक्ष धारण करने से पहले जान लें ये नियम, वरना महादेव हो जाएंगे नाराज, होगा भारी नुकसान

सावन का महीना भगवान शिव जी को समर्पित है। सावन के महीने में भगवान शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सावन के पावन महीने में जो भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव जी को एक लोटा जल भी अर्पित कर देता है तो यह उतने में ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। सावन के महीने में भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते रहते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना।

हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवों के देव महादेव को रुद्राक्ष प्रिय है। इसी वजह से वह अपने शरीर पर इसे धारण करते हैं। महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए जो भी उन्हें रुद्राक्ष अर्पित करता है, उनके हर काम सफल होते हैं। सावन के पावन महीने में रुद्राक्ष धारण करने का भी बहुत महत्व है। लेकिन इसे धारण करने से पहले आपको कुछ नियमों को जान लेना बहुत ही आवश्यक है। नहीं तो फायदे की जगह आपको भारी नुकसान हो सकता है।

रुद्राक्ष कैसे बना?

भगवान शिव जी को रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं उनके ऊपर साक्षात भगवान शिव जी की विशेष कृपा रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। इसलिए इसे चमत्कारिक और अलौकिक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब कई सालों की तपस्या करने के बाद भगवान शिव जी ने अपने नेत्र खोले थे, तो उनके आंखों से गिरे आंसुओं से ही रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी।

जो लोग सावन के पावन महीने में रुद्राक्ष धारण करते हैं उनके ऊपर भगवान महादेव का विशेष आशीर्वाद रहता है। मान्यता है कि जो लोग रुद्राक्ष को नियमानुसार धारण करते हैं, तो उनके जीवन के हर संकट दूर हो जाते हैं और अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है। आखिर रुद्राक्ष धारण करने के नियम क्या हैं? चलिए जानते हैं इसके बारे में…

रुद्राक्ष धारण करने के नियम

1. सोमवार या सावन शिवरात्रि को रुद्राक्ष की माला धारण करने के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। लेकिन आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि रुद्राक्ष की माला में कम से कम 27 मनके होने चाहिए। जब आप इसे धारण करने जा रहे हों, तो उससे पहले लाल कपड़े पर रुद्राक्ष को रखकर मंदिर में रख दीजिए और ओम नमः शिवाय का जाप कीजिए। उसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।

2. रुद्राक्ष की माला को गंगाजल से पवित्र कर लें और डुबोकर रख दें। अगर आप रुद्राक्ष को किसी संकल्प से धारण कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको अपने हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लेना होगा फिर गंगाजल से इसे धोने के बाद ही धारण कीजिए।

3. रुद्राक्ष की माला धारण करने के लिए हमेशा पीले या लाल धागे का इस्तेमाल करना चाहिए।

4. आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि रुद्राक्ष को हमेशा स्नान करने के पश्चात ही धारण करें और सोने से पहले इसे पवित्र स्थान पर उतार कर रख दें।

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