नरगिस के इस लालच ने ऋषि कपूर को बना दिया था हीरो, 3 साल की उम्र में इस फिल्म में की एक्टिंग
हिंदी सिनेमा के दिग्गज और दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर के निधन को आज (30 अप्रैल) दो साल पूरे हो गए हैं. ऋषि कपूर का साल 2020 में 30 अप्रैल को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था. कपूर परिवार के सबसे चर्चित सितारों में शुमार रहे ऋषि कपूर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे.
ऋषि कपूर ने महज 67 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनके निधन से पूरी फिल्म इंडस्ट्री ग़मगीन हो गईं थी जबकि फैंस को भी गहरा झटका लगा था. हालांकि फैंस के दिलों में ऋषि हमेशा अपनी फिल्मों, अपनी अदाकारी और अपने किस्सों के चलते जीवित रहेंगे.
ऋषि कपूर ने अपने फ़िल्मी करियर का आगाज बतौर मुख्य अभिनेता साल 1973 में आई फिल्म ‘बॉबी’ से किया था. इस फिल्म की रिलीज के समय ऋषि की उम्र 21 साल थीं. अपनी डेब्यू ही फिल्म से ऋषि कपूर दर्शकों के दिलों पर छा गए थे. ऋषि की यह डेब्यू फिल्म हिट रही थी.
ऋषि कपूर के साथ इस फिल्म में अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया ने काम किया था. गौरतलब है कि ऋषि के साथ ही यह डिंपल की भी पहली फिल्म थी. हालांकि बतौर अभिनेता फिल्मों में काम करने से पहले ऋषि बाल कलाकार के रूप में भी बड़े पर्दे पर काम कर चुके थे. वे जब 17 साल और महज तीन साल के थे तब भी बड़े पर्दे पर वे अभिनय करते हुए दिखाई दिए थे.
ऋषि कपूर ने महज तीन साल की उम्र में बड़े पर्दे पर अभिनय किया था. फिल्म थी ‘श्री 420’. यह फिल्म थी ऋषि कपूर के पिता राज कपूर साहब की. फिल्म आई थी साल 1955 में. फिल्म में राज कपूर, नरगिस, नादिरा, ललिता पवार नजर आए थे. इस फिल्म का एक गाना ‘ प्यार हुआ इकरार हुआ’ था. इसमें ऋषि कपूर भी नजर आए थे जब उनकी उम्र महज तीन साल थी. बताया जाता है कि नरगिस के द्वारा चॉकलेट का लालच दिए जाने पर ऋषि इस गाने में काम करने के लिए माने थे.
ऋषि कपूर ने खुद इससे जुड़ा खुलासा करते हुए कहा था कि, ”मुझे बोला गया था कि ‘श्री 420’ में मुझे एक शॉट देना है और मेरे बड़े भाई और बहन भी इस शॉट में होंगे. जब भी शॉट हो तब हमें बारिश में चलना था. ऐसे में शॉट के दौरान जब भी पानी मुझ पर गिरता तो मैं रोने लगता.
इसकी वजह से वह शूटिंग नहीं कर पा रहे थे. तो नरगिस ने मुझे कहा कि अगर तुम शॉट के दौरान अपनी आंखें खुली रखोगे और रोओगे नहीं तो मैं तुम्हें चॉकलेट दूंगी. इसके बाद मैंने सिर्फ चॉकलेट के लिए अपनी आंखें खुली रखीं और वह मेरा पहला शॉट था.”
फिर 17 की उम्र में पिता के यंग किरदार को निभाया…
ऋषि फिर साल 1970 में आई राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में देखने को मिले थे. इस फिल्म में उन्होंने अपने पिता के यंग किरदार को निभाया था. इससे जुड़ा एक किस्सा अपने साक्षात्कार में सुनाते हुए ऋषि ने कहा था कि, ”हम घर में खाना खा रहे थे और मेरे पिता ने मां को बोला, “कृष्णा, मैं चाहता हूं कि चिंटू मेरा नाम जोकर में मेरे यंग वर्जन को प्ले करे. और मैं बहुत उत्साहित हो गया था कि मेरे फिल्मों में काम करने के बारे में बात हो रही है”.
ऋषि साहब ने आगे कहा था कि, ”मैंने उनके सामने कुछ नहीं कहा. मैंने अपना खाना खत्म किया और अपने कमरे में गया. मम्मी तब पापा से कह रही थीं कि फिल्म की वजह से मेरी पढ़ाई पर असर पढ़ेगा. वह अलग बात है कि उस फिल्म से मेरी जिंदगी पर कुछ असर नहीं हुआ, लेकिन जब वे इस बात पर विचार कर रहे थे, मैं अपने कमरे में आया और अपनी स्टडी टेबल की दराज खोली. उसमें एक फुल शीट थी. मैंने उस पर अपने ऑटोग्राफ की प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया”.
राज साहब ने फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के लिए अपनी पूरी जान झोंक दी थी. इसमें खूब सारा पैसा भी लगाया गया था. फिल्म से उन्हें बहुत उम्मीद थी लेकिन फिल्म रिलीज हुई तो बॉक्स ऑफिस पर पिट गईं. फिल्म को बनाने में 6 साल लगे थे हालांकि फिल्म दर्शकों के दिलों पर जादू नहीं चला सकी.
राज साहब ने आगे जाकर बेटे ऋषि को लेकर फिल्म ‘बॉबी’ बनाई. इस फिल्म में बेहतरीन अदाकारी का नमूना पेशकर न केवल ऋषि सफल और लोकप्रिय हुए बल्कि उन्होंने पिता को फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ से हुए भारी भरम नुकसान और कर्ज से भी बचा लिया था.
उन्होंने इसे लेकर कहा था कि पिता ने फिल्म ‘बॉबी’ मुझे लॉन्च करने के मकसद से नहीं बनाई थी. उन्होंने यह फिल्म इसलिए बनाई थी, ताकि वह बड़े बजट में बनी अपनी फ्लॉप फिल्म मेरा नाम जोकर का कर्ज उतार सकें. इसके लिए राज साहब को एक सुपरहिट फिल्म की दरकार थी.