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भारत के इस पड़ोसी देश में सरकार सबको देती है घर, कोई नहीं रहता भूखा, इलाज भी है एकदम मुफ्त

इस संसार में सबसे विकट समस्याओं में से एक गरीबी है। गरीबी की यह समस्या हमारे जीवन को आर्थिक तथा सामाजिक दोनों ही रूप से प्रभावित करती है। गरीबी एक ऐसी मानवीय स्थिति है जो हमारे जीवन में दुख-दर्द तथा निराशा जैसी विभिन्न समस्याओं को जन्म देती है। इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके पास रहने के लिए पास घर तक नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें भूखा भी सोना पड़ता है। लेकिन अगर हम आपको यह कहे कि एक ऐसा देश भी है जहां पर ना कोई भूखा और ना कोई बेघर है।

जी हां, भारत का एक ऐसा पड़ोसी देश है जहां पर कोई भी बेघर नहीं है और ना ही कोई भूखा रहता है। इतना ही नहीं बल्कि इस देश की सरकार सभी के मुफ्त इलाज और स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाती है। धर्म से ज्यादा यहां अध्यात्म का महत्व है और लोग अपने जीवन को उसी के अनुसार जीते हैं। दरअसल, हम जिस देश की बात कर रहे हैं वह भारत का पड़ोसी देश भूटान है।

भूटान में नहीं कोई बेघर, ना कोई रहता है भूखा

भारत का पड़ोसी देश भूटान ऐसा है, जहां पर सरकार सबको घर और भूखा नहीं रहने की गारंटी देती है। इसी वजह से भूटान में कोई भी भिखारी आपको देखने को नहीं मिलेगा और ना ही इस देश में कोई बेघर है। भूटान एक ऐसा देश है, जहां पर हर किसी के पास मकान है।

आमतौर पर यहां के लोग अपने जीवन को हंसी खुशी जी रहे हैं और सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां पर इलाज भी बिल्कुल फ्री है। इलाज और स्वास्थ्य में जो भी खर्चा आता है, सभी दवाइयों का खर्च यहां की सरकार वहन करती है। कुल मिलाकर यह देश एशिया का सबसे खुशहाल देश है।

भूटान के लोग खुद को मानते हैं खुश और अपने जीवन से रहते हैं संतुष्ट

आपको बता दें कि भूटान में लंबे समय तक टीवी और इंटरनेट की सेवाओं पर प्रतिबंध लगा रहा। वह इसलिए क्योंकि इसके जरिए विदेशों की जो संस्कृति है यहां आ जाएगी और उसका भूटान के लोगों और जीवन पर गलत प्रभाव पड़ेगा। लेकिन अब यहाँ टीवी और इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध है। साल 1999 में इस प्रतिबंध को राजा ने हटा दिया था।

भूटानी लोग खुद को बहुत खुश मानते हैं और अपने जीवन से संतुष्ट रहते हैं। भूटान में कोई भी व्यक्ति सड़क पर नहीं रहता है। यदि किसी व्यक्ति के पास अपना घर नहीं है या फिर उसने अपने घर को खो दिया है, तो ऐसी स्थिति में उसको बस राजा के पास जाना होगा। राजा उस व्यक्ति को जमीन का एक टुकड़ा दे देता है जहां पर वह अपने घर को बना सकता है और सब्जियां भी उगा सकता है। यहां पर हर भूटानी निवासी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का भी अधिकार है।

बता दें कि इस देश में साल 2008 में लोगों की आंतरिक शांति का ख्याल रखने के लिए सकल राष्ट्रीय खुशी समिति का गठन भी किया गया था। यहां तक की जनसंख्या जनगणना प्रश्नावली में एक कॉलम होता है, जहां आप संकेत कर सकते हैं कि आप अपने जीवन से संतुष्ट हैं या नहीं। यहां पर एक खुशी मंत्रालय भी है, जो सकल घरेलू खुशी को मापते हैं।

भूटानी लोगों का पहनावा

वहीं अगर हम भूटानी लोगों के पहनावे की बात करें तो वहां के लोग पारंपरिक कपड़े ही पहनते हैं। जहां पुरुष भारी, घुटने की लंबाई वाले वस्त्र पहनते हैं, तो वहीं महिलाएं लंबी पोशाक पहनती हैं। बता दें कि बाएं कंधे पर दुपट्टे के रंग से एक व्यक्ति की स्थिति और सामाजिक स्तर की पहचान की जाती है। जो लोग साधारण होते हैं वह सफेद रंग का दुपट्टा पहनते हैं। साधु और कुलीन लोगों के वस्त्र पीले रंग के होते हैं।

यह देश काफी लंबे समय तक एक अलग ही रहा। साल 1970 में पहली बार किसी विदेशी पर्यटक को यहां पर आने की अनुमति दी गई थी। मौजूदा समय में भी अधिकारियों की विदेशी प्रभाव पर कड़ी नजर रहती है।

समय के साथ-साथ अब भूटान में चीजों में काफी ज्यादा बदलाव आता जा रहा है। राजधानी थिम्पू में अब स्मार्टफोन और कराओके बार आम हो चुके हैं। यहां पर युवाओं की आबादी अधिक है, जिन्होंने सोशल मीडिया को आसानी से स्वीकार कर लिया है। इसी कारण से वहां स्ट्रीट फैशन में भी उछाल देखने को मिला है और राजनीति में भी ज्यादा खुलकर चर्चा होती रहती है।

अधिकांश भूटानी लोग हैं बौद्ध

भूटान पर्यावरण क्षेत्र में अग्रणी रहा है। साल 1999 से ही वहां पर प्लास्टिक की थैलियां प्रतिबंधित है। वहीं तंबाकू लगभग पूरी तरह से गैरकानूनी है। कानूनन देश के 60% भाग में जंगल होना चाहिए।

वही भूटान मुख्य रूप से बिजली का निर्यात करता है। वह भारत को बिजली बेचता है। इसके अलावा लकड़ी, सीमेंट, कृषि उत्पाद और हस्तशिल्प का भी भूटान का निर्यात है। भूटान चारों ओर से घिरा हुआ है। इसलिए उसके पास सेना तो है पर नौसेना और वायु सेना नहीं है। भारत ही इस क्षेत्र का ख्याल रखता है।

आपको बता दें कि अधिकतर भूटानी लोग बौद्ध हैं। यहां पर धर्म पूरे जानवरों की दुनिया के लिए सम्मान सिखाता है। इसीलिए यहां पर लोग शाकाहारी हैं। यहां पर चावल मुख्य और मूल पकवान है। साधारण चावल को इतनी ऊंचाई पर नहीं उगा सकते। इसी वजह से लोग लाल चावल का उत्पादन करते हैं। जो काफी कठिन होता है और इनका स्वाद भी काफी अजीब होता है। यहां के लोग चाय बहुत पीते हैं। वह नमक, काली मिर्च और एक चम्मच मक्खन के साथ काली और हरी चाय का सेवन करते हैं।

बड़ी बेटी को मिलती है संपत्ति

भूटान में बड़ी बेटी को संपत्ति मिलती है। जी हां, सभी संपत्ति और सामान्य जैसे उनके घर, मवेशी और जमीन बेटे को नहीं बल्कि सबसे बड़ी बेटी को दिया जाता है।

विदेशी से शादी करने पर पाबंदी

भारत और भूटान के बीच कई ऐसे जोड़े हैं जिन्होंने प्यार किया और उन्होंने प्रेम विवाह कर लिया परंतु उन्हें भूटान में रहने का अधिकार नहीं है। हालांकि, यह नियम वहां के राजा पर लागू नहीं होता है। बता दें कि भूटान में किसी विदेशी से शादी करने पर पाबंदी है।

यहां के लोग साल 2006 में सत्ता ग्रहण करने वाले राजा जिग्मे खेसार नामग्येल वांगचुक को काफी पसंद करते हैं। उन्होंने देश में कई बड़े नाटकीय बदलाव को लाया। भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़े राजा की अभी भी पूजा होती है। बेहद लोकप्रिय रानी रानी जेटसुन पेमा हैं। यहां पर देश में राजशाही और लोकतंत्र का मिलाजुला रूप देखने को मिलता है। जब 1998 में उन्होंने अपनी कुछ निरंकुश शक्तियों को छोड़ दिया था तब उनके पिता ने ही इसकी शुरुआत की थी।

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