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मां बनी भक्षक, 4 साल की बेटी को चौथी मंजिल से फेंका, वजह जान कर हो जाएंगे भावुक

एक बच्चा अपनी मां की गोद में सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। मां की गोद को दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह की माना जाता है। कहते हैं मां अपने बच्चे पर एक छोटी सी आंच भी नहीं आने देती है। यदि बच्चे पर कोई मुसीबत आ जाए तो पूरी दुनिया से लड़ जाती है। यमराज तक से बच्चे को छीन लाती है।

कलयुगी मां ने बच्ची को चौथी मंजिल से फेंका

लेकिन क्या होगा जब आप की रक्षा करने वाली मां ही आपकी जान की दुश्मन बन जाए। वह रात दिन आप से छुटकारा पाने की सोचे और इसी चक्कर में आप की हत्या कर दे। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला कर्नाटक से सामने आया है। यहां एक मां ने अपनी 4 साल की बच्ची को चौथी मंजिल से नीचे फेंक दिया। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद भी हो गई।

इस कलयुगी मां का नाम सुषमा भारद्वाज बताया जा रहा है। वह एक नॉन प्रैक्टिसिंग डेंटिस्ट हैं। वहीं उनके पति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। दोनों बेंगलुरु के सेंट्रल डिवीजन के एसआर नगर के सीकेसी गार्डन में अद्वैत आश्रय अपार्टमेंट में चौथी मंजिल पर रहते हैं। कपल की एक 4 साल की बच्ची भी थी जिसे मां ने बालकनी से नीचे फेंक दिया।

सीसीटीवी में कैद हुआ पूरा नजारा

मां की यह क्रूरता अपार्टमेंट में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। सीसीटीवी फुटेज में साफ–साफ देखा जा सकता है कि मां पहले बच्ची को गोद में लेकर बालकनी में खिलाती है। फिर उसे बालकनी से नीचे फेंक देती है। वह ऐसा जानबूझकर करती है।


बताया जा रहा है कि बच्ची के नीचे गिरने के बाद उसे अस्पताल में ले जाया गया था, हालांकि उसने पहले ही दम तोड़ दिया। यह भी कहा जा रहा है कि बच्ची को फेंकने के बाद मां ने भी खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन आस पड़ोसी के लोगों ने उसे बचा लिया।

बच्ची की दिव्यांगता से थी दुखी

दरअसल महिला ने जिस बच्ची को नीचे फेंका वह दिव्यांग थी। वह कुछ बोल या सुन नहीं सकती थी। इस बात से महिला अक्सर परेशान और दुखी रहती थी। वह डिप्रेशन में चली गई थी। इसी के चलते उसने बच्ची को बालकनी से नीचे फेंक दिया।

जब महिला के पति किरण को इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने पुलिस में सूचना की। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी सुषमा को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि इसके पहले सुषमा ने अपनी बेटी को रेलवे स्टेशन पर छोड़ने का प्रयास भी किया था।

यह काफी दुखद है कि एक बच्चे की दिव्यांगता से तंग आकर मां बाप बच्ची से पीछा छुड़ाने के तरीके खोजते हैं। जबकि हमें बच्ची को एक्स्ट्रा स्पेशल तरीके से ट्रीट करना चाहिए। उसे अपनी कमजोरियों को ताकत में बदलने की प्रेरणा देनी चाहिए। हमारे आसपास ऐसे कई उदाहरण भी मौजूद है जहां दिव्यांग लोग अपने करियर और लाइफ में बहुत अच्छा कर रहे हैं।

 

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