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बहू से घर का काम करवाना प्रताड़ना नहीं, काम नहीं करना तो शादी से पहले बोलना था – बंबई हाईकोर्ट

शादी के बाद किसी भी लड़की की लाइफ में ढेर सारे बदलाव आते हैं। जब वह ससुराल जाती है तो उसे वहां के माहौल के अनुसार ढलना होता है। इस दौरान नई नवेली बहुओं से घर के सभी काम काज भी करवाए जाते हैं। लेकिन कुछ बहुओं को ऐसा महसूस होता है कि उन्हें घर की नौकरानी बनाकर रखा हुआ है। उनके साथ क्रूरता हो रही है।

बहू से घर का काम करवाना क्रूरता नहीं

इस मुद्दे पर हाल ही में बंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि “बहू से घर का काम करवाना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है। उसकी तुलना नौकर से नहीं की जा सकती है।” बंबई हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब एक महिला ने अपने पति और ससुराल के लोगों के खिलाफ घरेलू हिंसा और क्रूरता के तहत मामला दर्ज कराया था।

अपने पति से अलग रह रही महिला का आरोप था कि शादी के शुरुआती एक महीने तक उसके साथ अच्छा व्यवहार किया गया। लेकिन फिर उसके साथ घर की नौकरानी जैसा व्यवहार होने लगा। महिला ने इसे प्रताड़ना बताया और 21 अक्टूबर को अपने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी।

घरेलू काम में दिलचस्पी नहीं तो शादी के पहले क्लियर करें

हाल ही में बंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति विभा कांकनवाड़ी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। उन्होंने महिला द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि किसी शादीशुदा महिला से घर का कामकाज करने को कहा जाता है तो उसकी तुलना घरेलू सहायिका के काम से नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि यदि किसी महिला की दिलचस्पी घर के कामकाज करने में नहीं है तो उसे ये बात शादी के पहले ही क्लियर कर देनी चाहिए। ताकि इस टॉपिक को लेकर दोनो पक्ष शादी करने या नहीं करने का निर्णय ले सके। और यदि विवाह पश्चात महिला घर के काम करने से इंकार करती है तो ससुरलवालों को इसका कोई हल जल्द निकालना चाहिए।

अपने आरोपों में महिला ने ये भी कहा था कि उसके ससुराल वाले चार पहिया वाहन खरीदने के लिए उससे 4 लाख रुपए की मांग कर रहे थे। इसके लिए उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि महिला ने अपनी शिकायत में सिर्फ इतना कहा कि उसे प्रताड़ित किया गया। लेकिन उसने इस प्रताड़ना को लेकर किसी विशेष कृत्य का जिक्र अपनी शिकायत में नहीं किया।

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