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गरीब की बेटियों ने ऊंचा किया परिवार का नाम, पढ़ने को नहीं थे पैसे, कबड्डी खेल हासिल की रेलवे जॉब

कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। आपको बस लगातार मेहनत करते रहना होता है। फल की चिंता नहीं करनी होती है। जो लोग पूरी लगन के साथ मेहनत करते हैं उन्हें फल एक ना एक दिन अपने आप ही मिल जाता है। फिर आप अमीर हो या गरीब मेहनत के बिना सफलता नहीं मिलती है। अब हरियाणा (Haryana) के कैथल के गांव पाई की इन तीन बेटियों को ही देख लीजिए।

कबड्डी का हुनर दिखा हासिल की सरकारी नौकरी

शीतल, नेहा और ऋतु नाम की ये तीन बेटियां बेहद गरीब घर से ताल्लुक रखती हैं। हालांकि उन्होंने अपनी गरीबी को अपने सपनों को कुचलने नहीं दिया। यह तीनों अपने हुनर के दम पर आगे बढ़ी और सफलता का स्वाद चखा। इन तीनों में कबड्डी खेलने का हुनर था। उन्होंने अपने इसी हुनर को भुनाया और आज तीनों को रेलवे में नौकरी मिल चुकी है।

जज्बे और लगन से भरपूर इन बेटियों ने अपने परिवार की गरीबी को अपने लक्ष्य के बीच में नहीं आने दिया। अभावों की कमी के बावजूद अपना रास्ता खुद खोज लिया। नेहा और ऋतु ने तो गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है। वहीं शीतल गांव के एक छोटे प्राइवेट स्कूल से पढ़ी है। यह तीनों बेटियां जब कबड्डी के मैदान में उतरती है तो सब की हालत खस्ता का देती हैं।

कबड्डी में अपने हुनर का जलवा दिखाकर ही इन्हें स्पोर्ट कोटा के तहत रेलवे में नौकरी मिली है। तीनों ने बतौर क्लर्क अपनी नई नौकरी ज्वाइन की है। नेहा और शीतल की नियुक्ति दो दिन पहले ही हुई है। वही रितु ने 3 महीने पहले ही ज्वाइन कर लिया था। कबड्डी कोच शमशेर बताते हैं कि तीनों ही बहुत अच्छा कबड्डी खेलती है। उन्होंने यह भी बताया कि गांव में खेल का मैदान है जहां गांव की और भी कई बेटियां कबड्डी की प्रैक्टिस कर रही है। इस खेल के माध्यम से कई लड़कियों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है।

पढ़ाई के साथ खेल में रुचि आई काम

शीतल कबड्डी में जूनियर गोल्ड मेडलिस्ट हैं। स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें कबड्डी खेल में अपना जलवा दिखाना है। वह बीते 14 सालों से कबड्डी में अपना हुनर दिखा रही हैं। गांव के प्राइवेट स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद उनकी रेलवे में नौकरी लग गई। उन्हें बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी रुचि थी। शीतल के परिवार में माता पिता और दो भाई हैं। बड़ा भाई बीए सेकंड ईयर का स्टूडेंट है।

नेहा एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। यहां तक कि उनका खुद का मकान भी नहीं है। वह गांव में ही किराए के मकान में रहते हैं। नेहा भी कबड्डी में जूनियर गोल्ड मेडलिस्ट है। उनके परिवार में मां दादी और भाई हैं। वे सभी नेहा की नौकरी लगने से काफी खुश हैं।

ऋतु कबड्डी में नेशनल लेवल की गोल्ड मेडलिस्ट हैं। वे काफी समय से कबड्डी में एक्टिव हैं। स्कूल के दिनों में पढ़ाई के अलावा उनका खेलकूद में ज्यादा मन लगता था। और आज उन्होंने इसी खेल के माध्यम से अपनी नौकरी सुनिश्चित कर ली। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा पांच भाई बहन हैं। इनमें से तीन तो अशिक्षित हैं। हालांकि ऋतु की बड़ी बहन की डाक विभाग में नौकरी लग चुकी है।

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