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युवाओं को बीवी दिलाते-दिलाते करोड़पति बन गया ये शख्स, बड़ी दिलचस्प है इसकी कहानी

एक युवा को लाइफ में बस दो चीज चाहिए। पहली नौकरी और दूसरा जीवनसाथी। हालांकि इन दिनों की तलाश इतनी आसान भी नहीं होती है। बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक बंदे ने करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। दरअसल हम यहां नौकरी डॉट कॉम (Naukari.com) और जीवनसाथी डॉट कॉम (Jeevansathi.com) की बात कर रहे हैं। इन दोनों वेबसाइट को इंफोएज (Info Edge) नाम की कंपनी ने बनाया है। इस कंपनी के संस्थापक संजीव बिकचंदानी (Sanjeev Bikhchandani) हैं।

बीवी ने चलाया खर्चा, खुद ने सोचा बिजनेस आइडिया

2020 में पद्मश्री अवार्ड से नवाजे जा चुके संजीव बिकचंदानी का ये सफर बड़ा ही दिलचस्प और चुनौतियों से भरा रहा। संजीव ने इकॉनॉमिक्स स्पेशलाइज़ेशन के साथ आर्ट्स में बीए किया है। हालांकि वे कॉलेज के दिनों से ही लाइफ में कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे। कॉलेज खत्म कर उन्होंने 984 में अकाउंट्स एग्जीक्यूटिव की जॉब की। फिर 1987 में जॉब छोड़ आईआईएम (IIM) की स्टडी करने लगे। यहां उन्हें 1989 में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline) में प्रॉडक्ट एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिली।

1990 में कुछ बड़ा करने के इरादे से संजीव ने अपनी आठ हजार रुपए महीने की जॉब छोड़ दी। तब ये आठ हजार भी बहुत मायने रखते थे। उन्होंने अपनी IIM की क्लासमेट और बीवी सुरभि से कहा कि अब घर का खर्चा तुम ही देखो, मैं अपना बिजनेस स्टार्ट करना चाहता हूं। बीवी के सपोर्ट से संजीव घर में नौकर के कमरे से काम करने लगे। फिर 1990 में उन्होंने एक दोस्त के साथ मिलकर इंडमार्क (Indmark) और इंफोएज़ (Info Edge) नाम की दो कंपनियां स्थापित की।

1993 में दोनों दोस्त अलग हो गए। संजीव के हिस्से में इंफोएज़ आई यह कंपनी सेलरी से संबंधित सर्वे करती थी। जैसे एंट्री लेवल पर MBAs और इंजीनियर्स को कौन-सी कंपनी कितनी सैलरी देती है। संजीव ऐसी रिपोर्ट बनाकर अन्य कंपनियों को बेचते थे। शुरुआत में कोई खास कमाई नहीं थी। इसलिए संजीव ने खुद का खर्च निकालने को कोचिंग क्लास भी ली। इससे वे 2000 रुपये महीना कमा लेते थे। बाद में उन्होंने चार साल तक एक कंपनी में कंसल्टिंग एडिटर की भी की।

ऐसे आया नौकरी डॉट कॉम का आइडिया

अक्टूबर 1996 में दिल्ली में आईटी एशिया एग्जिबिशन (IT Asia exhibition) चल रहा था। यहां एक स्टॉल पर WWW. ने संजीव का ध्यान खींचा। पूछताछ में उन्हें पता चल कि वीएसएनएल (VSNL) के ई-मेल अकाउंट बेचे जा रहे हैं। संजीव ने पूछा कि ये ई-मेल क्या है और इसका उपयोग कैसे करते हैं? फिर सेलर ने उन्हें इंटरनेट पर कुछ ब्राउज़ करके बताया कि कैसे आप विश्व की सभी जानकारी इंटरनेट पर देख सकते हैं।

बस यहीं से उनके दिमाग में नौकरी डॉट कॉम का आइडिया क्लिक हुआ। दरअसल वे जब HMM में जॉब कर रहे थे। यहां लोग क्लासीफाइड विज्ञापनों को बड़े चाव से पढ़ते थे। इसमें अधिकतर लोग नौकरियों की लिस्ट चेक करते थे। ऐसे में संजीव को लगा कि इस चीज को ऑनलाइन भी लाया जा सकता है। वैसे तब इंडिया में सिर्फ 14000 इंटरनेट यूजर थे, हालांकि संजीव को लगा कि इतने लोग भी बहुत हैं।

संजीव ने ई-मेल बेचने वाले से उनके लिए वेबसाइट बनाने की मांग की। लेकिन उसने कहा कि सभी सर्वर अमेरिका में है, वहीं से सारी वेबसाइट होस्ट होती है, इसलिए मैं वेबसाइट नहीं बना सकता। ऐसे में संजीव ने अमेरिका में एक बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर अपने बड़े भाई को कॉल किया। उन्हें वेबसाइट के लिए सर्वर खरीदने को कहा। ये भी बोला कि अभी उनके पास पैसे नहीं हैं, लेकिन वह बाद में दे देंगे। तब सर्वर का किराया 25 डॉलर महीना था। बाद में जब कंपनी बड़ी हुई तो संजीव ने बिना मांगे अपने भाई को कंपनी का 5 प्रतिशत शेयर दे दिया।

बाद में संजीव ने दो और लोगों को कंपनी का शेयर बेचा और नौकरी.कॉम शुरू कर दिया। ये तब हुआ जब 90 के दशक के मध्यकाल में मंदी का दौर था। ऐसे में उनकी वेबसाइट पर ज्यादा ट्राफिक आने लगा। तब भारत में इंटरनेट भी नया था और कोई ज्यादा लोकल वेबसाईट नहीं थी। ऐसे में न्यूज पेपर ने इंटरनेट का उदाहरण देने के लिए नौकरी डॉट कॉम का इस्तेमाल किया। इस तरह बिना पैसा खर्च किया इनकी पब्लिसिटी भी हो गई।

नौकरी.कॉम ने पहले साल 2.5 लाख रुपये और अगले साल 18 लाख का बिजनेस किया। फिर कंपनी ने कई फंडिंग जुटाई और एक बड़े लेवल पर पहुँच गई। इसके बाद कंपनी ने 2006 में जीवनसाथी डॉट कॉम (Jeevansathi.com) शुरू किया। इसके अलावा उनके नौकरीगल्फ (naukarigulf.com), शिक्षा (Shiksha.com), 99 एकड़ (99acres.com) और फर्स्टनौकरी (Firstnaukari.com) जैसे पोर्टल भी हैं। वहीं कंपनी ने अन्य बड़ी कंपनियों जैसे जोमैटो, वैकेशन लैब्स, उन्नति और पॉलिसी बाजार में निवेश भी कर रखा है।

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