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राष्ट्रपति के नामांकन के समय सफदे साड़ी में क्यों थी द्रौपदी मुर्मू, जानिये ख़ास वजह

एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को नामांकन के दौरान सफेद साड़ी में नजर आई थीं। उनके साथ पीएम मोदी समेत एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद थे। इस दौरान लोगों के मन में सवाल उठे कि द्रौपदी मुर्मू ने सफेद साड़ी क्यों पहनी थी। द्रौपदी मुर्मू के सफेद साड़ी पहनने के पीछे उनके जीवन से जुड़ा एक बहुत बड़ा कारण था।

जब दुखों से टूट गई थीं द्रौपदी मुर्मू

बात 2009 की है जब उन्हें खबर लगी कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे उनके छोटे बेटे की रहस्यमय परिस्थितियों में दुर्घटना में मौत हो गई। इस खबर ने द्रौपदी को अंदर से पूरी तोड़ दिया। इस खबर से उनको एक बड़ा आघात इसलिए भी पहुंचा क्योंकि करीब 1 साल पहले उनके बड़े बेटे की भी मौत हो गई थी। एक के बाद एक अपने दोनों बेटों को खोने से द्रौपदी पूरी तरह अवसाद में चली गईं। अब संतान में उनके पास एक बेटी इतिश्री मुर्मू बची थी। द्रौपदी के दुखों का सिलसिला अभी थमा नहीं था। छोटे बेटे की मौत के कुछ साल बाद ही उनके पति का भी हार्ट फेल हो गया और उनकी मौत हो गई।

ब्रह्मकुमारी संस्था ने दिया नया जीवन

जीवन की ऐसी विषम परिस्थिति में द्रौपदी मुर्मू को ब्रह्मकुमारी संस्था का साथ मिला। ब्रह्मकुमारी के संपर्क में आने के बाद ही द्रौपदी मुर्मू के लिए सफेद साड़ी उनकी ढांढस, ताकत और हिम्मत का प्रतीक बन गई। द्रौपदी मुर्मू ने मयूरभंज के रायरंगपुर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में ध्यान और आध्यात्म की साधना शुरू की। इस ब्रह्मकुमारी आश्रम के मुख्य प्रभारी के मुताबिक आश्रम में ध्यान और आध्यात्मिक उपचार से द्रौपदी दुःख और अवसाद से बाहर आ पाईं

आश्रम में रहने के दौरान द्रौपदी खुद को ठीक करने के लिए द्रोपदी मुर्मू ने काफी मेहनत की और करीब तीन महीने ब्रह्मकुमारी आश्रम में रहीं। इसी आश्रम में रहने के दौरान सफेद साड़ी उनकी पहचान और ताकत बन गई। अध्यात्म और ध्यान से द्रौपदी फिर अपने सामान्य जीवन में लौटीं और आज देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार हैं।

संघर्षों से भरा है जीवन

द्रौपदी मुर्मू का बचपन गरीबी और अभाव में बीता है। राष्ट्रपति बनने जा रही इस महिला का जन्म एक झोपड़ी में हुआ था। काफी संघर्षों के बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई की और भुवनेश्वर के रमादेवी विमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। राजनीति में आने से पहले द्रौपदी शिक्षक थी। उन्होंने राज्य के सिंचाई और बिजली विभाग में असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया था।

उनके राजनीति का सफर तब शुरू हुआ जब 2000 में वो रायरंगपुर सीट से बीजेपी की विधायक चुनी गईं। मुर्मू BJD और BJP की गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहीं। 2015 से 2021 तक वो झारखंड की राज्यपाल रहीं। अब उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन कर दिया है। उनका राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। बेहद गरीबी में अपना जीवन शुरू करने वाली द्रौपदी मुर्मी ओडिशा की गौरव बन गई हैं क्योंकि राष्ट्रपति बनने वाली वो ओडिशा की पहली शख्स हैं।

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