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इस जीव का घर में प्रवेश, आने वाली मौत का संकेत है.. जानिए इसका वास्तु और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

चमगादड़ के अशुभ लक्षण (Chamgadar): रात के अंधेरे में विचरण करने वाले चमगादड़ के अशुभ लक्षण भी अंधेरे के जितने ही भयावह होतें हैं। मृत जीवों को खाने और उनका खून चूसने वाला इन्हें वास्तु और ज्योतिष में बेहद अशुभ माना गया है, ऐसी मान्यता चली आ रही है कि ये प्राणी अगर घर में प्रवेश कर आए तो कुछ बुरा होता है यहां तक कि चमगादड़ का घर में आना मौत का संकेत माना जाता है। घर में इन का आना वास्तु के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टि सें भी उचित नही है।

वास्तु की दृष्टि से चमगादड़ के अशुभ फल

चमगादड़

  • वास्तु के अनुसार घर में इनके प्रवेश के साथ ही नकारात्मक शक्ति का भी प्रवेश होता है. यहां तक की ये मृत और बुरी आत्माओं के साए का भी वाहक होते हैं।
  • नकारात्मक उर्जा से परिजनों में झगड़े और विवाद की परिस्थितियां बनने लगती हैं और दूसरे अनिष्ट की सम्भावनाएं बढ जाती हैं।
  • वास्तु के अनुसार जिस घर में चमगादड़ (Chamgadar) प्रवेश होता है वह जल्द ही खाली मकान बन जाता है. घर के सदस्य वहां से जाने लगते हैं और वहां सन्नाटा छा जाता है।
  • इन के वास के साथ ही घर के परिजनों पर मौत का साया छा जाता है।
  • चमगादड़ का घर में आना मौत का संकेत होता है|

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चमगादड़ (Chamgadar) का घातक प्रभाव

चमगादड़

चमगादड़ (Chamgadar) के घर में आने से मौत को आमन्त्रण मिलता है इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। असल में इनके पंखों में बेहद घातक बैक्टीरिया होते हैं। इनके इन्फेक्शन से इन्सान की मौत हो सकती है। दुनिया में इनके हमले से मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं। आज के समय में इबोला जैसे घातक बिमारी भी इन्हीं की वज़ह से फैल रही है। इबोला से जुड़े ताजा शोध में इस बात की पुष्टी हुई है कि चमगादड़, बन्दर और गोरिल्ला इस बिमारी के वाहक हैं। इस तरह की लालइलाज बिमारियों के वाहक होने का कारण ही यह कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति पर यह हमला कर दे तो समझों उसकी मौत हो गई।

निपाह वायरस एक घातक बीमारी

हाल ही में केरल के कोझिकोट में निपाह वायरस को दर्ज किया गया है। केरल के बाद यह घातक वायरस तेलंगाना और कर्नाटक तक पहुँच गया है। निपाह वायरस चमगादड़ों और सूअरों द्वारा फ़ैल रहा है। भारत में निपाह वायरस के मामले पहले भी देखने को मिले है। सबसे पहले यह मामला पश्चिम बंगाल में देखने को मिला था। उस समय निपाह वायरस के कारण 45 लोगों की मौत हो गयी थी। दूसरा मामला 2007 में पश्चिम बंगाल में दर्ज किया गया था, उस समय 5 लोग इस घातक वायरस की चपेट में आ गए थे। तीसरा मामला केरल में देखने को मिला है। अभी तक इस वायरस की चपेट में 200 से अधिक लोग आ गए है इनमे से 13 लोगों की मौत हो गयी है, बाकि का इलाज चल रहा है।

निपाह वायरस के लक्षण

जो इंसान निपाह वायरस से ग्रसित है उसे तेज बुखार, सिर दर्द, मानसिक भ्रम, कोमा, नींद न आना और उल्टियां जैसे लक्षण हो सकते है। शुरुआत में इंसान को चक्कर आने लगते है। उसके बाद बुखार भी तेज होने लगता है। समय पर इलाज न मिलने के कारण बुखार दिमाग में चला जाता है और इंसान की मृत्यु हो जाती है।

निपाह वायरस से बचाव

  • उस स्थान पर नहीं जाना चाहिए जहाँ चमगादड़ और सूअर का आना जाना हो।
  • वायरस से संक्रमित इंसान के आस पास भी नहीं जाना चाहिए।
  • फलों और सब्जियों को अच्छे से धो कर खाना चाहिए।
  • इंसान और जानवर के पीने के पानी को अच्छे से ढक कर रखना चाहिए।
  • पेड़ों से गिरे हुए फल बिलकुल भी न खाए।

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