अध्यात्म

वट सावित्री व्रत 2022: पति की लंबी उम्र के लिए ऐसे करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूरी विधि

हर सुहाहिन महिला की यही कामना होती है कि उसके पति की आयु लंबी रहे। इसके लिए महिलाएं देवी मां से अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद भी मांगती हैं। इसके लिए हिन्दू परंपरा में कई व्रत भी होते हैं। मान्यता है कि इनको रखने से पति की आयु लंबी होती है और उनको अकाल मृत्यु से भी बचाया जा सकता है।

वट सावित्री व्रत भी इन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की अकाल मृत्यु से रक्षा करने के लिए रखती हैं। कहते हैं कि इस व्रत को रखने से किसी भी विवाहित स्त्री का सुहाग बना रहता है। आइए हम जानते हैं कि इस बार वट सावित्री व्रत के शुभ मुहूर्त क्या हैं और इनकी पूजा विधि को बताते हैं।

ज्येष्ठ मास की अमावस्या को है व्रत रखने की परंपरा

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत रखने की खास परंपरा है। इसकी तिथि की बात करें तो ये ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन रखा जाता है। इस व्रत के बारे में शास्त्रों में मान्यता है कि जो भी विवाहित स्त्री इस व्रत को रखती है, वो अपने पति की लंबी आयु की कामना देवी लक्ष्मी से करती है।

मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। वो पूजा कर पति के लिए सौभाग्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। महिलाएं व्रत के दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करती हैं।

30 मई को है व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार ये ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 30 मई को पड़ रही है। इस कारण से इसी दिन वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं रख सकेंगी। इस दिन महिलाओं को विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना होगा। उनकी पूजा करने के बाद अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करनी होगी।

व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त भी हम आपको बताते हैं। इन मुहूर्त पर पूजा करने से फल कई गुना बढ़ जाएगा। अमावस्या तिथि का आरंभ 29 मई दोपहर 2.54 बजे से हो रहा है। वहीं ये तिथि अगले दिन यानि 30 मई को शाम 4.59 बजे पर जाकर समाप्त होगी। शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से फल बढ़ जाएगा।

जानें वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

अब हम आपको वट सावित्री व्रत की पूजा विधि के बारे में भी बता देते हैं ताकि आप भगवान को प्रसन्न कर सकें। इस व्रत में सुहागिन महिलाओं को वट वृक्ष में जल चढ़ाना होगा। इसके बाद वृक्ष में कलावा बांधना होगा। फिर पूरे वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करनी अनिवार्य होती है। इसके बाद कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा।

परिक्रमा करने के बाद वट वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए उसे रोली और सिंदूर से तिलक लगाया जाता है। वट वृक्ष की पूजा के बाद उसके नीचे घी का दीपक जलाना न भूलें। मान्यता के अनुसार वट वृक्ष में देवताओं का निवास होता है। इसी कारण से इस दिन वट की पूजा करने का विधान होता है। पूजा के बाद पति की लंबी आयु की कामना करनी चाहिए।

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